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सुख-दुख

सहारा के जिस डिवीजन के लोग हड़ताल करेंगे, सहाराश्री उस डिवीजन को ही बंद कर देंगे… देखें नोटिस

सहारा अपने कर्मचारियों को लगभग डेढ़ साल से नियमित वेतन नहीं दे रहा है। एक साल से ज्यादा का समय हो गया है, सिर्फ आधा वेतन दिया जा रहा है। वेतन न मिलने से लाखों कर्मचारी प्रभावित हैं। वेतन न मिलने की वजह से कई तो खुदा को प्यारे हो गए। पंद्रह सितंबर 2015 को सहारा के सभी कार्यालयों में सहारा सुप्रीमो का यह पत्र नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दिया गया है। पत्र में वेतन न देने की बात करते हुए हड़ताल न करने की हिदायत दी गई है साथ ही चेतावनी या धमकी जो कह लीजिए, दी गई है कि उस विभाग को ही बंद कर दिया जाएगा जहां के कर्मचारी वेतन की मांग करेंगे। मसलन पैराबैंकिंग में हड़ताल होती है तो वह ही बंद कर दिया जाएगा।

सहारा अपने कर्मचारियों को लगभग डेढ़ साल से नियमित वेतन नहीं दे रहा है। एक साल से ज्यादा का समय हो गया है, सिर्फ आधा वेतन दिया जा रहा है। वेतन न मिलने से लाखों कर्मचारी प्रभावित हैं। वेतन न मिलने की वजह से कई तो खुदा को प्यारे हो गए। पंद्रह सितंबर 2015 को सहारा के सभी कार्यालयों में सहारा सुप्रीमो का यह पत्र नोटिस बोर्ड पर चस्पा कर दिया गया है। पत्र में वेतन न देने की बात करते हुए हड़ताल न करने की हिदायत दी गई है साथ ही चेतावनी या धमकी जो कह लीजिए, दी गई है कि उस विभाग को ही बंद कर दिया जाएगा जहां के कर्मचारी वेतन की मांग करेंगे। मसलन पैराबैंकिंग में हड़ताल होती है तो वह ही बंद कर दिया जाएगा।

हमारे संविधान ने हमें जुर्म के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए या अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन करने का अधिकार दिया है। अंग्रेजों से आजादी भी हमारे पूर्वजों ने यूं ही हासिल नहीं की। इसके लिए धरना प्रदर्शन किया है। लेकिन पैसे के मद में चूर सहारा इंडिया के मुखिया सुब्रतो राय अपने कर्मचारियों से यह अधिकार भी छीन लेना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने बकायदे गश्ती पत्र जारी किया है।

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इस पत्र में उन्होंने हड़ताल को अराजकतावादी कदम बताया है। इसका मतलब आजादी के आंदोलन के सारे के सारे क्रांतिकारी अराजक थे? राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन अराजकतावादी कदम था? इस तरह तो भगत सिंह सबसे बडे अराजक थे? इस पत्र में यह धमकी भी दी गई है कि जिस भी डिवीजन में हडताल हुई वह बंद कर दिया जाएगा। जैसे नियम कानून इनके अधिकारियों की तरह इनके आगे पीछे दुम हिलाते फिरते हैं।

प्रसंगवश जिस संस्थान में एक हजार या उससे अधिक कर्मचारी हैं वह बिना अनुमति के कारोबार नहीं समेट सकता। बीमार संस्थान को बंद करने के भी नियम हैं। हर नियमित कर्मचारी का पूरा ड्यूज देना होगा। जिसकी जितनी सेवाएं बची हैं उसको पूरा वेतन देना पडता है। कानपुर में एक नहीं दर्जनों फैक्ट्रियां/ मिलें बंद हुई हैं सभी ने पूरा बकाया दिया है। कांग्रेस का नेशनल हेरल्ड और नवजीवन इसके उदाहरण हैं। बंद होने को तो बंबई और कोलकाता में न जाने कितनी मिलें बंद हुई हैं सुब्रतों राय, लेकिन ऐसे नहीं जैसे तुम या तेरे गुर्गे समझ / समझा रहे हैं।

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एक सहाराकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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0 Comments

  1. द्रोणाचार्य

    September 18, 2015 at 5:47 am

    सहारा के कर्मचारियों से अनुरोध है सहारा श्री जी के पत्र का गलत अर्थ न निकालें, 70 -75 साल के आपके अभिभावक पिछले कई माह से जेल में हैं, इन परिस्थितियों में आपको उनका साथ देना चाहिए, कई क़ानूनी खामिओं और सेबी की गलत धारणा के कारण सहारा श्री जेल में हैं , यही वो अभिभावक हैं जिन्होंने पिछले 37 सालों से आपको रोजगार दिया और आपके परिवार को रोटी दी. आज उनके कुछ दुश्मनोँ ने उन्हें घेर लिया तो आप भी उन्हें जलील मत करें। नौकरियां तो आती जाती रहती है पर इंसान को नमक अदायगी करनी तो आनी ही चाहिए।
    अब आप पूछोगे मैं कौन – मैं न ही सहारा का चमचा हूँ और वर्तमान मैं कर्मचारी भी नहीं हूँ. हाँ कर्तव्योगी रह चूका हूँ।

  2. SUBHASH GUPTA

    September 18, 2015 at 7:23 am

    यह एकदम सच है कि सहारा में साल दर साल वेतन हमेशा माह की आखिरी तारीख को मिलता था। कभी वेतन लेट नहीं होता था। मैं कई साल सहारा में रहा हूं। वेतन समय पर देने की बात तो एकदम सही है। लेकिन लम्बे समय से पगार न मिलना, दूसरा सच है….. जो निष्ठावान कर्मचारी अपने परिवार के भरण पोषण के लिए सिर्फ वेतन पर निर्भर हैं, वे आखिर कहां जाएं… कैसे पेट की भूख शांत करें, कैसे बच्चों की फीस जमा करें… कैसे दवा खरीदें… ये सुलगते हुए सवाल हैं

  3. द्रोणाचार्य

    September 18, 2015 at 7:38 am

    पारिवारिक भरण पोषण हर इंसान की बड़ी जिम्मेदारी होती है. लेकिन उसके लिए हर व्यक्ति को स्वयं जिम्मेदार होना होता है. संस्थान को दोष देने से अच्छा है. आप स्वयं अपनी जिम्मेदारी निभाएं। सहारा के अच्छे दिन — वाह वाह सहारा। और सहारा के बुरे दिन —- हाय हाय सहारा। …
    ये गलत सोच है

  4. सहारा कर्मी

    September 18, 2015 at 7:47 am

    वैसे सहारा श्री भी अपनी जगह ठीक हैं और मजबूर भी हैं नहीं तो जेल मै कौन रहना चाहेगा… और कर्मचारी भी अपनी जगह ठीक हैं… 6 — 7 महीने से बिना सैलरी क़े काम किया ही है सबने… और आगे भी करते रहते अगर बड़े बड़े अधिकारी एडवांस क़े नाम पर मोटे पैसे नहीं लेते…. वैसे तो स्तिथि काफी गंभीर है लोगो क़े घर क़े खर्चे चलने मुस्किल हैं पर फिर भी कर्मियों को थोड़ा और सयम बरतना चाहिए …

  5. Saharakarmi

    September 18, 2015 at 10:41 am

    सहाराश्री के इस धमकी भरे पत्र पर तो उनपर केस कर देना चाहिए। इसमें वे खुद स्वीकार रहें हैं कि वे पूरी सैलरी नहीं दे रहें हैऔर न ही रिजाइन करनेवावों को उनका बकाया। साफ है कि वे कर्मियों को बंधुआ मजदूर बना कर रखे हैं। कहां है नियम कानून की दुहाई देने वाली मोदी सरकार? लाखों लोगों को खुलेआम पत्र लिखकर कंपनी का मालिक धमकी दे रहा है और सरकार चुप बैठी है। वाह रे सरकार। सहारी मीडिया में फरवरी से सैलरी नहीं मिली है और हक के लिए आंदोलन करनेवाले को मालिक जेल से खुलेआम धमकी दे रहा है। कैसा लोकतंत्र है इस देश में? श्रम विभाग के अधिकारी क्या पैसे के बल पर खरीद लिए गए हैं? इसी न्यूज पर सहारा के मैनेजमेंट के लोग छद्म नामें से कमेंट कर रहें है कि सहारा सही कर रहा है। वाह रे मैनेजमेंट। जब सुब्रतो राय चिटफंड से अरबों डकारे थे तब क्या उसमें से अपने स्टाफ को हिस्सा दिए थे क्या, जो अब कर्मी उनके लिए अपने परिवार को भूखे मार रहें हैं। सभी कंपनियां काम के बदले वेतन देती हैं, तो फिर सहारा ने क्या अहसान कर दिया। ऊपर से तो ये वर्षो से शोषण ही करती आई है। न इंक्रीमेंट न प्रमोशन। बोनस के नाम पर दो साल पहले तक साल मे तीन हजार रुपए भीख जैसे मिलते थे वो भी बंद हो गए। उसपर से सुब्रतो राय की हिम्मत देखिए कि सैलरी नहीं देने के बावजूद किस कदर धमकी दे रहें हैं। हद है। न लेबर कोर्ट, न सुप्रीम कोर्ट और न ही सरकार इसपर स्वत संग्यान ले रही है। सुब्रतो राय तो अब अपने ही कर्मियों के मौलिक अधिकारों पर कोड़े बरसा रहें हैं और कोर्ट से लेकर सरकार तक चुप हैं। क्या किसी बड़े कांड का इंतजार है? जागो मित्रों, गीदड़भभकियों से कुछ नहीं होना। अपने बकाया वेतन और नियमानुसार मुआवजाके लिए जी अब तो एकजुट हो जाओ।

  6. Ashok pd

    September 18, 2015 at 10:55 am

    Subrato rai is tarah dhamki de sakte hai, kisi he socha v nahi tha. Ab to aur aandolalan hona chahiye kyoki an clear hai ki ye staff ka paisa kha jayenge

  7. bhikhari

    September 18, 2015 at 11:12 am

    मेरे प्यारे प्यारे भिखारियों,
    पूरी दुनिया का माल हड़पने के बाद अब मैंने तुम लोगों का नंबर लगाया है। बकाया भूल जाओ और गुलामी करते रहो

  8. RAMESH SHANKAR

    September 18, 2015 at 11:44 am

    द्रोणाचार्य के नाम से सुब्रत राय की तरफदारी करने वाले मित्र 37 साल अगर उसने वेतन दिया तो मुफ्त का नहीं दिया। उसके बदले काम लिया है। और हम अपने वेतन का ही पैसा मांग रहे हैं। नहीं दे सकते तो छटनी कर दीजिए। ऐसा सहारा इसलिए नहीं करता क्योंकि अगर सही छंटनी करेगा तो चमचों को ही हटाना पड़ेगा। और काम वाले चले जाएंगे तो काम कौन करेगा।
    कल तक हमसे दो चार महीने की मोहलत मांगने वाला सुब्रत राय आज धमकी देने पर उतर आया है। शायद अपनी औकात भूल गया है। जेल में रहकर भी बुद्धि ठिकाने नहीं आ रही है। जेल में भी अपने कुकर्म जारी रखे हुए हैं। भोग-विलास कर रहा है। रंगरेलिया मना रहा है और वेतन के पैसे से गुलछर्रे उड़ा रहाहै। दम है तो संस्थान बंद कर दे। देखते हैं किसकी हार होती है।

  9. sidhi bat...

    September 18, 2015 at 11:48 am

    sahara ke logo me himmat nahi hai..ekta nahi hai…sabko dar lagta hai .. hai..uska bada karan hai …
    vaha ke jyadatar logo ko kaam nahi aata .keval ji huzuri aati hai…6 mah se salary nahi arahi ya aadhi arahi to 6 mah kafi hote hai dusri naukri dhundhne ke liye…pahle sub ek ho ajio ..bakaya vasulo…aur pasdo dusri naukri ..hai agar ame atmvisvas aur talent to avsya naukri milegi…

  10. Ashok pd

    September 18, 2015 at 12:28 pm

    Sidhi baat k name se jisne comment kiya hai wo mngmnt ka aadmi lagta hai. Sahara k staff bahut mehnati hai aur yaha se kaha v jaate hain jam kar kaam karte hain. Aise Kai example hain. Yaha se log resign isliye nahi kar rahe kyonki sahara unka paisa hadap legs. Due salary aur dusre due milakar kisi ka v 5 lac se kam nahi.kisi v patrkar k liye he badi rakam hoti. Koi ye na likho ki yaha k log kaam nahi karte. Yaha k logo k badaulat hi samay up, Bihar, mp lagatar top rahe gain.

  11. abc

    September 19, 2015 at 4:44 am

    वैसे हमें लगता है कि ये धमकी भरा पत्र सहारा श्री नहीं लिख सकते हैं …. ये जरूर किसी मैनेजमेंट क़े किसी शातिर क़े दिमाग का काम है …. वैसे भी कर्मचारी आंदोलन किसी प्रमोशन या नाजायज मांग क़े लिए नहीं कर रहे हैं . वो केवल अपने बकाया बेतन और रेगुलर सैलरी क़े लिए कर रहे हैं . और कब तक बिना सैलरी क़े काम करते रहेंगे ????

  12. द्रोणाचार्य

    September 19, 2015 at 5:33 am

    मेरे साथी संकर जी क्या फायदा की हम सहारा या सहारा श्री को दोष दें. गलती हम सब की है अगर कुएं से पानी निकलना बंद हो जाये तो समझदारी इसी में है की कोई दूसरा कुंवा ढूंढ लें. सूखे कुंवे के ऊपर बैठ कर गाली गलौच या हाय हाय करना – समझदार को सोभा नहीं देता। मैं सहारा श्री की वकालत नहीं कर रहा. मैं इस बात का समर्थक हूँ की अगर काबिलियत है तो आप सभी कोई सही रोजगार तलाश करें और इस बात का विरोधी हूँ की इंसान को बिना तलवे का लोटा नहीं होना चाहिए। जब सहारा के अच्छे दिन वाह वाह सहारा और बुरे दिन हाय हाय सहारा

  13. जैदी तहसीन

    September 19, 2015 at 8:21 am

    ये परिस्थितियां क्यो बनी किन-किन के कारण से बनी इसका अध्ययन करना अति आवश्यक है ।

  14. sahara worker

    September 19, 2015 at 9:17 am

    Sahara group me kuch waise management post me baithen hain jo…… sahara ko lut raha hai……pehle bhi phaida uthatha raha…aaj bhi utha rahen hain..aur aane wala kal ko bhi uthaenge.

  15. इंसाफ

    September 20, 2015 at 2:15 am

    ठीक है पैसे देने के लिए सहारा के बुरे वक़्त है. लेकिन करमचारियों की भलाई करने से किसने रोका है. किस यूनिट में सहारा कर्मी को क्या बुनियादी सुबिधा मिलनी चाहिए उसे कौन देखेगा. क्या सहाराश्री सभी यूनिट में झांकने आयेंगे. यहाँ के प्रबंधक खुद आराजकता चाहते है. अपने चहेते की बरी आती है तो उसके दो दिनों में कार्य हो जाते है और जो आम कार्यकता है वो अरसे से गुहार लगाता है फिर भी उसके लिए सहानभूति नहीं आती. ऐसा लगता है कि अब सहारा बंद ही हो जाये तो अच्छा .

  16. meediya riportar

    September 20, 2015 at 4:20 am

    अच्छी बात इस कुछ लोगों के विचार आए। अफसोस है कि कुछ का अब भी मानना है कि प्रबंधन का रवैैैया सही है कर्मचारी गलत हैं मालिक जो कर रहा है उसकी मजबूरी है, मालिक ३७ सालों से हमारे परिवार का पेट पाल रहा है। ऐसे लोगों से चंद सवाल।
    १. सुब्रतो राय क्यों जेल में हैं ? जब उनके पास जमानत देने की राशि से ज्यादा की सम्पत्ति है तो वे बाहर क्यों नहीं आ रहे हैँ ?
    २. चमचे कह रहे हैँ सेबी और कोर्ट उनके पीछे पडा है। कोर्ट कह रहा है जिनका पैैसा लिए हो दो औंर जाओ।
    ३. सहारा की हालत इधर कुछ दिनों /महीनों या सालों से खराब है । कर्मचारियों का शोषण, उत्पीड़न औंर पक्षपात शुरू से है तुर्रा किछ यह परिवार है । कोई मालिक नहीं सभी कर्मचारी हैं। तो पद के आगे कार्यकर्ता लग जाने मात्र से सभी कार्यकर्ता नहीं हो जाते । सहारा श्री की दोनों बहुएं शादी होने के बाद से ही वरिष्ठ कार्यकर्ता हो गई सहारा। की डायरी में दोनों का नाम आ गया क्यों? वह कर्मचारी जिसका कोई माई बाप नहीं है सालों से एक ही पद पर पडा रहता है।
    ४. चमचों का रुदन मालिक संकट में है उसका साथ दो । किसी कर्मचारी ने कहा था कि कोर्ट के खिलाफ जहर उगलो । कोलकाता की बैठक में क्यों कहा कि सुप्रीम कोर्ट कौंन होता है हमें निर्देश देने वाला । अब पता चला कोर्ट कौन होता है।
    ५. ३७ साल से मालिक हमें पाल रहा है तो किसी भी मालिक को या हर फैक्टरी/मिल को कर्मचारियों की जरूरत होती है ।
    ६. कुछ उत्साही यह कहते फिरते हैं कि सहारा श्री ने हमारा और हमारे परिवार का पेट पाला अब हम कर्मचारी आंदोलन करते हैं तो यह गद्दारी होगी तो वाहियात तर्क है। हम अपने मेहनत की खा रहे हैं। हम अपने देश का नमक खा रहे हैं । सहारा से बडा देश नहीं है। यहाँ के। कर्मचारी भी औरों की तरह आठ घंटे काम करते हैं इसमें तीन घंटे अपने वेतन के लिए तो पांच घंटे सुब्रतो राय के मुनाफे का होता है।
    जवाब का स्वागत है।

  17. meediya riportar

    September 20, 2015 at 4:28 am

    कम्पोजिग में थोड़ी त्रुटि हो गई है \ क्रम 6 में सहारा से बड़ा देश नही है लिख गया है जबकि होना देश होना चहिया \ इस गल्ती के लिए कामा चाहता हूँ | मीडिया रिपोर्टर

  18. bhikhari

    September 20, 2015 at 5:41 am

    ये सहारा परिवार नहीं, सिर्फ सुब्रत राय सहारा परिवार है

  19. द्रोणाचार्य

    September 20, 2015 at 6:30 am

    मीडिया रिपोर्टर सर मैंने आपके सवाल पड़े, सवाल करना ठीक हैं पर हकीकत को नजर अंदाज करना गलत। … नमक आप देश का खा रहे हो या टाटा का —- पर देने वाला सहारा ही था, यह एक हकीकत है. सहारा ने रोजगार दिया यह दूसरी हकीकत है. मालिक को फैक्ट्री चलने के लिए कर्मचारी चाहिए, कोई भी मालिक इनविटेशन नहीं देता है. इंटरव्यू लेता है और आपका मासिक वेतन तय करता है अपनी शर्तो के अनुसार। अगर मालिक वेतन नहीं देता है तो आप काम छोड़ कर अपना बकाया ले सकते हैं. हमने भी लिया। आप भी लें। …. कोर्ट के खिलाफ जहर उगला। …. कभी इंसान छोटी सी भूल कर जाता है और आपके दुश्मन उसका फायदा उठा लेते हैं. तब आपके बच्चे ये बोलें की हम साथ नही देंगे गलती आपकी है. तो आप तो अपने बच्चो से सम्बन्ध विछेद कर देंगे। यह भी हकीकत है। … अन्याय होने पर आंदोलन करना सही है पर बिना सोचे समझे स्वार्थ सिद्धि के लिए मालिकन को गलत कहना . इंसान के सेल्फ फिश नेचर को दर्शाता है अगर आपको मालूम था की सहारा गलत कंपनी है तो आपने ज्वाइन नहीं करना चाहिए था। । आपको मौका देने वाला भगवन से बड़ा और देश से सच्चा है यह भी हकीकत हैं सहारा कंपनी है पर मालिक ने यहाँ पारिवारिक माहोल बनाने की कोसिस की। …… पारिवारिक माहौल बनाने वाला भी परिवार है आप ने नहीं माना वो भी ठीक है मैंने मन वो भी गलत नहीं है। …। आप इस बात को स्वीकार रहे हैं की सहारा परिवार नहीं कंपनी है फिर इस बात को क्यों नहीं स्वीकारते की अपने परिवार की बहुओ को मैनजमेंट का हिस्सा बनाना भी सही है
    जवाब का स्वागत है

  20. chandra prakash

    September 20, 2015 at 6:42 am

    sahara ka sath do Bhaiyo

  21. chandra prakash

    September 20, 2015 at 7:06 am

    पूरी जिंदगी मलाई खाने वाले कमीने बुरे दिन में सहारा श्री का साथ देने की बजाय
    साथ छोड़ भाग रहे हैं उस पत्र को गद्दारो धमकी पत्र न मानो उसे अभिभावक का आदेश
    मानो तुम सब को मलाई खिलाने के कारण ही सहाराश्री १७ माह से जेल में हैं और तुम उनके पत्र धमकी मान रहे हो

  22. Salim Sayyad

    September 22, 2015 at 8:41 am

    Sahara india pariwar, sabhu management
    vale kahte hai, ki sahara ek pariwar hai,
    aur sahara companyme 10 Department
    ki salary time pe hoti hai, to fir ye baki
    department ke sath bhedbhav Q, tum
    kahte ho pariwar hai, to fir aap apne ghar
    me baccho ko aur biwi ko khana khilate
    ho,aur Apne maa baap ko kahte ho aap aaj
    bhukhe raho q ki sahara hame aadhi
    salary de raha hai, aisa karte ho kya, aare
    ab to sharam karo, sudhar jaoo, aur sahara
    shri kahte hai division band kar dunga,
    are ye kya film hai jo flop hogayi to band kardo
    aur apne jaban par kayam raho, 4 Mahine bola aapne dharya rakho hum ne kuch nahi bola, uske baad fir aapne bola mere sathiyo aur thoda dheeraj rakho, thik hai rakh liya, aap ho bataiye aur dharya rakhna hai, hamare gharwale rastepar aagaye hai, hamare
    baccho ko school se nikal diya gaya,
    hamare budhe maa baap ke ilaj ke liye
    hum dar dar bhatak rahe hai. Abhi kya aap
    hamari laash dekhoge tabhi aapka dharya
    khatam hoga. Are kuch to sharam karo

  23. Insaf

    September 20, 2015 at 4:47 pm

    एडिटर समेत मैनेजमेंट अपने दिल पर हाथ रखकर बताये कि वह संस्थान के प्रतिभावान कर्मियों के साथ नाइंसाफी कर रहा है . इस बात पर उसे गौर करना चाहिए. रुपये देना सहाराश्री के हाथ में है लेकिन जो आपके हाथ में है उसे क्यों नहीं दे रहे हो.आखिर इमानदार और योग्य कर्मियों के लिए मैनेजमेंट क्या कर रहा है.

  24. be-sahara

    September 22, 2015 at 11:39 pm

    lekin ye to batio gyani logo ki ye aadhi salary ka silsila kab tak rahega….ya aap gyani logo ne eise swikar kar liya hai…apki antaratama kya kahti hai..ki aap me adhai salary wali hi kabiliyat hai kya..chalo samay ka pher hai..lekin kab tak..managment koi time bhi to nahi de raha..required reply..

  25. meediya riportar

    September 22, 2015 at 2:54 am

    वैसे मैंने जो सवाल खडे किये थे वो किसी को निशाना बनाकर या बनाने के लिए नहीं। फिर भी आदरणीय द्रोणाचार्य ने जवाब दिया वो भी शालीनता से अच्छा लगा।
    मैं भी सहारा मीडिया में था। जबरन इस्तीफा लिया गया । हालांकि इसके प्रमाण मेरे पास नहीं है। मित्रों , जहां तक मैं समझता हूं समाज में दो वर्ग हैं एक शोषक दूसरा शोषित सरल भाषा में एक मालिक दूसरा नौकर। यह बात सहारा पर भी लागू होती है आप सब चाहे सहमत हों या न हों । यह भी सच है कि सहारा के मुखिया औरों की अपेक्षा काफी उदार थे और हैँ । यही कारण है या था कि यहां यूनियन नाम की चीज नहीं रही और मीडिया घरानों की तरह शोषण और उत्पीड़न भी कम था ।
    ध्यान दें विरोध की आवाज क्यों मुखर हुई ? वेतन न मिलने की वजह से ही न ? सहारा श्री मार्च १४ में गिरफ्तार हुए हैं उसके बाद से पहले वेतन तय तिथि पर मिलना बंद हुआ फिर आधा हुआ वो भी आधा कब मिलेगा पता नहीं।
    मित्रों , इस बार सिर्फ एक सवाल वो इसलिए कि मांग या समस्या भी एक ही है बावजूद इसके कि बडी संख्या में लोगों का १०.१०,१५.१५ साल से प्रमोशन नहीं हुआ , डीए नियम के विरुद्ध ३ साल से शून्य है , सालाना बढोत्तरी भी समय से नहीं हो रही है , श्रम कानून या सरकारी नियम के तहत मिनिमम बोनस देना ही देना होता है बावजूद इसके इसबार बोनस नही दिया गया फिर कर्मचारी शांत रहे । जब पानी हद से ऊपर हो गया तभी कर्मचारी सडक पर आये।
    कर्मचारी सडक पर न आते या न आयें तो करें क्या ? कब तक आधे वेतन पर काम चलायें ? अच्छा मान लीजिए मेरे भूतपूर्व मुखिया लंबे समय तक जेल में रहते है तो क्या कर्मचारी और उनके परिजन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें ? कब तक मकान मालिक को आधा किराया, आधी फीस , बनिया . दूध वाले को आधा पैसा , आधी ईएम आई और आथा प्रीमीएम देते रहे । कब तक सबकुछ आधे पर चलेगा ?

  26. meediya riportar

    September 22, 2015 at 2:56 am

    maine jo सवाल खडे किये थे वो किसी को निशाना बनाकर या बनाने के लिए नहीं। फिर भी आदरणीय द्रोणाचार्य ने जवाब दिया वो भी शालीनता से अच्छा लगा।
    मैं भी सहारा मीडिया में था। जबरन इस्तीफा लिया गया । हालांकि इसके प्रमाण मेरे पास नहीं है। मित्रों , जहां तक मैं समझता हूं समाज में दो वर्ग हैं एक शोषक दूसरा शोषित सरल भाषा में एक मालिक दूसरा नौकर। यह बात सहारा पर भी लागू होती है आप सब चाहे सहमत हों या न हों । यह भी सच है कि सहारा के मुखिया औरों की अपेक्षा काफी उदार थे और हैँ । यही कारण है या था कि यहां यूनियन नाम की चीज नहीं रही और मीडिया घरानों की तरह शोषण और उत्पीड़न भी कम था ।
    ध्यान दें विरोध की आवाज क्यों मुखर हुई ? वेतन न मिलने की वजह से ही न ? सहारा श्री मार्च १४ में गिरफ्तार हुए हैं उसके बाद से पहले वेतन तय तिथि पर मिलना बंद हुआ फिर आधा हुआ वो भी आधा कब मिलेगा पता नहीं।
    मित्रों , इस बार सिर्फ एक सवाल वो इसलिए कि मांग या समस्या भी एक ही है बावजूद इसके कि बडी संख्या में लोगों का १०.१०,१५.१५ साल से प्रमोशन नहीं हुआ , डीए नियम के विरुद्ध ३ साल से शून्य है , सालाना बढोत्तरी भी समय से नहीं हो रही है , श्रम कानून या सरकारी नियम के तहत मिनिमम बोनस देना ही देना होता है बावजूद इसके इसबार बोनस नही दिया गया फिर कर्मचारी शांत रहे । जब पानी हद से ऊपर हो गया तभी कर्मचारी सडक पर आये।
    कर्मचारी सडक पर न आते या न आयें तो करें क्या ? कब तक आधे वेतन पर काम चलायें ? अच्छा मान लीजिए मेरे भूतपूर्व मुखिया लंबे समय तक जेल में रहते है तो क्या कर्मचारी और उनके परिजन हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें ? कब तक मकान मालिक को आधा किराया, आधी फीस , बनिया . दूध वाले को आधा पैसा , आधी ईएम आई और आथा प्रीमीएम देते रहे । कब तक सबकुछ आधे पर चलेगा ?

  27. इंसाफ

    September 22, 2015 at 3:50 am

    ऐसा महसूस होता है सहारा कर्मी को थोडा और धैर्य रखना चाहिए. धैर्य का फल मीठा ही होता है. संकट है लेकिन संकट से धीर पुरुष ही सामना करते है. परिस्थितियां बदलेगी ही. ऐसा विस्वास है.

  28. Sachin Kadam

    September 22, 2015 at 8:00 am

    Sahara india pariwar ke senior anpdha hai koi design sahi le nahi sakate!!!!!!!

  29. द्रोणाचार्य

    September 26, 2015 at 1:02 am

    बे सहारा साहब। …. काबिलियत का आंकलन हमने किया था…. लगा यार आधी सैलरी में न तो घर चलेगा और न ही जिंदगी। । हमने अपनी काबिलियत के हिसाब से काम तलाश किया। । थोड़ी कम ही सही पर पूरा वेतन लेंगे।। आप भी थोड़ा अपने आप को समय दो और तय करो की आप मैनजमेंट के जवाब का इन्तजार करोगे या खुद को जवाब तलाश करेंगे। … अपनी अंतर आत्मा की आवाज सुनो सर। …ye to hona hi tha

  30. prakash

    October 8, 2015 at 5:30 am

    :-* 😳 😥

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