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आजमगढ़ में मीडिया समग्र मंथन : इलेक्ट्रानिक मीडिया टीआरपी के चक्कर में तथ्यों को भूलती जा रही है

आजमगढ़ : मीडिया समग्र मंथन-2016 के दूसरे दिन पूर्वांचल की पत्रकारिता का राष्ट्रीय महत्व आंचलिक पत्रकारिता के विशेष संदर्भ में एवं मीडिया और सरकारी तंत्र विषयों पर मंथन हुआ। समापन सत्र में विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए विभूतियों को सम्मानित भी किया गया। बतौर मुख्य अतिथि मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के निदेशक प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि पूर्वांचल की परम्परा समृद्ध रही है। आज के दौर में राष्ट्रीय मीडिया को पूर्वांचल का अंचल ही दिशा दे सकता है। उन्होंने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता की जिम्मेदारी है कि जो समाज से वंचित हैं, उनकी आवाज को उठाए। वेब मीडिया से क्षेत्रीय खबरें तेजी से आम जन तक पहुंच रही है, यह सुखद है।

<p>आजमगढ़ : मीडिया समग्र मंथन-2016 के दूसरे दिन पूर्वांचल की पत्रकारिता का राष्ट्रीय महत्व आंचलिक पत्रकारिता के विशेष संदर्भ में एवं मीडिया और सरकारी तंत्र विषयों पर मंथन हुआ। समापन सत्र में विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए विभूतियों को सम्मानित भी किया गया। बतौर मुख्य अतिथि मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के निदेशक प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि पूर्वांचल की परम्परा समृद्ध रही है। आज के दौर में राष्ट्रीय मीडिया को पूर्वांचल का अंचल ही दिशा दे सकता है। उन्होंने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता की जिम्मेदारी है कि जो समाज से वंचित हैं, उनकी आवाज को उठाए। वेब मीडिया से क्षेत्रीय खबरें तेजी से आम जन तक पहुंच रही है, यह सुखद है।</p>

आजमगढ़ : मीडिया समग्र मंथन-2016 के दूसरे दिन पूर्वांचल की पत्रकारिता का राष्ट्रीय महत्व आंचलिक पत्रकारिता के विशेष संदर्भ में एवं मीडिया और सरकारी तंत्र विषयों पर मंथन हुआ। समापन सत्र में विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान के लिए विभूतियों को सम्मानित भी किया गया। बतौर मुख्य अतिथि मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के निदेशक प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि पूर्वांचल की परम्परा समृद्ध रही है। आज के दौर में राष्ट्रीय मीडिया को पूर्वांचल का अंचल ही दिशा दे सकता है। उन्होंने कहा कि आंचलिक पत्रकारिता की जिम्मेदारी है कि जो समाज से वंचित हैं, उनकी आवाज को उठाए। वेब मीडिया से क्षेत्रीय खबरें तेजी से आम जन तक पहुंच रही है, यह सुखद है।

हैदराबाद की वरिष्ठ साहित्यकार डा. पूर्णिमा ने कहा कि पत्रकारिता में भावना को पुनः जागृत आंचलिक पत्रकारिता ही कर सकती है। आंचलिक पत्रकारों ने लोकतंत्र की मजबूती में अहम भूमिका निभाई है। पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के शिक्षक डा अवध बिहारी सिंह ने कहा कि देश के आजादी में जनचेतना के लिए आंचलिक पत्रकारिता का बड़ा योगदान रहा है। आज क्षेत्रीय पत्रकार संसाधनों के कमी से जूझते हुए सामाजिक सरोकारों को पूरा कर रहे हैं। सागर विश्वविद्यालय के डा. कन्हैया त्रिपाठी ने पं. युगल किशोर हिन्दी पत्रकारिता में योगदान पर चर्चा करते हुए आज की पत्रकारिता पर अपनी बात रखी।

दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार जयशंकर गुप्त ने कहा कि आज इलेक्ट्रानिक मीडिया टी आर पी के चक्कर में तथ्यों को भूलती जा रही है। इस तेजी में बहुत से सामाजिक मुद्दे सामने नहीं आ रहे हैं। वरिष्ठ सामाजिक चिंतन विजय नारायण ने कहा कि आज आंचलिक पत्रकारिता समर्पित पत्रकारों की जेल से फल-फूल रही है। दबाओं और चुनौतियों के बाद भी इसे अपने उद्देश्य से कोई डिगा नहीं पाया है।

वरिष्ठ पत्रकाार बनवारी लाल जालान ने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में पत्रकारिता आगे बढ़ी है आजादी के बाद पत्रकारिता के जो दायित्व थे उसे पूरा न करना सवाल खड़ा करता है। चैनलों में पेड न्यूज चिंता जनक है। शिक्षक नेता वेदपाल सिंह ने कहा कि नागरिकता समिति होने से पत्रकारिता समूह होगी। अध्यक्षीय संबोधन में वयोवृद्ध गुंजेश्वरी प्रसाद ने स्रोताओं के तरफ उठाये गये सवालों का बिन्दुवार जवाब दिया। उन्होंने कहा- विज्ञापन की देन है कि पाठकों के सस्ते अखबार मिल जा रहे हैं। पत्रकारिता करने वालों पर बहुत जिम्मेदारियां है। उन्हें जनआशाओं की पूर्ति करनी चाहिए।

सम्मान समारोह

सम्मान समारोह में विधानसभा उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों को सम्मानित करके अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन किया गया है। जिस समाज में विभूतियों का सम्मान नहीं होता उस समाज की संस्कृति नष्ट हो जाती है।  डा. विवेकी राय को आंचलिक पत्रकारिता युगपुरूष सम्मान, गुंजेश्वरी प्रसाद को लम्बी सेवा के लिए शार्प रिपोर्टर लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान, दक्षिण भारत में हिन्दी सेवा के लिए डा. बी. हेमलता को परिलेख हिन्दी साधक सम्मान, महेंद्र अश्क को अल्लामा शिब्ली नोमानी स्मृति मनमीत साहित्य सारस्वत सम्मान, समग्र लेखन के लिए पारसनाथ गोवर्धन को परिलेख साहित्य सम्मान, डा. स्वस्ति सिंह को विशिष्ट चिकित्सा के लिए नारी शक्ति सम्मान, डा. के.एन.सिंह को विशिष्ट सेवा सम्मान दिया गया।  इस अवसर पर ऋषभदेव शर्मा , डा. रविन्द्र नाथ राय, कृष्ण मोहन उपाध्याय, संजय श्रीवास्तव, सुभाष चन्द्र सिंह, एस के दत्ता, डा. दिग्विजय सिंह राठौर, दीपनारायण मिश्र, विजय नारायण, बीरेन्द्र सिंह आदि उपस्थित थे। संचालन अमन त्यागी एवं धन्यवाद ज्ञापन अरविन्द सिंह ने किया।

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