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रामदेव और आसाराम जैसे बाबा मीडिया की देन : महंत नरेंद्र गिरी

उज्जैन। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुम्भ के पावन अवसर पर शनिवार को सिंहस्थ और मीडिया की भूमिका पर राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन हुआ।  अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि मीडिया वास्तव में देश का सचिव है। वही राज्य को सही सूचनायें देता है। मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए, चाटुकार नही वरना देश और समाज का नुकसान होता है। समाचारो में आलोचना भी सकारात्मक रूप में ही आए तो अच्छा हो। आजकल कई ऐसे महात्मा भी आ गए है जो संत नहीं हैं, वे महज मीडिया को मैनेज कर के ही संत बन गए हैं। आज तक यदि किसी अखाड़े के संत पर कोई लांछन लगा हो तो मैं आज ही सन्यास छोड़ कर पेंट शर्ट पहन लूंगा।

<p>उज्जैन। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुम्भ के पावन अवसर पर शनिवार को सिंहस्थ और मीडिया की भूमिका पर राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन हुआ।  अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि मीडिया वास्तव में देश का सचिव है। वही राज्य को सही सूचनायें देता है। मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए, चाटुकार नही वरना देश और समाज का नुकसान होता है। समाचारो में आलोचना भी सकारात्मक रूप में ही आए तो अच्छा हो। आजकल कई ऐसे महात्मा भी आ गए है जो संत नहीं हैं, वे महज मीडिया को मैनेज कर के ही संत बन गए हैं। आज तक यदि किसी अखाड़े के संत पर कोई लांछन लगा हो तो मैं आज ही सन्यास छोड़ कर पेंट शर्ट पहन लूंगा।</p>

उज्जैन। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ कुम्भ के पावन अवसर पर शनिवार को सिंहस्थ और मीडिया की भूमिका पर राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन हुआ।  अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने कहा कि मीडिया वास्तव में देश का सचिव है। वही राज्य को सही सूचनायें देता है। मीडिया को निष्पक्ष होना चाहिए, चाटुकार नही वरना देश और समाज का नुकसान होता है। समाचारो में आलोचना भी सकारात्मक रूप में ही आए तो अच्छा हो। आजकल कई ऐसे महात्मा भी आ गए है जो संत नहीं हैं, वे महज मीडिया को मैनेज कर के ही संत बन गए हैं। आज तक यदि किसी अखाड़े के संत पर कोई लांछन लगा हो तो मैं आज ही सन्यास छोड़ कर पेंट शर्ट पहन लूंगा।

उन्होंने कहा कि बाबा और महात्मा बनाने का काम संतों का है। मगर आज मीडिया भी बाबा बनाने लगा है। रामदेव और आसाराम जैसों को मीडिया ने ही बनाया है। आजकल कथावाचक के नाम पर नौटंकीबाज सामने आने लगे हैं। मंहत ने इस दौरान कहा कि शाही स्नान के दौरान स्त्रियों और नाग साधुओं के फोटो लेने में सयंम बरतने की जरुरत है। इस दौरान महंत ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव की तारीफ की। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने कुम्भ व्यवस्था की व्यवस्था बहुत अच्छे से की। उन्होंने कोई बजट ही नही दिया बल्कि खजाना ही खोल दिया था। परिचर्चा का आयोजन आईएफडब्ल्यूजे और जर्नालिष्ट वेलफेयर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस परचर्चा में देश के 5 प्रदेशों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस दौरान मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकारों ने सिंहस्थ की कवरेज के अपने अनुभव और वर्तमान बदलाव पर चर्चा की।

आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक कृष्णमोहन झा ने परिचर्चा में कहा कि  महाकाल की नगरी उज्जैन में इस शताब्दी के दूसरे महाकुंभ सिंहस्थ पर्व के शुभारंभ की शुभ घड़ी अब बिल्कुल नजदीक आ पहुंची है। पंचदशनाम जूना अखाड़े के पांच हजार से अधिक संतों के पंडाल (छावनी) में प्रवेश के साथ ही सिंहस्थ 2016 का शंखनांद गत दिवस हुआ तो हजारों की संख्या में उज्जैन नगरी के श्रद्धालु जन उसकी एक झलक पाने के लिए शहर की सडक़ों पर उतर आए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानन्द गिरि के नेतृत्व में जब वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नील गंगा तालाब पर पूजन किया तो जय महाकाल के घोष की ध्वनि से आकाश गुंजायमान हो उठा।

उज्जैन नगरी में महाकुंभ की पहली पेशवाई का अप्रतिम उल्लास देखते ही बन रहा था। नगरवासियों ने नील गंगा से लेकर दानी गेट और छावनी तक साधु संतों के स्वागत वंदन और अभिनंदन के बड़ी संख्या में आकर्षक मंच और स्वागत द्वार बनाए थे। लगभग 200 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित छावनी (पंडाल) पांच सौ प्लाटों पर विशिष्ट साधु संतों के शिष्यों ने अपने भव्य नगरों का निर्माण किया है जिनकी छटा देखते ही बनती है। इन भव्य पंडालों में श्रद्धालुओं को बद्रीनाथ और अन्नपूर्णा मंदिर के प्रवेश द्वारों और लाल किले की अनुकृति के दर्शनों का सौभाग्य मिल सकेगा। आस्था और ऐतिहासिक भव्यता और गरिमा प्रदान करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले कई माह पूर्व ही युद्ध स्तरीय तैयारियां प्रारंभ कर दी थी। इन तैयारियों में किसी भी स्तर पर रंचमात्र भी कमी न रह जाए इसलिए स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इन तैयारियों की निगरानी अपने कंधों पर ओढ़ रखी थी। सिंहस्थ पर्व की औपचारिक शुुरुआत के पूर्व उन्होंने उज्जैन नगरी का बार बार दौरा किया है।

उन्होंने कहा कि शताब्दी के इस दूसरे सिंहस्थ पर्व की सफलता सुनिश्चित करने एवं इसे ऐतिहासिक रूप से यादगार बनाने के लिए सरकार अपने स्तर पर हर संभव प्रयास कर रही है। जिन पर यहां पधारे विख्यात साधु संतों ने भी संतोष व्यक्त किया है। इस महापर्व से जुड़े ऐतिहासिक और पौराणिक सदर्भों से आम जनता को अवगत कराने का काम भी मीडिया करता है। सिंहस्थ पर्व में देश के कोने कोने से नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं का आगमन तय हो चुका है ऐसे में संपूर्ण उज्जैन नगरी में सुरक्षा इंतजामों की अचूक निगरानी की जिम्मेदारी केवल सरकार के कंधों पर नहीं छोड़ी जा सकती। मीडिया को भी इस कार्य में सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर साथ देना चाहिए। ऐसे आयोजनों में अफवाहों की रोकथाम सबसे बड़ी समस्या होती है जो पलभर में अर्थ का अनर्थ कर सकती है। जबसे पत्रकारिता में इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रवेश हुआ है तबसे इस तरह के आयोजनों में मीडिया की जिम्मेदारी और बढ़ी है।

किसी भी तरह की अनिष्टकारी अफवाहों का मीडिया संस्थान पलभर में खंडन करके धर्मप्रेमी जनता को सचेत कर सकते है। ऐसे अविस्मरणीय और ऐतिहासिक आयोजनों में जो श्रद्धालु अपनी भागीदारी से वंचित रह जाते है उन्हें इस पर्व से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों के दर्शन लाभ सुनिश्चित कराने का काम मीडिया बखूबी करता है और सराहना का हकदार भी बनता है। जब पत्रकारिता में इलेक्ट्रानिक मीडिया का प्रवेश नहीं हुआ था तब यह कथन प्रचलित था कि समाचार पत्र समाज का दर्पण होते है। अब प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया मिलकर दर्पण की जिम्मेदारी निभा रहे है। किसी भी प्रसंग या घटना को सार्थक और सकारात्मक समीक्षा करने वाला मीडिया ही वास्तविक आर्थों में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहलाने का सच्चा हकदार बन सकता ह|ै इस दौरान आईएफडब्ल्यूजे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा की यह बहुत ही महत्वपूर्ण है की इस महान पर्व के सिलसिले में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की जा रही है। आज मीडिया में तेजी का युग है इस दौर में मीडिया को भी सम्हालने की भी जरुरत है क्योंकि हमारी भूमिका बढ़ी हुई है।

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