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सहारा में अब उठने लगे विरोध के स्वर, कई यूनिटों में भगदड़ के हालात

सहारा में सैलरी न मिलने का असर दिखने लगा है। वाराणसी और देहरादून समेत कई यूनिटों में कर्मचारियों में भगदड़ मचने की सूचनाएं हैं। वाराणसी में थोक में लोग लंबे अवकाश पर जाने लगे हैं। तेज प्रताप सिंह, विवेक सिंह, त्रिपुरेश राय, दीपक राय, बाबू राम, राहुल सिंह, राकेश यादव, अशोक चौबे, सुद्दोधन आदि बिना बताये अवकाश पर चले गए हैं। देहरादून से निधि सिंह, सुधीर सिंह, ममता सिंह, सरिता नेगी, शक्ति सिंह लंबे समय से अवकाश पर हैं। वाराणसी में स्टाफ की कमी से संस्करण मर्ज किये जा रहे हैं।

<p>सहारा में सैलरी न मिलने का असर दिखने लगा है। वाराणसी और देहरादून समेत कई यूनिटों में कर्मचारियों में भगदड़ मचने की सूचनाएं हैं। वाराणसी में थोक में लोग लंबे अवकाश पर जाने लगे हैं। तेज प्रताप सिंह, विवेक सिंह, त्रिपुरेश राय, दीपक राय, बाबू राम, राहुल सिंह, राकेश यादव, अशोक चौबे, सुद्दोधन आदि बिना बताये अवकाश पर चले गए हैं। देहरादून से निधि सिंह, सुधीर सिंह, ममता सिंह, सरिता नेगी, शक्ति सिंह लंबे समय से अवकाश पर हैं। वाराणसी में स्टाफ की कमी से संस्करण मर्ज किये जा रहे हैं।</p>

सहारा में सैलरी न मिलने का असर दिखने लगा है। वाराणसी और देहरादून समेत कई यूनिटों में कर्मचारियों में भगदड़ मचने की सूचनाएं हैं। वाराणसी में थोक में लोग लंबे अवकाश पर जाने लगे हैं। तेज प्रताप सिंह, विवेक सिंह, त्रिपुरेश राय, दीपक राय, बाबू राम, राहुल सिंह, राकेश यादव, अशोक चौबे, सुद्दोधन आदि बिना बताये अवकाश पर चले गए हैं। देहरादून से निधि सिंह, सुधीर सिंह, ममता सिंह, सरिता नेगी, शक्ति सिंह लंबे समय से अवकाश पर हैं। वाराणसी में स्टाफ की कमी से संस्करण मर्ज किये जा रहे हैं।

अवकाश पर जाने से पहले इन लोगों ने सम्पादक स्नेह रंजन का घेराव किया था। मैनेजर हालात को देखते हुए फरार हैं। सम्पादक धमकी दे रहे हैं कि ‘आज’ अखबार से लोगों को बुला कर काम चला लेंगे। ये ‘आज’ अखबार से आये हैं। कर्मचारियों का कहना है कि ये शुरू से कर्मचारी विरोधी काम करते रहे हैं।

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देहरादून में गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार से नवाजे गए दिलीप चौबे सम्पादक हैं। इन्होंने यहां संदेश दे रखा है कि हमें मैनेजमेंट ने नहीं, छोटे साहब जेबी राय ने भेजा है। यानि मुझे हल्के में मत लेना। संस्था पर संकट है और ये अक्सर स्वयं ही लंबी छुट्टी पर नहीं रहते बल्कि चहेतों और चमचों को दिल खोल कर अवकाश देते हैं। इनकी यूनिट भी संकट के दौर से गुजर रही है। यहाँ भी विरोध होने लगा है। अगले माह से असर दिखाई देने लगेगा। वैसे सबसे ज्यादा लोगों ने यही नौकरी छोड़ी है।

प्रबंधन के हिसाब से लखनऊ सबसे शांत यूनिट है। यहाँ जी-हुजूरियों और बिना रीढ़ वालों की फौज भरी पड़ी है। कहा जा रहा है कि प्रदीप मंडल के आत्महत्या प्रकरण को मैनेज कर लेने और इस न्यूज को लखनऊ के अखबारों में छपने से रोकने की कामयाबी के बाद सहारा प्रबंधन संपादक मनोज तोमर को इनाम देने वाला है। जल्द ही इन्हें मुंबई इनाम लेने के लिए भेजा जाएगा।

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एक पत्रकार द्वारा प्रेषित पत्र पर आधारित

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0 Comments

  1. suresh

    April 1, 2015 at 8:57 am

    sahara me itna hone ke baad bhi kuch dalalon ko kuch bhi fark nahi pad raha hai..jo dalali khate hai…sahara karmi ek to management ke rukh se pareshan hai to wahi dusri or samay news channel me kuch dalal aise hai jinhone empolyee ko pareshan karne ka theka le liya hai…panch mahine se salary nahi milne ke baad bhi saharakarmi kam per aa rahe hai…lekin iske bad bhi kuch dalal type ke log channel me hai…jo reporter or stringer ke jariye paise ki ugahi karte hai…wo khud ke pocket me paise aane per dusre karmchari ko pareshan kar rahe hai….management bhi aise logon ko per koi karwai nahi kar raha hai.

  2. as

    April 4, 2015 at 5:51 am

    ऐसा पता चला है कि वाराणसी यूनिट में जो लोग काफी दिनों से बिना सूचना के छुट्टी पर चल रहे हैं उनका नाम इस खबर में नहीं दिया गया है। पर जो लोग काम कर रहे हैं यहां उनका नाम दिया गया है। स्टापरों का नाम क्यों नहीं दिया गया जो काफी दिनों से गायब चल रहे हैं। ऐसा भेद-भाव क्यों?

  3. आपका साथी

    April 4, 2015 at 4:14 pm

    प्रिय मित्र हो सकता है जानकारी के अभाव में कुछ नाम रह गए हो । बेहतर होता वो कमी आप पूरी कर देते । बाद मे मालुम हुआ कि एनपी सिंह आर के वाजपेयी और अनुराग शुक्ला भी नहीं थे । शायद ये लोग स्वीकृत अवकाश पर थे । जिन संवादसूत्रों का नाम दिया गया वो बधाई के पात्र हैं ।

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