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सुख-दुख

क्या संजय गुप्ता की टांग टूट गई है?

Shrikant Singh : दैनिक जागरण के कर्मचारियों की बददुआ का असर देखिए.. सुना है कि संजय गुप्‍ता का पैर टूट गया है। समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर दुखी हुआ जाए या खुश। हां चिंता जरूर हो रही है कि वह अपने पैरों पर चल कर जेल कैसे जा पाएंगे। शायद भगवान उनका साथ अब छोड़ने लगे हैं। दरअसल, जो मालिक अपने आश्रित कर्मचारियों का हक मारता है, उसकी यही दशा होती है। शनि महाराज ऐसे लोगों से तत्‍काल नाराज हो जाते हैं और पहले अपना प्रभाव पैर पर ही दिखाते हैं। शनि का प्रतिकूल प्रभाव दूर करने के लिए पैदल चलना जरूरी होता है, लेकिन शनि महाराज कोई बुड़बक थोड़े ही हैं। शायद इसीलिए वह पहला प्रहार पैरों पर ही करते हैं। सही गाना है-पैर ही जब साथ न दें तो मुसाफिर क्‍या करे।

<p>Shrikant Singh : दैनिक जागरण के कर्मचारियों की बददुआ का असर देखिए.. सुना है कि संजय गुप्‍ता का पैर टूट गया है। समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर दुखी हुआ जाए या खुश। हां चिंता जरूर हो रही है कि वह अपने पैरों पर चल कर जेल कैसे जा पाएंगे। शायद भगवान उनका साथ अब छोड़ने लगे हैं। दरअसल, जो मालिक अपने आश्रित कर्मचारियों का हक मारता है, उसकी यही दशा होती है। शनि महाराज ऐसे लोगों से तत्‍काल नाराज हो जाते हैं और पहले अपना प्रभाव पैर पर ही दिखाते हैं। शनि का प्रतिकूल प्रभाव दूर करने के लिए पैदल चलना जरूरी होता है, लेकिन शनि महाराज कोई बुड़बक थोड़े ही हैं। शायद इसीलिए वह पहला प्रहार पैरों पर ही करते हैं। सही गाना है-पैर ही जब साथ न दें तो मुसाफिर क्‍या करे।</p>

Shrikant Singh : दैनिक जागरण के कर्मचारियों की बददुआ का असर देखिए.. सुना है कि संजय गुप्‍ता का पैर टूट गया है। समझ में नहीं आ रहा है कि इस पर दुखी हुआ जाए या खुश। हां चिंता जरूर हो रही है कि वह अपने पैरों पर चल कर जेल कैसे जा पाएंगे। शायद भगवान उनका साथ अब छोड़ने लगे हैं। दरअसल, जो मालिक अपने आश्रित कर्मचारियों का हक मारता है, उसकी यही दशा होती है। शनि महाराज ऐसे लोगों से तत्‍काल नाराज हो जाते हैं और पहले अपना प्रभाव पैर पर ही दिखाते हैं। शनि का प्रतिकूल प्रभाव दूर करने के लिए पैदल चलना जरूरी होता है, लेकिन शनि महाराज कोई बुड़बक थोड़े ही हैं। शायद इसीलिए वह पहला प्रहार पैरों पर ही करते हैं। सही गाना है-पैर ही जब साथ न दें तो मुसाफिर क्‍या करे।

शनि महाराज का अगला प्रहार धन और संपदा पर होता है। क्‍योंकि कोई व्‍यक्ति जिस धन और संपदा के घमंड में चूर हो जाता है और उसका इस्‍तेमाल अन्‍याय के लिए करने लगता है तो शनि महाराज वह धन संपदा ही छीन लेते हैं। शनि महाराज को दंडाधिकारी माना जाता है। एक ऐसी अदालत जहां संजय गुप्‍ता जैसे लोगों के दंद-फंद काम नहीं आते हैं। हालांकि शनि महाराज एकायक दंड नहीं देते हैं। पहले वह चेताते हैं, ठीक उसी प्रकार जैसे सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्‍यायाधीश चेता रहे हैं और संजय गुप्‍ता सीधा रास्‍ता न चलकर अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।

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आपको याद होगा कि संजय गुप्‍ता कश्‍मीर की बाढ़ में फंस गए थे और भगवान से जीवन की भीख मांग रहे थे। भगवान ने उन्‍हें जीवन तो दे दिया, लेकिन उन्‍होंने मजीठिया नहीं दिया, जिसके चक्‍कर में एक कर्मचारी को अपना जीवन गंवाना पड़ा। यह मामला तूल पकड़ने लगा है और 22 फरवरी को उसे सुप्रीम कोर्ट में उठाया जा रहा है। केस नंबर है-109। हरपाल सिंह व अन्‍य बनाम संजय गुप्‍ता व अन्‍य। संजय गुप्‍ता जी अभी भी समय है और संभल जाइए। न्‍याय की राह पर आ जाइए। वर्ना-सबकुछ लुटा के होश में आए तो क्‍या हुआ।

जो व्‍यक्ति शनि के प्रभाव में होता है, उसका साथ देने वाले की भी दुर्दशा होने लगती है। उसका उदाहरण हैं हमारे विश्‍व प्रसिद्ध पीएम नरेंद्र मोदी। संजय गुप्‍ता का साथ क्‍या दे दिए, बेचारे केंद्र की सत्‍ता हथियाने के बाद दिल्‍ली से हारना शुरू किए तो बिहार तक हारते चले गए। दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंसान बराक ओबामा भी उनके किसी काम नहीं आ सके। इसी को कहते हैं-देवता-पित्‍तर सब झूठा। जब परमेश्‍वर रूठा। मोदी जी अब मुसीबत जी बन कर रह गए हैं। जेएनयू, जाट आरक्ष्‍ण की आग, विरोध और विद्रोह की आग। आग से कितना बचेंगे मोदी जी। गर्मी आ रही है और आग बहुत गरम होती है। उससे भी ज्‍यादा गरम होती है गरीब के पेट की आग। वह गरीब हो ही नहीं, सारी कायनात को जलाकर भस्‍म कर देती है। इसलिए मोदी जी गरीब पत्रकारों के पेट की आग को पहचानें। वह आपकी ही ओर बढ़ रही है। आप भी-सबकुछ जलाके होश में आएं तो क्‍या हुआ। जय हिंद। जय भारत।

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दैनिक जागरण नोएडा में मुख्य उपसंपादक पद पर कार्यरत रहे पत्रकार श्रीकांत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Makera

    February 21, 2016 at 7:59 pm

    Wah Shrikant ji wah… Mazaa aa gaya aapke iss Lekh ko padh kar. Sachmuch aap Dhanya hain aur Hamarey Yashvant ji Humlogon ke beech “Murdhanya” hain, jo Badmaashon ki Karguzariyon ko Apney Bhadas ke Madhyam se ek “Jagah (Platform)” dete hain.
    Shrikant ji, aapney 500% sahi likkha hai.. “Pet ki aag”, “Shani Maharaj ki Tedhi Nazar” aur Gupta ki “Tangon Par Asar”… Mazaa aa gaya. Badi hi Khubsoorti se aapney “Shabdon ko apney Kalam se Sajaya hai”. Apko iskey liye Sadhuvad…. Jai Hind.

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