प्रियंक द्विवेदी : इंटरनेट पर दिखाई जाने वाली अश्लीलता पर प्रतिबंध लगाने का एक असफल प्रयास सरकार ने पिछले दिनों जो किया था, वो काफी सराहनीय था। यदि सरकार प्रतिबंध को बरकरार रखती तो भले ही थोड़ा समय लगता लेकिन सरकार वाहवाही लूट सकती थी। इंटरनेट पर धड़ल्ले से बिकने वाली अश्लील सामग्री पर तो सरकार फिलहाल रोक नहीं लगा सकी लेकिन आज के समय में समाज में जिस तरह से अश्लीलता का हमला किया जा रहा है, उसको रोकने के लिए सरकार कुछ प्रयास तो कर ही सकती है। आज टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम और विज्ञापनों में दिखाई जाने वाली अश्लीलता इंटरनेट पर बिकने वाली अश्लीलता से कहीं ज्यादा खतरनाक है।
इंटरनेट की पहुंच उतनी नहीं है जितनी कि टीवी की है। आज ट्रक, मोटरसाइकिल और पुरुषों के द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली सामग्री को बेचने के लिए लड़कियों की छवियों का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह के विज्ञापनों में अश्लीलता की भी कोई कमी नहीं होती। विज्ञापन तो विज्ञापन लेकिन टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम, खासतौर पर अपराध आधारित कार्यक्रमों में तो इतनी अश्लीलता दिखा दी जाती है कि आप परिवार के साथ बैठकर तो टीवी देख ही नहीं सकते।
इंटरनेट पर प्रसारित अश्लील सामग्री दिमाग पर उतना असर नहीं करती, जितनी टीवी पर दिखाए जाने वाले अश्लील विज्ञापन और कार्यक्रम करते हैं। टीवी पर दिखाई जाने वाली अश्लीलता से व्यक्ति और ज्यादा कुंठित और आपराधिक प्रवृत्ति का हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि टीवी के माध्यम से हम पर जो अश्लीलता का हमला किया जा रहा है, उसको रोकने के प्रयास किए जाएं, नहीं तो हो सकता है कि आने वाले समय में इंटरनेट और टीवी पर दिखाई जाने वाली अश्लीलता में कोई खास फर्क ही न रह जाए।
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