बलात्कारी राम रहीम के बाद आज बलात्कारी आसाराम का हश्र देखकर किसी को भी बहुत खुश होने की ज़रुरत नहीं है। ये लोग व्यक्ति नहीं, हम पुरुषों के भीतर की दमित इच्छाओं और यौन विकृतियों की बेशर्म अभिव्यक्ति मात्र हैं। राम रहीम और आसाराम थोड़े-बहुत प्रायः सभी पुरुषों के भीतर मौजूद हैं।