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सहारा नोएडा के हड़ताली मीडियाकर्मियों को रात में गिरफ्तार करने की तैयारी!

नोएडा से आ रही खबरों के मुताबिक सहारा मीडिया के आफिस के बाहर पुलिस ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के लिए तैयारी की है. ये कार्रवाई देर रात की जा सकती है. उधर, पूरे ग्रुप में राष्ट्रीय सहारा अखबार का मास्टर एडिशन यानि एक ही अखबार हर जगह प्रकाशित करने की तैयारी चल रही है. इस काम में कुछ एक लोग ही सपोर्ट कर रहे हैं. देहरादून से राष्ट्रीय सहारा के कुछ कर्मियों ने फोन पर बताया कि वेतन के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे देहरादून राष्ट्रीय सहारा के कर्मचारियों को यूनिट हेड मृदुल बाली ने जबरन गेट से बाहर कर दिया.

राष्ट्रीय सहारा देहरादून के हड़ताली मीडियाकर्मी

नोएडा से आ रही खबरों के मुताबिक सहारा मीडिया के आफिस के बाहर पुलिस ने बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी के लिए तैयारी की है. ये कार्रवाई देर रात की जा सकती है. उधर, पूरे ग्रुप में राष्ट्रीय सहारा अखबार का मास्टर एडिशन यानि एक ही अखबार हर जगह प्रकाशित करने की तैयारी चल रही है. इस काम में कुछ एक लोग ही सपोर्ट कर रहे हैं. देहरादून से राष्ट्रीय सहारा के कुछ कर्मियों ने फोन पर बताया कि वेतन के लिए कई दिनों से संघर्ष कर रहे देहरादून राष्ट्रीय सहारा के कर्मचारियों को यूनिट हेड मृदुल बाली ने जबरन गेट से बाहर कर दिया.

राष्ट्रीय सहारा देहरादून के हड़ताली मीडियाकर्मी

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आफिस से बाहर किए गए हड़ताली कर्मियों ने बताया कि प्रबंधन ने उपस्थिति पंजिका को दरकिनार करते हुए एक अलग रजिस्टर रखवा दिया. इस रजिस्टर पर काम करने वालों की उपस्थिति ही मानने की बात कही जा रही है. इस रजिस्टर पर उन्हीं ने हस्ताक्षर किए जो अब तक अघोषित रूप से प्रबंधन के साथ हैं. हालांकि ऐसे लोगों की संख्या बमुश्किल 4 या 5 ही है.

ज्ञात हो कि वर्ष 2007 में उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लांच हुआ राष्ट्रीय सहारा अपने कर्मयोगियों को वेतन न मिलने की वजह से सोमवार को प्रकाशित नहीं हो सका. कर्मयोगी पिछले कई महीने से लगातार वेतन के वजाय, सिर्फ आश्वासन मिलने से परेशान थे. उनके आगे परिवार के भरण पोषण का संकट खड़ा हो गया है, सोमवार को कई कर्मचारी, जिनमें संपादकीय टीम के लोग हैं, दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए हैं, जबकि कई लोग फील्ड में अपने काम में लगे देखे गए हैं.

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इस बीच DELHI UNION OF JOURNALISTS ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि यूनियन का एक प्रतिनिधिमंडल नोएडा के डिप्टी लेबर कमिश्नर से मिला और इस मामले में मेमोरेंडम सौंपा. डीएलसी ने मंगलवार को सहारा प्रबंधन के लोगों को मीटिंग के लिए बुलाया है. प्रेस रिलीज इस प्रकार है…

Intervention of Dy. Labour Commission sought in Sahara wage issue
 
A delegation of plant unions and the Delhi Union of Journalists met the Dy. Labour Commissioner, Uttar Pradesh at his office at Noida today. The delegation handed over a memorandum to him. Expressing its serious concern about the non-payment of wages of the employees and journalists working at the Sahara media group, the delegation sought the intervention of the Dy. Commissioner. Based on the complaint, the Dy. Labour Commissioner has summoned the management of the Sahara group for a meeting on Tuesday at his office.

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The memorandum  also brought to the notice of the Dy. Labour Commissioner that instead of paying the employees their due wages, the management was threatening the employees with the use of the police and other such measures and asking them to withdraw their peaceful protest. The delegation among others was led by DUJ General Secretary, S K Pande, Convenor of the Sahara Media Sangharsh Samiti, Charan Singh Rajput and Gangeshwar Dutt Sharma Secretary of the Noida unit of the CITU. The workers and journalists of Sahara have resolved to further intensify their struggle if their dues are not paid immediately.

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0 Comments

  1. BADAKA DADA

    July 13, 2015 at 6:11 pm

    benaras me …. ki taiyari… Tuesday se sahara india ka para banking office bhi band karne ki taiyari…

  2. Mritunjay

    July 14, 2015 at 2:41 am

    देहरादून में इस्तीफा देने के बाद नोटिस पीरियड पर चल रहे मृदुल बाली पत्रकारिता के क्षेत्र में गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान से सम्मानित सम्पादक दिलीप चैबे से मर्यादा और आपसी लिहाज की सारी सीमाओं को चलुवे चाटने की खातिर ताक पर रख दिया। जब वे बड़े रौबीले अंदाज में कर्मचारियों को रजिस्टर पर दस्तखत करके अंदर जाने या बाहर चले जाने की धमकी दे रहे थे तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि अंदर जाने वालों की संख्या मात्र 5 होगी। जो अंदर गये उनमें एक नोएडा के एक अधिकारी का खास माना जाता है। रिपोर्टर है, लेकिन लिखना नहीं आता। काम के वक्त बाहर सड़क पर मोबाइल काम पर लगाये अपने आका से बतियाता रहता है, लेकिन साइन करने वालों में सबसे आगे था। अंदर गये दो लोग ऐसे हैं, जिन्हें सहारा से पैसे न भी मिलंे तो भी ताउम्र काम करेंगे। दरअसल ये लोग सहारा के नाम पर पुलिस की दलाली करते हैं और साथ ही जमीनों की दलाली भी। दो अन्य इसलिए अंदर चले गये कि पुलिस की दलाली करने वाले दो लोग कभी कभी उन्हें भी हड्डी डाल देते हैं। मैनेजर बाली की पूरी उम्मीद थी कि मशीन वाले अंदर रहेंगे, पर अफसोस एक भी नहीं रुका। इतना ही नहीं रात को जब बाली बाहर निकला तो मशीन वालों से उसे बुरी तरह से जलील भी किया।

  3. Bharat

    July 14, 2015 at 3:44 am

    Bali ki bidayi pitayi se hogi. Patna bhi bali maar khakar gaye hai.

  4. abcd

    July 14, 2015 at 5:06 am

    बड़े खेद की बात है कि एक तो प्रबंधन सात महीने से सैलरी नहीं दे रहा है और कोई ठोस आश्वासन भी नहीं दे रहा है और ऊपर से भूखे प्यासे कर्मचारियों को घमका भी रहा है. ये करने से पहले बड़े बड़े अधिकारियो को अपने खर्चो पर लगाम लगानी चाहिए थी.

  5. Priyanka Agarwal

    July 14, 2015 at 7:32 am

    But if SEBI freezes Sahara’s accounts, how are they supposed to pay salaries and other people. This is quite logical

  6. Sameera Sharma

    July 14, 2015 at 7:33 am

    Strike is not a solution to any problem!

  7. Sonali Gupta

    July 14, 2015 at 9:19 am

    You are instigating the people to go on strike and stop operations. But you do not realize that if the company shuts down, where will these people go. Are there enough jobs in the market to fulfil their needs?

  8. Aakriti Kaul

    July 14, 2015 at 11:58 am

    Very true. There is a lot of unemployment these days. Yet you are provoking people to leave jobs. Are you serious. We should look for a permanent solution.

  9. Prachi Sharma

    July 14, 2015 at 3:38 pm

    I have been going through your articles. Instead of highlighting the real problems, you are just trying to project one side of the story and very conveniently ignoring the other side.

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