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अखबार मालिक का दिया चेक हुआ बाउंस, पढ़िए नाराज़ संपादक ने क्या कुछ लिखा…

Mukund Mitr : और वही हुआ… संपथ, आप मेरे आरोपी हो….. प्रयुक्ति अख़बार के मालिक संप थ कुमार सु रप्पागरि अब तो यह पक्का हो गया कि आप अब मेरे भी आरोपी हो। मेरे आरोप हैं–

1-आपने प्रयुक्ति के करंट अकाउंट में पैसा न होने के बावजूद मुझे 3 नवम्बर 2018 को 30 नवम्बर 2018 का चेक काट कर दिया। यह तीन माह के वेतन का है। एक लाख 35 हजार का आपके वादे के मुताबिक आज मैंने अपने अकाउंट में लगा दिया।

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2- मुझे बैंक से बताया गया कि अकाउंट में पैसा नहीं है। केवाईसी कराने का मैसेज मेरे मोबाइल पर बैंक ने भेजा। मैंने स्लिप लेकर चेक को ड्रॉप बॉक्स में डाल दिया।

3- आप जुलाई 2018 से अब तक मुझे और मेरे परिवार को मानसिक और आर्थिक यंत्रणा दे रहे हो।

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4- आज मुझे गहरा मानसिक आघात लगा है। और अगर मुझे कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार सिर्फ आप और विनय कुमार गु ली होंगे।

5- अगर आपके खाते में पैसा नहीं था तो आपने चेक क्यों काट कर दिया।

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(चेक बाउंस के एक पुराने मामले में कोर्ट में पेशी पर आए संपथ की फाइल तस्वीर)

6- मेरा आरोप है कि आपने जानबूझकर मुझे यंत्रणा देने के लिए ऐसा किया है।

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7- आपने 31 अक्टूबर 2018 को लिखित सूचना दी थी। आपने इसके विषय में लिखा – आकस्मिक प्रकाशन स्थगन एवम् सभी के सम्पूर्ण वेतन एवं अन्य डियुज के भुगतान * भविष्य निधि* समेत। इसके अलावा संपादकीय विभाग, डिजाइनिंग विभाग, फोटो विभाग, रिपोर्टिंग विभाग, विज्ञापन विभाग, वेब और आई टी विभाग के जुलाई 2018, अगस्त 2018, सितम्बर 2018 एवं अक्टूबर 2018 के सम्पूर्ण भुगतान के निर्वहन कि सूचना।

8 – इसमें आपने शुरू में लिखा – आप सभी ने अब तक सहयोग किया। उसके लिए प्रबंधन आप सबका आभार व्यक्त करता है। आप सभी के सम्पूर्ण डयुज बकाया वेतन समेत 30 नवम्बर 2018 तक क्लियर कर दिए जाएंगे। जुलाई 2018 के वेतन का भुगतान आज ही कर दिया जाएगा।

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9 – ऐसा ही पत्र आपने प्रसार विभाग को 1 नवम्बर 2018 को सौंपा। इसमें आपने सभी का समस्त भुगतान 15 दिसम्बर 2018 तक करने का वादा किया।

10 – मेरा आरोप है कि इनमें से आपने कोई भी लिखित घोषणा पूरी नहीं की।

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11 – आपने समस्त स्टाफ को मानसिक यंत्रणा दी है।

12 – मुझे दिया गया फाइनल सेटलमेंट लेटर का कोई उप बन्ध पूरा नहीं किया गया।

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13 – अब आपके चेहरे का नकाब पूरी तरह उतर चुका है।

14 – यह साबित हो गया कि आप शोषक हो।

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15 – यह भी साबित हो गया कि आप जानबूझकर कानून तोड़ रहे हो। कानून का पालन कराने वाली पहली इकाई पुलिस को भी आप बदनाम कर रहे हो।

16 – आप कर्मचारियों को डरा रहे हो कि उनके खिलाफ झूठी शिकायत करोगे कि लोग वेतन के लिए तंग कर रहे हो।

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17 – सम्पथ कुमार जी इस देश में कानून का राज चलता है। कानून के मन्दिर का एक चाबुक इनसान को औकात बता देता है।

18 – चेक बाउंस के एक मामले में यह भुगत चुके हो।

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19- झूठे हो। धोखेबाज हो। अमानत में ख़यानत करने वाले हो। कानून तोड़ते हो। शोषक हो।

20- बातों से धंधा नहीं चलता। झूठे वादों से कम्पनी नहीं चलती। कानून तोड़ने से कुछ समय तक तो आंखों में धूल झोंक सकते हो। मगर याद रखो मेहनत मजदूरी मारने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता। कभी नहीं।

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मुकुंद

स्थानीय संपादक

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प्रयुक्ति

ऐसे अख़बार का स्थानीय संपादक जिसका मालिक शोषक है।

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सौजन्य : फेसबुक

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