रजनीश रोहिल्ला
9950954588. ये मोबाइल नंबर रजनीश रोहिल्ला का है. अजमेर में हैं. यहीं से प्रकाशित दैनिक भास्कर अखबार में सीनियर रिपोर्टर हैं. इन्होंने भास्कर प्रबंधन की आंख में आंख डालकर कहा- ”मजीठिया दो”. न मिलना था सो न मिला. उल्टे ट्रांसफर और प्रताड़ना का दौर शुरू. तब फिर रजनीश रोहिल्ला ने भास्कर प्रबंधन की आंख में आंख डालकर कहा- ”तुझे तेरी औकात दिखाउंगा”. ठान लिया तो पूरी कायनात रजनीश रोहिल्ला के लक्ष्य को पाने-दिलाने में जुट गई.
अजमेर के इस सीनियर रिपोर्टर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. मजीठिया वेज बोर्ड न देने को लेकर कंटेंप्ट आफ कोर्ट. सुप्रीम कोर्ट ने कुबूल किया इसे. केस रजिस्टर किया. अब साले भास्कर वाले गिड़गिड़ा रहे हैं रजनीश रोहिल्ला के आगे.. ”…आ जाओ भाई… सेटल कर लो… पैसे ले लो.. सब कर लो पर आ जाओ.. बस याचिका वापस ले लो.. कह दो कि सब ठीक है…. ” टाइप की बातें कहते करते हुए.
रजनीश रोहिल्ला का कल मेरे पास फोन आया. बोले- यशवंत भाई, ये स्थिति है अब. मैंने कहा- मित्र, आप अब खुद अकेले नहीं है. देश भर के पत्रकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पूरे प्रकरण वाकये पर लिखकर भेजिए. इसे प्रकाशित किया जाएगा ताकि भास्कर वालों का हरामजदगी और एक पत्रकार के साहस की कहानी सबके सामने रखी बताई जा सकी. रजनीश रोहिल्ला ने वादा निभाया और आज जब सुबह मैंने भड़ास का मेल चेक करना शुरू किया तो उनका ये आर्टकिल पड़ा मिला. पढ़िए, और कुछ न कर पाइए तो कम से कम फोन करके रजनीश रोहिल्ला को उनकी इस बहादुरी / मर्दानगी पर बधाई सराहना शाबाशी दे डालिए…
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
मेरी कंपनी के कई बड़े अधिकारी समझौते के लिए मेरे ऊपर अलग-अलग तरह का दबाव बना रहे हैं
नमस्कार
9 साल तक पत्रकारों के लंबे संघर्ष के बाद बने मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई निणार्यक दौर में है। हमारी कंपनियां हमें मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देना नहीं चाहती। हालांकि वे खुद शुद्ध व्यवसायिक लाभ कमा रही है। हमारे शोषण को जारी रखकर हमें आर्थिक रूप से कमजोर बनाए रखना चाहती हैं। कुछ मैनेजर टाइप के लोगों को जरूर अच्छा पैसा दिया जा रहा है। ये वो लोग हैं जो केवल मालिकों के हितों के बारे में ही सोचते हैं। हम पत्रकारों को तो बेचारा समझकर लालीपॉप देने का सिलसिला चला रखा है। लेकिन अब देश के सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हम पत्रकारों की परिभाषा और वेतन का स्ट्रक्चर भी बना दिया है। अब मालिक मनमाना रवैया नहीं अपना सकते हैं। इन मालिकों की हिमत देखिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को भी मानने के लिए तैयार नही है। उसे भी मजाक समझ रहे हैं।
मालिकों ने तुगलकी फरमान जारी कर अधिकांश पत्रकारों से दबाव डालकर लिखवाया कि उन्हें मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ नहीं चाहिए। मालिकों की नजर में पत्रकार वर्ग असहाय, मजबूर और बेचारा है। मालिकों की सोच के अनुसार पत्रकारों ने उस काले आदेशों पर हस्ताक्षर कर दिए। जबकि एक स्वर में उस काले आदेश का विरोध किया जाना चाहिए था। पर, पत्रकार सोच रहे थे कि नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। परिवार पर आर्थिक संकट आ जाएगा। लेकिन जरा सोचिए एक रणनीति बनाकर सारे पत्रकार एक साथ मजठिया की मांग कर दें तो कंपनियां क्या बिगाड़ पाएगी। वो भी उस समय जब देश का सुप्रीम कोर्ट हमारे पीछे बैठा हो।
दोस्तों मैंने मालिकों द्वारा भेजे गए काले फरमान को मानने से मना कर दिया। मैंने लाख दबाव के बावजूद भी काले आदेश वाले कागज पर हस्ताक्षर नहीं किए। मुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ी। मेरा ट्रांसफर महाराष्ट्र के जालना में मराठी भाषी अखबार में कर दिया लेकिन मैं बिल्कुल भी विचलित नहीं हुआ। कंपनी के मैनेजर सोच रहे थे कि मै उनके पैरों में पड़ूंगा गिड़गिड़ाउंगा। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
मैंने मजीठिया वेजेज को लागू करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कंटेप्ट पीटीशन दायर की। मुझे उस समय बहुत खुशी हुई जब जानकारी मिली की कंटेप्ट पीटीशन को सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्टर कर लिया। यह मजीठिया की लड़ाई की पहली बड़ी जीत थी। मेरी पीटीशन का रजिस्टर नंबर 21773 है। दो महीने बाद मुझे केस नंबर 401 मिला। यह आप सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर देख सकते हैं। 13 अक्टूबर को दीपावली के समय सुप्रीम कोर्ट ने हम पत्रकारों को बड़ा तोहफा देते हुए देश के सभी मीडिया हाउस मालिकों को दो महीने में मजीठिया वेज बोर्ड की पालना रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
मित्रों, यह दो महीने 13 दिसंबर को पूरे होंगे। अगर इस दिनांक तक मालिक पालना रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं कर पाए तो उनके खिलाफ कंटेंप्ट की कार्रवाई शुरू होगी। लड़ाई महत्वपूर्ण दौर में पहुंच चुकी है। मैं इसका असर देख और महसूस कर पा रहा हूं। मेरी कंपनी के कई बड़े अधिकारी मुझसे संपर्क साध रहे हैं। समझौते के लिए मेरे ऊपर अलग-अलग तरह का दबाव बना रहे हैं। समझौता किस बात का, कैसा समझौता। मैने स्पष्ट कर दिया है कि मजीठिया वेज बोर्ड को लागू कीजिए। मैं आगे की लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हूं। मैं जानता हूं कि मालिक किसी भी हद तक जा सकते हैं। मेरी जिंदगी के साथ खिलवाड़ या फिर किसी भी तरह का नुकसान भी पहंचा सकते हैं लेकिन मैं सुपीम कोर्ट और आप सब के भरोसे पर लड़ाई लड़ रहा हूं। इसलिए मझे कोई चिंता नहीं है। क्योंकि यह लड़ाई सिर्फ मेरे अकेले की नहीं बल्कि सब पत्रकार भाइयों की है।
मित्रों मैं पिछले सात महीनों से बिना वेतन के चल रहा हूं। निश्चित रूप से मुझे कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। महीने में कई दिन मेरे कोर्ट में बीत रहे हैं। मजीठिया नहीं मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी। मेर आप से अपील है इस संघर्ष में आप जैसा भी सहयोग कर सकते हैं। जरूर कीजिए। सुप्रीम कोर्ट हमारे साथ है। हमारी जीत निश्चित है। मेरा निवेदन है कि मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को इंटरनेट पर आप एक बार जरूर पढ़ें और ज्यादा से ज्यादा पत्रकार साथियों को इसकी जानकारी देकर उन्हें जागरूक बनाएं। सुप्रीम कोर्ट में अगली तारीख 2 जनवरी है।
आपका
रजनीश रोहिल्ला
9950954588
सीनियर रिपोर्टर
दैनिक भास्कर
अजमेर संस्करण
shabban khan gul
November 15, 2014 at 4:25 am
bahut sahe keya aap nai
shabban khan gul
November 15, 2014 at 4:26 am
bhai bahut thek keya aap nai
ravinder
November 15, 2014 at 10:47 am
Good भाई आप अकेले नहीं हैं इस लडाई में। मैं भी चार महीने से बिना वेतन के चल रहा हूं। परेशानी तो बहुत है लेकिन ज्यादा दुख इस बात का है कि हमारे अपने साथियों में दम नहीं है । तभी तो मालिक लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं मान रहे। आवाज उठाने वाले को खरीद कर बाकी कायरों को ठेंगा दिखाना चाहते हैं।
Dinesh
November 15, 2014 at 10:48 pm
न्याय की इस जंग में हम भी आपके साथ हैं। हम मजीठिया लेकर रहेंगे।
Ping
November 16, 2014 at 4:20 am
Jab medical,banker aur ralway ke shetra se Jude karmchaari vetan vraddhi ke liye ek jut hoker Deshvyapi Ahwaz utha sakte hain to fir PATRKAAR Bhai kyon nahin! Jabki ye Jante hue ki Supreme Court Jo sabse uper Desh me maani jati hai vah khud back Bone ban kar Khadi hai!!!!!!
EKJUT HO PATRKAAR BHAIYON!!!
SATYAMEV JAYATE!!
rrrrrrrrrrr
November 19, 2014 at 12:18 am
आखिर बकरे माँ कब तक खेर मनाएगी गुलाब कोठारी देखते तू बेटा कब तक बचेगा अब समझ ले तेरी भी सामत आने बाली है अपने आँखों ते तारों को समझा ले बरना अब खेर नहीं सेल अपने को बहुत बड़ा पत्रकार बनते अभी भी कुछ नहीं बिगाड़ा संभल जहॉ बरना तिहार जेल में तेरी बिरादरी के 6 माह से बंद हैं तू भी वंही पड़ा सड़ेगा बेटा सेल नालायक हरामी ऐय्याश गद्दार दिनरात नारी , मनवा गाना बंद कर बहुतगा लिया लेखक बनता कभी किसी सम्मलेन मैं भी एक शवद बोला दुनियां को बेबकूफ बनता है चोर भृष्ट पिचाश साला कर्मचारियों का खून चुसरहा हैं बुढे सुधर जा भगवन महावीर को भी तूने कनलनित कर दिया हैं जैन धरम को भी बदनाम करदिया सेल अपने कर्मचारियों के बद दुआएं ले रहा हैं जिन कर्मचारियों के दम पर आज तू इस मुकाम पर पहुंचा हाँ नालायक देर नहीं लगेगी जमीं पर आजायेगा सुधर जा हरामि
manmohan shrivastav
November 21, 2014 at 3:53 am
हम आपके साथ हैं।
Manoj
November 27, 2014 at 7:53 am
Sir Aap ko mera salute…..maine bhi bond par sign kiya hai mai non reporting me hn lekin ummed hai ki supremecourt k faisle ko aaj nahi to kal manna hi padega plz sir aap sari activity update karte rahiyega..Aapka anek anek dhanywad…
bolapand
November 29, 2014 at 2:02 pm
hame bi dilao ma
manish
November 30, 2014 at 6:19 pm
baat to shi h rohilla ji ki..lakin ab aage deko kya hota h…
mukesh
December 9, 2014 at 3:24 pm
badhae rohilla g
shubhakamanaye
Arvind krishnia
March 9, 2015 at 7:05 pm
आपके संघर्ष को सलाम (y)
Dharam Chand Yadav
May 9, 2015 at 7:26 am
भाई रजनीश रोहिल्ला बधाई
bhagwan singh charan
June 23, 2015 at 9:09 am
भाई आप अकेले नहीं हैं इस लडाई में।