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जिस दफ्तर से कैश 137 करोड़ मिले वहीं के कर्मचारियों को तंगी के नाम पर वेतन नहीं मिल रहा

Girijesh Vashistha : सहारा के दफ्तर से 137 करोड़ मिलते हैं लेकिन उसी सहारा के दफ्तर में पिछले कुछ महीनों से पैसे की तंगी के नाम पर लोगों को वेतन नहीं मिल रहा। श्री न्यूज बड़े बड़े अवार्ड फंक्शन करता है। वहां के मालिक सिर्फ अपनी इमेज बनाने के लिए करोड़ों खर्च करते हैं। कर्मचारियों का वेतन वहां भी वक्त से नहीं मिलता। ये दो सिर्फ उदाहरण भर हैं। मेरी समझ में नहीं आता समय पर वेतन न देने को इतना हल्के में क्यों लिया जाता है। इसे संज्ञेय अपराध क्यों नहीं बनाया जाता।

Girijesh Vashistha : सहारा के दफ्तर से 137 करोड़ मिलते हैं लेकिन उसी सहारा के दफ्तर में पिछले कुछ महीनों से पैसे की तंगी के नाम पर लोगों को वेतन नहीं मिल रहा। श्री न्यूज बड़े बड़े अवार्ड फंक्शन करता है। वहां के मालिक सिर्फ अपनी इमेज बनाने के लिए करोड़ों खर्च करते हैं। कर्मचारियों का वेतन वहां भी वक्त से नहीं मिलता। ये दो सिर्फ उदाहरण भर हैं। मेरी समझ में नहीं आता समय पर वेतन न देने को इतना हल्के में क्यों लिया जाता है। इसे संज्ञेय अपराध क्यों नहीं बनाया जाता।

छोटी-छोटी तनख्वाह पर घर चलाने वाले के दिल से पूछो जब दो-दो महीने तक वो मकान मालिक को किराया नहीं दे पाता और वो सामान फेंकने की धमकी देने लगता है। उस मासूम के बाप पर क्या गुजरती होगी जिसके बच्चे का नाम स्कूल से काटने की नौबत आने लगती है। उस मां से पूछो जिसके बच्चे सिर्फ एक आईस्क्रीम के लिए रोते रहते हैं और जिसके पास पैसे नहीं होते। कई लोग तो हालात को बर्दाश्त नहीं कर पाते और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। बुरी बात ये है कि देने वाले के पास पैसे हैं लेकिन वो उन्हें दूसरे गैरज़रूरी कामों पर उडाता रहता है। ये बातें सिर्फ मीडिया कंपनियों पर ही लागू नहीं हैं बल्कि सभी जगह एक जैसा हाल है। मेरी राय है कि समय पर वेतन न देना अपराध घोषित किया जाना चाहिए। ये किसी को मानसिक प्रताड़ना देने का मामला है। इसके कारण काम करने वालों की मानहानि भी होती है। आप से अपील है कि इस मांग को आगे बढ़ाएं। इस पोस्ट के शेयर करें। ताकि आने वाले समय में ये मुद्दा अहम हो जाए।

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टीवी टुडे ग्रुप से जुड़े पत्रकार गिरिजेश वशिष्ठ के फेसबुक वॉल से.


मूल खबर…

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सहारा के नोएडा दफ्तर से 100 करोड़ रुपये की नकदी और भारी मात्रा में सोना बरामद

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0 Comments

  1. ek karmchaareem

    November 28, 2014 at 6:40 pm

    Girjesh ji aapne share sawaal uthaayaa .ye sahara wale nambar ek chotte hain. Do maah se apne karmchaariyon ko vetan nahee diyaa . do saal se d.a. nahee de rahen hain.is base bonas bhee nahee diyaa.

  2. purushottam asnora

    November 29, 2014 at 1:41 am

    मीडिया संस्थान ठग गिरोह बन गये हैं जहां पत्रकारों गैर पत्रकारों का शोषण होता है। किसी भी कर्मी को समय से वेतन न देने का सीधा सम्बन्ध उसे आर्थिक तंगी में धकेलना है ऐसे संस्थान लोकतंत्र के चैथे स्तंभ तो कदापि नहीं हैं। मीडिया का नाम कलंकित करने वाले संस्थानों को ब्लेंक लिस्ट किया जाना चाहिए।

  3. syam

    November 29, 2014 at 5:37 am

    सर , कई मीडिया संस्थानो में काला धन सफेद कीये जा रहे है ..वो अपने खाते में मीडिया कर्मीयो और रिपोर्टरो को मोटी सेलरी दिखाकर अपने दुसरे जगह ट्रांसफर कर रहे है …इसपर सरकार को भी ध्यान देना चाहिए .अभी हाल में ही जो काले धन का नाम कोर्ट को सौपा गया था उनके सारे अकाउंट खाली है वो सारा पैसा गैरकानूनी तरीके से दुसरे के माध्यम से फिर से दफनाया जा रहा है ताकी वो बच सके …

  4. ek karmchaaree

    November 30, 2014 at 8:01 am

    Ye sawaal sahara Ke vkeel se hai. Aapke anusaar 135 karod karmchaariyo kee 3 maah Ke vetan liye the. Kis 3 mash Ke .aane vaale yaa peechhe Ke?? Peechhe Ke the to teen maah se karmchaareyo Ke khaate me saale kyon nahee.lagtaa hai yah paisa maamle ko sultavaane Ke liye rakkhaa thaa.hai name??

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