सहारा मीडिया में सेलरी के लिए हड़ताल किए जाने का फल सामने आया है. सभी को एक महीने की सेलरी मिल गई है लेकिन यह एक महीने की सेलरी उंट के मुंह में जीरे के समान है. करीब साल भर से सबकी सेलरी बकाया है. एक महीने की सेलरी देने के बाद सहारा प्रबंधन ने इशारा कर दिया है कि जिसे काम करना है काम करे या फिर जिसे जाना हो वो चले जाए, आगे सेलरी मिलने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. उधर, एक माह की सेलरी मिलने के बाद हड़ताली भी दो फाड़ हो गए हैं. प्रिंट वाले कह रहे हैं कि एक महीने की सेलरी से कुछ नहीं होता, कम से कम दो-तीन महीने की सेलरी मिलने पर ही हड़ताल खत्म करने पर विचार किया जाएगा. जबकि टीवी वाले एक माह की सेलरी पर ही खुश होकर हड़ताल खत्म करते हुए काम पर निकल पड़े हैं.
सहारा टीवी से सूचना है कि मनोज मनु खुद अब सीईओ बनने की फिराक में हैं इसलिए तरह तरह के दांवपेंच अपना रहे हैं. जिस दिन सुब्रत राय तालकटोरा स्टेडियम में प्रोग्राम करने वाले थे, उस दिन मनोज मनु अपने नंबर बढ़ाने के मकसद से सहारा के न्यूज चैनलों पर अपने कुछ खास इंटरव्यूज प्रसारित करवा रहे थे जबकि सहारा टीवी के बाकी कर्मी सेलरी की मांग को लेकर हड़ताल पर थे. मनोज मनु का स्मृति इरानी समेत कई मंत्रियों से किया गया इंटरव्यू चलता देख हड़ताली टीवी कर्मी नाराज हुए और पीसीआर एमसीआर में घुसकर इस इंटरव्यू का प्रसारण रुकवाया. साथ ही धमकाया भी कि जिसने ज्यादा चालाकी करने की कोशिश की उसे इसी न्यूज रूम में पीटेंगे भी.
सहारा से एक अन्य सूचना के मुताबिक उपेंद्र राय के कार्यकाल में रखे गए ढेर सारे राय बंधुओं समेत करीब डेढ़ दर्जन लोगों को बर्खास्त कर दिया गया है. इसमें राधेश्याम राय, शशि राय आदि भी शामिल हैं. सेलरी संकट के दिनों में उपेंद्र राय एक तरफ तो सेल्फ एक्जिट प्लान के तहत लोगों को निकालने पर जुटे हुए थे वहीं अपने जातीय लोगों को भरने में भी लग गए थे. उनके इस अनप्रोफेशनल व्यवहार के कारण सहारा मीडिया का संकट और बढ़ गया था. साथ ही अंदरखाने असंतोष पनपने लगा था. प्रबंधन ने सही समय पर उपेंद्र राय को बर्खास्त कर डूबती नैया को बचाने की कोशिश की. अब सफाई अभियान के तहत उपेंद्र राय के समय में भर्ती लोगों को हटाया जा रहा है.
इस बीच, सुब्रत राय तिहाड़ से निकलने के बाद सहारा मीडिया को भाव देना बंद कर चुके हैं. तालकटोरा स्टेडियम में कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शन करने पहुंचे सहारा मीडिया के कर्मियों को पुलिस वालों ने जंतर-मंतर ले जाकर आंदोलन करने के लिए बिठा दिया और चुनिंदा लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल लेकर सुब्रत राय से मिलाने पहुंचे. लेकिन सुब्रत राय किसी से नहीं मिले. सहारा कर्मी सोच रहे थे कि तिहाड़ से आकर सुब्रत राय उनकी समस्याओं को दूर कर देंगे लेकिन उल्टे सुब्रत राय तो किसी से मिलना जुलना तक नहीं चाह रहे. इसको लेकर सहारा मीडिया के आंदोलनकारी नई रणनीति बनाने में जुटे हैं. अब ये सुब्रत राय के खिलाफ कई किस्म के कानूनी मामलों और धोखाधड़ी को सार्वजनिक करते हुए सुप्रीम कोर्ट से लेकर सेबी तक को अवगत कराएंगे और इन्हें फिर से तिहाड़ पहुंचवाने का उपक्रम करेंगे.
rajan seth
July 30, 2016 at 3:06 pm
Hame isme joint hona hai