पूर्णता एक विक्षिप्त विचार है। भ्रष्ट न होने वाली बात मूर्ख पोलक पोप के लिए उचित है पर समझदार लोगों के लिए नहीं। बुद्धिमान व्यक्ति समझेगा कि जीवन एक रोमांच है, प्रयास और गलतियां करते हुए सतत अन्वेषण का रोमांच। यही आनंद है, यह बहुत रसपूर्ण है! मैं नहीं चाहता कि तुम परफेक्ट हो जाओ। मैं चाहता हूं कि तुम जितना संभव हो उतना परफेक्टली, इनपरफेक्ट होओ। अपने अपूर्ण होने का आनंद लो! अपने सामान्य होने का आनंद लो!
तथाकथित “ह़िज होलीनेसेस’ से सावधान–वे सभी “ह़िज फोनीनेसेस’ हैं। यदि तुम ऐसे बड़े शब्द पसंद करते हो “ह़िज होलीनेस’ तो ऐसा टायटल बनाओ “ह़िज वेरी ऑर्डिनरीनेस’–एच वी ओ, न कि एच एच! मैं सामान्य होना सिखाता हूं। मैं किसी तरह के चमत्कार का दावा नहीं करता; मैं साधारण व्यक्ति हूं। और मैं चाहता हूं कि तुम भी बहुत सामान्य बनो ताकि तुम इन दो विपरीत वों से मुक्त हो सको : अपराध बोध और पाखंड से। ठीक मध्य में स्वस्थचित्तता है।
एफबी के OSHO Hindi पेज से साभार.