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उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा लखनऊ में ’RTI भवन’ के उद्घाटन का विरोध करेंगे समाजसेवी

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सरकार ने सरकारी खजाने से लगभग 25 करोड़ की भारी-भरकम रकम खर्च करके राज्य सूचना आयोग के लिए सभी अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस बिल्डिंग बना तो दी और इसे ‘RTI भवन’ का एक अच्छा सा नाम भी दे दिया पर लगता है कि उद्घाटन को लेकर इस  ‘RTI भवन’ की किस्मत कुछ ठीक नहीं है l  पहले इस ‘RTI भवन’ का उद्घाटन सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों बीते 11 अप्रैल को  होना था पर सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध आरटीआई कार्यकर्ताओं  द्वारा उसी दिन ‘RTI भवन’ के मुख्य द्वार के सामने सभी सूचना आयुक्तों का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन करने के ऐलान के चलते अखिलेश ने कार्यक्रम से अपने हाथ पीछे खींच लिए और 11 अप्रैल से आयोग का विधिवत कार्य ‘RTI भवन’ का उद्घाटन हुए बिना ही आरम्भ हो गया थाl

<p>लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सरकार ने सरकारी खजाने से लगभग 25 करोड़ की भारी-भरकम रकम खर्च करके राज्य सूचना आयोग के लिए सभी अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस बिल्डिंग बना तो दी और इसे ‘RTI भवन’ का एक अच्छा सा नाम भी दे दिया पर लगता है कि उद्घाटन को लेकर इस  ‘RTI भवन’ की किस्मत कुछ ठीक नहीं है l  पहले इस ‘RTI भवन’ का उद्घाटन सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों बीते 11 अप्रैल को  होना था पर सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध आरटीआई कार्यकर्ताओं  द्वारा उसी दिन ‘RTI भवन’ के मुख्य द्वार के सामने सभी सूचना आयुक्तों का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन करने के ऐलान के चलते अखिलेश ने कार्यक्रम से अपने हाथ पीछे खींच लिए और 11 अप्रैल से आयोग का विधिवत कार्य ‘RTI भवन’ का उद्घाटन हुए बिना ही आरम्भ हो गया थाl</p>

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सरकार ने सरकारी खजाने से लगभग 25 करोड़ की भारी-भरकम रकम खर्च करके राज्य सूचना आयोग के लिए सभी अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस बिल्डिंग बना तो दी और इसे ‘RTI भवन’ का एक अच्छा सा नाम भी दे दिया पर लगता है कि उद्घाटन को लेकर इस  ‘RTI भवन’ की किस्मत कुछ ठीक नहीं है l  पहले इस ‘RTI भवन’ का उद्घाटन सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हाथों बीते 11 अप्रैल को  होना था पर सूचना आयुक्तों की कार्यप्रणाली से क्षुब्ध आरटीआई कार्यकर्ताओं  द्वारा उसी दिन ‘RTI भवन’ के मुख्य द्वार के सामने सभी सूचना आयुक्तों का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन करने के ऐलान के चलते अखिलेश ने कार्यक्रम से अपने हाथ पीछे खींच लिए और 11 अप्रैल से आयोग का विधिवत कार्य ‘RTI भवन’ का उद्घाटन हुए बिना ही आरम्भ हो गया थाl

अब भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा आगामी 8 जुलाई को ’RTI भवन’ का उद्घाटन करने की रजामंदी देने के साथ ही आरटीआई कार्यकर्ताओं का एक नया ऐलान राजधानी लखनऊ के पॉश इलाके गोमतीनगर के विभूतिखंड में उच्च न्यायालय के नए परिसर के पास बने इस ‘RTI भवन’ के उद्घाटन समारोह पर एक बार फिर ग्रहण लगा सकता है l गौरतलब है कि सूबे की चर्चित आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग  में महिला यौन-उत्पीडन मामलों की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार विशाखा समिति बनाने और आयोग की सभी कार्यवाहियों की शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग कराने,इन रिकॉर्डिंग्स को आईटी एक्ट में प्राविधानित समय तक संरक्षित रखकर किसी भी पक्ष द्वारा मांगे जाने पर उपलब्ध कराने के लिए अपने सामाजिक संगठन ‘येश्वर्याज सेवा संस्थान’ के माध्यम से एक मुहिम छेड़ रखी है l बीते 11 अप्रैल को उर्वशी के ही नेतृत्व में यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त समेत सभी सूचना आयुक्तों का पुतला दहन किया गया थाl

सामाजिक संगठन येश्वर्याज सेवा संस्थान की सचिव उर्वशी शर्मा ने अब इन मांगों को लेकर अपनी संस्था की ओर से ऐलान किया है कि वे आगामी 8 जुलाई को आरटीआई कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों को ‘आरटीआई भवन’ के मुख्यद्वार पर काले कपड़ों में  इकठ्ठा करेंगी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को काले झंडे दिखाकर ’RTI भवन’ के उद्घाटन का विरोध करेंगी l उर्वशी ने बातचीत में बताया कि उन्होंने उपराष्ट्रपति को एक पत्र भी भेजा है जिसमें उन्होंने हामिद अंसारी से अनुरोध किया है कि वे उद्घाटन से पूर्व आयोग में विशाखा समिति बनाने और आयोग की सभी कार्यवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने संबंधी आरटीआई कार्यकर्ताओं की मांगों को पूरा कराये बिना ‘आरटीआई भवन’ का उद्घाटन करने न आयें अन्यथा आरटीआई कार्यकर्ताओं को काले कपडे पहन काले झंडे दिखाकर उनका विरोध प्रदर्शन करने को विवश होना पड़ेगाl

उर्वशी ने बताया कि यदि उपराष्ट्रपति उनके संगठन की इन मांगों को आगामी उद्घाटन समारोह से पहले पूरा करा देते हैं तो सूबे के आरटीआई कार्यकर्ता उनके लखनऊ आगमन पर उनके जोरदार स्वागत के लिए तत्पर रहेंगे lबिना मांगे पूरी हुए ही हामिद अंसारी के द्वारा उद्घाटन समारोह में शिरकत करने के लिए आने पर इस मुद्दे पर उनको काले झंडे दिखाते हुए अपनी गिरफ्तारी देकर जेल जाने और उपरोक्त मांगें पूरी न होने तक अपनी जमानत भी नहीं कराने की बात भी उर्वशी ने अपने इस पत्र में लिखी हैl

हामिद अंसारी से मार्मिक अपील करते हुए उर्वशी ने लिखा है कि देश के उपराष्ट्रपति होने के नाते यह उनका नैतिक और पदीय दायित्व है कि वे ऐसे किसी भी भवन का उद्घाटन करने के लिए तब तक न जाएँ जब तक वहां महिलाओं का और पारदर्शिता के सिपाहियों का उत्पीडन बंद होने के और अब तक हुए उत्पीडन के मामलों की जांच और कार्यवाही के मुकम्मल इंतजामात नहीं हो जाते हैl उर्वशी ने बताया कि उनको विश्वास है कि उपराष्ट्रपति द्वारा इस सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश जारी कर उनके संगठन की मांगे पूरी कराकर इसकी सूचना 08 जुलाई 2016 से पूर्व उन्हें दे दी जायेगी और उन्हें उपराष्ट्रपति का विरोध नहीं करना पड़ेगा किन्तु यदि आयोग में पारदर्शी कार्यप्रणाली स्थापित करने संबंधी उनके संगठन की ये मांगे पूरी नहीं होती है तो वे आरटीआई आवेदकों को उनका वेबजह होने बाला उत्पीडन रुकबाने के उनके हक़ की आबाज बुलंद करने के लिए उपराष्ट्रपति को काले झंडे दिखाकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए देश भर के महिला और पुरुष आरटीआई कार्यकर्ताओं को  लामबंद कर रही हैंl

उर्वशी ने बताया कि उनके द्वारा किये गए पुतला दहन के दिन ही उत्तर प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी को RTI’RTI भवन’ का उद्घाटन करने के लिए पत्र लिखा था जिस पर अंसारी ने  अपने पत्र संख्या VPIVPI-04/02/2016  दिनांक  27 अप्रैल 2016 द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग की नई बिल्डिंग ‘आरटीआई भवन’ का उद्घाटन आगामी 08 जुलाई 2016  को करने के लिए अपनी सहमति दे दी है जिसके सन्दर्भ से उन्होंने उपराष्ट्रपति को यह पत्र लिखकर उनको अवगत कराया है कि आरटीआई प्रयोगकर्ताओं द्वारा यूपी के लोक प्राधिकरणों के भ्रष्टाचार से सम्बंधित सूचना मांगने के मामलों के आयोग में आने पर उत्तर प्रदेश के सूचना आयुक्त राज्य सरकार के एजेंटो के रूप में कार्य करते हैं और ऐसी सूचनाएं सार्वजनिक होने से रोकने के दुरुद्देश्य से आरटीआई प्रयोगकर्ताओं, जिनमें महिलायें भी शामिल हैं, के साथ अपने स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर दुर्व्यवहार तो करते ही हैं,साथ ही साथ उलटे इन्हीं पीड़ित  आरटीआई प्रयोगकर्ताओं को ‘सरकारी कार्य में बाधा डालने’ और ‘सूचना आयुक्तों से दुर्व्यवहार’ करने जैसे आरोप लगाकर पुलिस कार्यवाही करा देते हैंl

उर्वशी ने लिखा है कि यूपी के सूचना आयुक्त आरटीआई एक्ट को जानते तो नहीं ही हैं और यदि कोई आरटीआई आवेदक एक्ट के प्राविधानों का जिक्र करते हुए सूचना दिलाने की मांग करता है तो सूचना आयुक्त उस पर ‘आरटीआई का धंधेबाज’ और ‘ब्लैकमेलर’ होने जैसे आरोप लगाकर आवेदक द्वारा सुनवाई के दौरान बहस करने के संवैधानिक अधिकार को स्वयं पर ‘बेजा दबाब’ बनाने की संघ्या देते हैं और उसे बेइज्जत करके सुनवाई कक्ष से निकाल देते हैंl

उर्वशी ने हामिद अंसारी को यह भी बताया है कि यूपी की वर्तमान सपा सरकार की पूर्ववर्ती बसपा सरकार के समय उनके संगठन ने अन्य सामाजिक संगठनों के साथ एक लम्बी लड़ाई लड़कर यूपी के इंदिरा भवन लखनऊ स्थित परिसर में सूचना आयुक्तों की सुनवाइयों की शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग आरम्भ कराई थी परन्तु अपने भ्रष्ट हित साधने के लिए वर्तमान आयुक्तों द्वारा इन सीसीटीवी कैमरों को बंद करा दिया गया था और सीसीटीवी कैमरे बंद होते ही सूचना आयुक्तों ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत आरटीआई आवेदकों का उत्पीडन आरम्भ कर दिया और उनके संगठन को  यूपी के सूचना आयोग की कार्यवाहियों की वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग पुनः उठाने को बाध्य होना पड़ा। उर्वशी ने लिखा है कि उनको पूरी उम्मीद थी कि आम जनता के टैक्स के लगभग 25 करोड़ रुपये फूंककर बनाए गए नए ‘आरटीआई भवन’ में सूचना आयुक्तों की सुनवाइयों की शत-प्रतिशत वीडियो रिकॉर्डिंग की मुकम्मल व्यवस्था होगी किन्तु दुर्भाग्य है कि इस ‘आरटीआई भवन’ में जनता पर नज़र रखने के लिए कैमरे हैं, आयुक्तों की सुख-सुविधा के सभी साधन हैं पर सुनवाइयों में सूचना आयुक्तों के कार्य व्यवहार और प्रपंच पर नज़र रखने के लिए एक भी कैमरा नहीं हैl

उर्वशी ने लिखा है कि इससे व्यथित होकर ही सूबे के आरटीआई कार्यकर्ताओं ने उनकी  अगुआई में ‘आरटीआई भवन’ में सुनवाई आरम्भ होने के दिन 11 अप्रैल 2016 को प्रातः 11:00 बजे इस भवन के मुख्य द्वार के सामने इकठ्ठा होकर मुख्य सूचना आयुक्त समेत सभी सूचना आयुक्तों का पुतला दहन कर आयोग में विशाखा समिति बनाने और वीडियो रिकॉर्डिंग कराने की मांगें बुलंद कीं थीं पर अभी तक इस दिशा में कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है। उपराष्ट्रपति को संबोधित इस पत्र की प्रति देश के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सूबे के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी, सूचना आयोग के सचिव, पुलिस महानिदेशक को भेजते हुए इसकी सूचना लखनऊ के जिला प्रशासन को भी डाक के माध्यम से और ई-मेल से भी भेजी गयी हैl

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