आइडिया कम्पनी के टीएसएम बनाते थे फर्जी सिमों की बिक्री का दबाव

Spread the love

आधार लिंक होने से पहले आई डी और थी, आधार लगने के बाद बदल गई आई डी, आइडिया के अधिकारियों में मचा हड़कम्प, लीगल डिपार्टमेंट आइडिया सेलुलर लिमिटेड के अभिषेक बोले सब कुछ जोनल अधिकारी तनवर के हाँथ में नही इसलिए उन्हें न की जाए काल, अहस्तांतरणीय सिम को बेचने वाली कम्पनी की कुछ दुकानें भी फर्जी आई डी पर

रामजी मिश्र ‘मित्र’
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पड़ने वाली महोली तहसील में फर्जी सिमों की बिक्री की गई है और इसका दबाव भी बनाया जाता था। यह खुलासा खुद एक डिस्ट्रीब्यूटर ने किया है। डिस्ट्रीब्यूटर ने कम्पनी के तीन अधिकारियों पर फर्जीवाड़े के अतिरिक्त पारिश्रमिक हड़पने की कोशिश करने का आरोप भी मढ़ा है। आइडिया के ब्रम्हावली के एक पूर्व डिस्ट्रीब्यूटर ने आइडिया के अधिकारियों के संज्ञान में फर्जी सिम बिक़वाये जाने का आरोप जड़ा है।

यूँ तो फर्जी सिम बिकने की खबर और उन पर कार्यवाही की बाते सामने आती रही हैं लेकिन इस बार आइडिया के अधिकारियों की संदिग्ध कार्यशैली के चलते उनके विरुद्ध खुद उनका ही सिस्टम का हिस्सा खड़ा हो गया है। टेली रेगुलेशन अथार्टी आफ इंडिया की गाइड लाइन की धज्जियाँ खुले आम उड़ गई। इस मसले पर डिपार्टमेंट ऑफ टेली कम्युनिकेशन के तमाम नियम कायदे ताख पर रख दिये गए और उसकी कार्यवाही का भय दनिक भी न दिखा। सिम जैसी अहस्तांतरणीय चीज को उपभोक्ता तो छोड़िए बल्कि एक प्रतिष्ठित कम्पनी के दुकानदार तक फर्जी आई डी पर प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि इस मामले को दूरसंचार विभाग ने स्वीकार करते हुए आइडिया के सीनियर जनरल मैनेजर अजय शर्मा को मामले पर कार्यवाही के लिए भेज दिया है।

आपको बताते चलें आइडिया के ब्रम्हावली गाँव के एक डिस्ट्रीब्यूटर ने आइडिया का तीन माह के लगभग सिम और बैलेंस के डिस्ट्रीब्यूशन का काम किया। इस दौरान उसके आरोपों के अनुसार कम्पनी के ही सुनील तनवर नामक जोन के अधिकारी के इशारे पर शैलेन्द्र और विवेक के द्वारा फर्जी सिम को बेचने का दबाव बनाया जाता था। आपको यह भी बता दें कि शैलेन्द्र आइडिया का सेल मैनेजर है जो सम्भवतः टारगेट को पूरा दिखाने के लिए ऐसा दबाव बनाता होगा।

इसके अतिरिक्त विवेक कम्पनी के ही टी एस एम के पद पर तैनात हैं। डिस्ट्रीब्यूटर की माने तो उसने कभी इनके द्वारा बनाये गए दबाव के बावजूद इस देश विरोधी काम को स्वीकार नही किया। ब्रम्हावली डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि उसने कम्पनी की पॉलिसी के खिलाफ कोई काम करने से स्पष्ट मना कर दिया। इसके बावजूद वह डिस्ट्रीब्यूटर के ऊपर टारगेट को पूरा करते हुए फर्जी सिम बेचने का दबाव विवेक के माध्यम से बनवाते रहे जिसकी रिकार्डिंग भी डिस्ट्रीब्यूटर ने कर ली। शिकायत के अनुसार जोनल के सेल मैनेजर सहित एरिया सेल मैनेजर और टी एस एम को उनकी एक एक दुकान की जानकारी रहती है लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि इनके संज्ञान में कुछ दुकानों की आईडी भी फर्जी है। ऐसे में जब आइडिया की दुकानें तक फर्जी हों फिर यह देश की आंतरिक सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ नही तो और क्या है। फर्जी सिम बिक्री में अधिकाँश दुकानदार और डिस्ट्रीब्यूटर फसते देखे गए हैं।

इसका कारण है कि जिस दुकानदार या डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से यह एक्टिवेट की जाती हैं वह तो पकड़ में आ जाते हैं लेकिन उसमें संलिप्त और इस फर्जीवाड़े के असली खिलाड़ी सबूतों के अभाव में आसानी से बच निकलते हैं। इस बार मामला इस लिए पेचीदा हो गया है क्योंकि खुद उनके ही डिस्ट्रीब्यूटर ने ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कमर कस ली है। उधर मामला डी ओ टी के संज्ञान में आते ही प्रकरण पर जाँच और कार्यवाही लगभग तय हो गई है। फिलहाल उक्त प्रकरण को डी ओ टी ने गम्भीरता से लेते हुए न सिर्फ स्वीकार किया बल्कि इसे शिकायत संख्या 2018/11570 के आधार पर आइडिया के सीनियर जनरल मैनेजर अजय शर्मा  को कार्यवाही के लिए भेज दिया है।

आइडिया में तैनात सेल्स के जोनल अधिकारी सुनील तंवर पर उनके सहयोगी अधिकारी शैलेन्द्र और विवके पर डिस्ट्रीब्यूटर का पे आउट अनाधिकृत रूप से रोके जाने का भी आरोप लगा है। मामले की पड़ताल में यह बात भी सामने आ रही है कि जब डिस्ट्रीब्यूटर ने अपने काम का पैसा मागा तो आइडिया के अधिकारी न सिर्फ उसे आज कल पर टरकाते बल्कि उसे कभी कभार समय न होने का हवाला भी देते।

अगर डिस्ट्रीब्यूटर की माने तो उसने शैलेन्द्र और विवेक के कार्यशैली की शिकायत जोनल के अधिकारी सुनील तनवर से करनी चाही तो वह भड़क गए। तनवर ने यहाँ तक कह डाला कि वह हेरिटेट हो रहे हैं। हद तो तब हो गई जब तनवर ने खुद को आइडिया का सबसे बड़ा अधिकारी बताते हुए इस सम्बंध में दुबारा काल न करने की सख्त हिदायत डिस्ट्रीब्यूटर को देते हुए उसका नम्बर ब्लैक लिस्ट में डाल दिया।

जब सुनील तंवर से उनका पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने खुद को आइडिया का सबसे बड़ा अधिकारी बताते हुए दुबारा इस पर बयान देने से बचने के लिए काल किये गए नम्बर को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। तंवर की कार्यशैली के सम्बंध में जैसे ही मामला डी ओ टी के माध्यम से आइडिया के आला हाईकमान को पहुंचा तो आइडिया के अधिकारियों में हड़कम्प मच गया। डिस्ट्रीब्यूटर का पैसा फाइल के नाम पर अटका होने की बात कह कर इसके अधिकारी अपना बचाव करते दिखे।

इधर आइडिया के टी एस एम विवेक ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि अगर कोई कोर्ट केस भी कर दे तब भी वह फाइल के नाम पर पैसा अटका देंगे और अगर कोर्ट केस जीत भी गया तो वह अपना ही पैसा ले जाएगा तो उसे फायदा ही क्या। विवेक ने फर्जी सिमों की बिक्री सम्बन्धी दबाव के सम्बंध में बात करते हुए बताया कि यह तो वह इसलिए कहते थे ताकि सिम जल्दी जल्दी बिक सकें।

उक्त डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि पूर्व में बेचे गए अधिकांश सिम फर्जी आई डी पर थे जो आधार लिंक होने के बाद सही आई डी पर हो सके और यह सब काम इस तिकड़ी के इशारे पर होते थे। वहीं फर्जी सिमों की बिक्री और फर्जी आई डी पर स्थापित की गई दुकानों के सम्बंध में आइडिया के बड़े बड़े अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आ रहे हैं। वह इस मसले पर महज जाँच चल रही है कह कर मामले पर खानापूर्ती करते नजर आये।

आइडिया के लीगल डिपार्टमेंट के अभिषेक के अनुसार मामले पर जाँच की जा रही है… सब कुछ तंवर के हाँथ में नहीं है इसलिए उन्हें काल करके इस सम्बंध में पूछताछ न की जाय… सुनील कुल मिलाकर तंवर का बचाव करते नजर आए। पूरे प्रकरण पर आइडिया कम्पनी के दोषी अधिकारियों में खलबली मची हुई है। डिस्ट्रीब्यूटर को काल के दौरान कोई शाहजहांपुर आने का निवेदन करके मामले को दबाने का प्रयास कर रहा है तो कोई स्वयं उनके घर आकर मिलबैठ कर सब हल करने की बात कह रहा है।

आइडिया जैसी प्रतिष्ठित कम्पनी में अधिकारियों के संज्ञान में फर्जी सिम बेचा जाना न सिर्फ बेहद सम्वेदी मुद्दा है बल्कि अधिकारियों की कार्यशैली ने इनके मानीटरिंग और विजलेंस सिस्टम पर भी सवालिया निशान लगा दिया है। आइडिया कम्पनी अपने ही भ्रष्ट अधिकारियों की कार्यशैली के चलते सवालों के घेरे में है। अब इस गम्भीर मसले पर आइडिया कब तक कार्यवाही करती है यह देखने वाली बात होगी।

Ramji Mishra रामजी मिश्र ‘मित्र’
ramji3789@gmail.com

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia