Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

बकाया वेतन मांगा तो नौकरी से बर्खास्त कर दिया

२४ साल की नौकरी का मिला सिला.. माँगा वेतन तो टर्मिनेट कर दिया… ये हाल है पारिवारिक भावना का दावा करने वाले सहारा इंडिया का… मैं सहारा इंडिया के नियंत्रण में निकलने वाले राष्ट्रीय सहारा में १८-०१-९१९२ से कार्यरत हूँ. १८५० रुपए वेतन से सब एडिटर ट्रेनी के रूप में शुरुआत की. इन २३-२४ सालों में मुझे मात्र एक प्रमोशन मिला है …आज वेतन २५००० के ऊपर है …इतना वेतन तो एक चपरासी का भी नहीं होगा… मेरा गुनाह यह है कि मैंने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई..अपना वेतन और बकाया मांगा … नतीजा ये हुआ कि आज ३०-०१-२०१६ को घर आकर एच आर ने टर्मिनेशन थमा दिया …

२४ साल की नौकरी का मिला सिला.. माँगा वेतन तो टर्मिनेट कर दिया… ये हाल है पारिवारिक भावना का दावा करने वाले सहारा इंडिया का… मैं सहारा इंडिया के नियंत्रण में निकलने वाले राष्ट्रीय सहारा में १८-०१-९१९२ से कार्यरत हूँ. १८५० रुपए वेतन से सब एडिटर ट्रेनी के रूप में शुरुआत की. इन २३-२४ सालों में मुझे मात्र एक प्रमोशन मिला है …आज वेतन २५००० के ऊपर है …इतना वेतन तो एक चपरासी का भी नहीं होगा… मेरा गुनाह यह है कि मैंने इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई..अपना वेतन और बकाया मांगा … नतीजा ये हुआ कि आज ३०-०१-२०१६ को घर आकर एच आर ने टर्मिनेशन थमा दिया …

गौरतलब है कि मैंने मजीठिया वेज बोर्ड को कोर्ट आदेश के बावजूद न लागू करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका भड़ास मीडिया के माध्यम से दायर की है और न्याय की मांग की. कोर्ट ने हलफनामा माँगा तो मैंने भी दे दिया .. मुझे आशंका थी कि आज नहीं तो कल प्रताड़ित किया ही जाउंगा…

Advertisement. Scroll to continue reading.

यहां यह बता देना भी जरूरी है कि गत माह राष्ट्रीय सहारा में हुए आंदोलन के दौरान मैं भी सक्रिय रहा. भड़ास में मेरे नाम से आंदोलनकारियों से एक अपील भी किसी ने भेज दी थी .. तब से प्रबंधन खुन्नश खाए हुए है … मुझसे सफाई मांगे गयी … मैंने कहा कि लिखित में सफाई मांगिये तो मैं भी लिखित में सफाई दूंगा ..

सहारा और दूसरे मीडिया के साथियों मित्रों से कुछ सवाल करना चाहूंगा…

Advertisement. Scroll to continue reading.

१. अपने हक़ क़े लिए आवाज उठाना गलत है क्या?
२. आंदोलन हर कर्मचारी का लोकतांत्रिक अधिकार है .. फिर अकेले मैं ही आंदोलन में नहीं था ..एक आंदोलनकारी नेता को संस्थान ने संपादक बना दिया लेकिन दूसरा मैं जो कि लीड भी नहीं कर रहा था, उसे नौकरी से निकाल दिया.
३. मुझ पर अघोषित आरोप है कि मैं सोशल मीडिया और भड़ास जैसी वेबसाइटों में लिखता हूँ. तो क्या यह अपराध है …
४. आंदोलन में एक मिल का मजदूर अपने प्रबंधन के खिलाफ जिंदाबाद मुर्दाबाद के नारे लगा सकता है, एक कर्मचारी अपने विभागीय मंत्री का पुतला फूंक सकता है लेकिन पत्रकार नहीं ..

यह कैसा लोकतंत्र है और ये पत्रकारिता लोकतंत्र का कैसा चौथा खम्भा है?

Advertisement. Scroll to continue reading.

अरुण श्रीवास्तव
बर्खास्त पत्रकार
राष्ट्रीय सहारा
देहरादून
संपर्क: 9458148194

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

0 Comments

  1. MUDIT MATHUR

    January 31, 2016 at 6:41 am

    I am with you. Your cause is genuine and we support fighters. God bless you.

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement