कोर्ट के मामले अक्सर प्रलंबित हो जाते है लेकिन तब क्या जब जजों की नियुक्ति भी लंबित हो. मामला सामने आया है सुप्रीम कोर्ट में. जहां कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में तेजी लाने की मांग पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बाबत कहा कि हम इस मामले पर जुलाई में सुनवाई करेंगे.
एसोसिएशन ने वकील मंजू जेटली के जरिए याचिका दायर के कहा था कि देश भर में बार एसोसिएशन द्वारा की जा रही हड़तालों को रेगुलेट करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं. इस याचिका में आगे मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट और अन्य हाईकोर्ट में जजों के रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने का निर्देश दें. इस याचिका में कलकत्ता हाईकोर्ट में चल रही हड़ताल को तत्काल खत्म कराने की मांग भी की गई.
जज न होने के चलते हो रही है हड़ताल
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट में स्वीकृत कुल जजों की संख्या 72 है, जबकि वहां कुल 30 जज ही हैं. जज न होने से नागरिकों के अधिकारों का हनन होता है, उन्हें न्याय मिलने में देर लगती है. याचिका में आगे कहा गया है कि इस बाबत बीती 23 फरवरी को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को भी पत्र लिखा गया था. जिसके बाद उन्होंने को कार्यकारी चीफ जस्टिस को 26 फरवरी को पत्र दिया था. गौरतलब है कि कलकत्ता हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में देरी होने के विरोध में 18 फरवरी को हड़ताल शुरू की. इस मामले से जुड़ा एक और पहलू यह है कि दिसंबर में हाई कोर्ट के तीन जज भी रिटायर होने वाले हैं.