Connect with us

Hi, what are you looking for?

ये दुनिया

मौजूदा मोदी सरकार में इतनी भी हिम्मत नहीं….

Daya Sagar : तो आप देखिए भारत सरकार ने चीनी एक्टविस्ट डोल्कुन ईसा का वीजा रद कर दिया। चीन भारत के इस कदम का विरोध कर रहा था। ईसा साहब आजादी और लोकतंत्र पर हमारे धर्मशाला में होने वाली एक कान्फ्रेंस में हिस्सा लेने आ रहे थे। लेकिन चीन की नजर में ईसा आतंकवादी हैं जैसे उसकी नजर में दलाईलामा एक आतंकी नेता हैं। ईसा को वीजा मिलने का सबसे ज्यादा विरोध हमारे कामरेड दोस्त कर रहे थे जो रात दिन- लेकर रहेंगे आजादी- का कोरस गाते हैं। बताते चलें कि आतंकी ईसा पर कत्लो गारत का आज तक कोई आरोप नहीं है।

<p>Daya Sagar : तो आप देखिए भारत सरकार ने चीनी एक्टविस्ट डोल्कुन ईसा का वीजा रद कर दिया। चीन भारत के इस कदम का विरोध कर रहा था। ईसा साहब आजादी और लोकतंत्र पर हमारे धर्मशाला में होने वाली एक कान्फ्रेंस में हिस्सा लेने आ रहे थे। लेकिन चीन की नजर में ईसा आतंकवादी हैं जैसे उसकी नजर में दलाईलामा एक आतंकी नेता हैं। ईसा को वीजा मिलने का सबसे ज्यादा विरोध हमारे कामरेड दोस्त कर रहे थे जो रात दिन- लेकर रहेंगे आजादी- का कोरस गाते हैं। बताते चलें कि आतंकी ईसा पर कत्लो गारत का आज तक कोई आरोप नहीं है।</p>

Daya Sagar : तो आप देखिए भारत सरकार ने चीनी एक्टविस्ट डोल्कुन ईसा का वीजा रद कर दिया। चीन भारत के इस कदम का विरोध कर रहा था। ईसा साहब आजादी और लोकतंत्र पर हमारे धर्मशाला में होने वाली एक कान्फ्रेंस में हिस्सा लेने आ रहे थे। लेकिन चीन की नजर में ईसा आतंकवादी हैं जैसे उसकी नजर में दलाईलामा एक आतंकी नेता हैं। ईसा को वीजा मिलने का सबसे ज्यादा विरोध हमारे कामरेड दोस्त कर रहे थे जो रात दिन- लेकर रहेंगे आजादी- का कोरस गाते हैं। बताते चलें कि आतंकी ईसा पर कत्लो गारत का आज तक कोई आरोप नहीं है।

जरा ये समझ लीजिए कि ये डोल्कुन ईसा हैं कौन? ये साहब चीन के मुस्लिम बाहुल्य शिनजियांग प्रान्त के इस्लामी उइगर जाति के जनवादी नेता हैं |वे साम्राज्यवादी चीन के चंगुल से अपने प्रदेश शिनजियांग को आजाद करना चाहते हैं। जैसे बलुचिस्तान पाक से आज़ादी के लिए छटपटा रहा है। चीनी की आबादी के सामने उइगर मुसलमानों की आबादी न के बराबर है। लेकिन उनके विरोधी तेवर और स्वर के कारण चीन के बहुसंख्यक उन्हें मिटा देना चाहते हैं।

चीन के मुस्लिम उइगर लोग सिर्फ इतना चाहते हैं उन्हें जुम्मे की नमाज मस्जिदों में अदा करने दी जाए। वजू करने के लिए उन्हें नल का पानी मिले। हज यात्रियों की संख्या में की गई कटौती खत्म हो। पचास वर्ष से कम आयु वालों को हज पर जाने की इजाजत वापस दी जाए। अठारह वर्ष से कम उम्रवालों को मस्जिद प्रवेश की इजाजत दी जाए। उनकी मातृभाषा तुर्की को सीखने पर जो पाबंदी लगी है उसे हटा ली जाए। उनपर चीनी भाषा न थोपर जाए। उइगर साहित्य को अरबी लिपि में ही रहने दिया जाए, मजहबी किताबों की बिक्री पर लगी रोक उठा ली जाए। पाक कुरान पर सरकारी संस्करण न थोपा जाए। बंद मदरसों के ताले खोल दिए जाएं। अकीदतमंदों को जबरन नास्तिक न बनाया जाए। सरकारी दफ्तरों में नमाज पढ़ने के लिए थोड़े देर की छुट्टी दी जाए जैसे भारत में दी जाती है।

अब देखिए आप कितनी लोकतंत्रिक मांगे हैं ईसा की। लेकिन उनके समर्थन में भारत का कोई बुद्धिजीवी, कोई मुस्लिम लीडर नहीं खड़ा है। कहा जा रहा था कि संयुक्त राष्ट्र में जैश ए मुहम्मद के मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने के प्रस्ताव को चीन द्वारा वीटो किए जाने का बदला भारत सरकार ईसा को वीजा देकर निकाल रहा है। लेकिन ये कयास गलत निकला। मौजूदा सरकार में इतनी हिम्मत भी नहीं है।

अमर उजाला शिमला के संपादक दयाशंकर शुक्ल सागर के फेसबुक वॉल से.

You May Also Like

Uncategorized

मुंबई : लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामले में मुंबई सेशन कोर्ट ने फिल्‍म अभिनेता जॉन अब्राहम को 15 दिनों की जेल की सजा...

ये दुनिया

रामकृष्ण परमहंस को मरने के पहले गले का कैंसर हो गया। तो बड़ा कष्ट था। और बड़ा कष्ट था भोजन करने में, पानी भी...

ये दुनिया

बुद्ध ने कहा है, कि न कोई परमात्मा है, न कोई आकाश में बैठा हुआ नियंता है। तो साधक क्या करें? तो बुद्ध ने...

दुख-सुख

: बस में अश्लीलता के लाइव टेलीकास्ट को एन्जॉय कर रहे यात्रियों को यूं नसीहत दी उस पीड़ित लड़की ने : Sanjna Gupta :...

Advertisement