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संजय शुक्ला ने ‘नई दुनिया’ में की अपने करीबियों की भर्ती, बड़े पैमाने पर आंतरिक उथल-पुथल जारी

भोपाल। नईदुनिया में बिजनेस हेड के रूप में दो वर्ष पहले नियुक्त किए गए संजय शुक्ला ने उत्तराखंड के अपने परिचितों और हिंदुस्तान में साथ काम करने वालों को बड़ी संख्या में भर्ती कर लिया। सबको मुंहमांगा पैसा देकर लाया गया है। प्रमाणों के साथ हुई शिकायतों के बाद अब दिल्ली और कानपुर की दो अलग-अलग टीमों ने जांच शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में जागरण समूह की एचआर हेड नीतू झा ने पिछले दिनों नईदुनिया के मुख्यालय इंदौर में चार दिन का पड़ाव डाला था। एचआर की रिपोर्ट के बाद शुक्ला को पिछले दिनों कानपुर बुलाया गया था।
पिछले दो वर्षों में नईदुनिया में मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ में लगभग सभी यूनिट हेड बदल दिए गए। इसके पीछे कारण बताया गया कि वे सभी सक्षम नहीं थे। ठीक इसी प्रकार सर्कुलेशन प्रभारियों को भी बदला गया। वजह बताई गई वे भी काम के नहीं थे। इसके बाद प्रबंधन को भरोसे में लिए बगैर संजय शुक्ला ने अपने करीबियों को उपकृत करना शुरू किया। बताया जा रहा है कि उत्तराखंड से एक आदमी ने आते ही दूसरे के लिए जगह बनाना शुरू कर दी। इसके लिए झूठी शिकायतों का खूब इस्तेमाल किया गया। जब प्रबंधन को अपेक्षा के अनुसार परिणाम नहीं मिला तो उसने जांच शुरू की, इसी के बाद ये सारे खुलासे होना शुरू हुए।

प्रसार विभाग में सामने आई सबसे ज्यादा गड़बड़ी
नईदुनिया में प्रसार हेड के तौर पर राजेश तोमर काम कर रहे थे। तोमर मप्र के रहने वाले थे और छत्तीसगढ़ को भी अच्छे से समझते थे, इसी का फायदा नईदुनिया को मिला और अखबार ने शुरू के तीन साल में काफी अच्छी तरक्की कर ली थी। दैनिक जागरण में संजय शुक्ला को नईदुनिया में लाने के लिए लॉबिंग की गई। अपने करीबियों को लाने की जुगाड़ के कारण शुक्ला ने एक-एक कर सभी यूनिट में काम करने वालों को बिना किसी कारण निशाना बनाना शुरू किया और धीरे-धीरे हटाकर अपने लोगों को भरना शुरू कर दिया। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के मार्केट को नहीं समझने वाले इन लोगों ने आते ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और सालों से काम कर रहे नईदुनिया के कर्मचारियों और एजेंटों को परेशान करना शुरू कर दिया। आज स्थिति यह है कि अधिकतर सेंटर्स पर नईदुनिया प्रबंधन कानूनी केस लड़ रहा है। इसमें कई बड़े सेंटर्स शामिल हैं। अब एचआर डिपार्टमेंट ने जांच शुरू कर दी है।


नहीं टिक रहा एक भी यूनिट मैनेजर
जबलपुर, ग्वालियर, बिलासपुर जैसे छोटी यूनिट छोड़ भी दें तो रायपुर जैसी यूनिट में ही पिछले दो साल में तीन यूनिट हेड बदल दिए गए। इसी तरह नईदुनिया के मुख्यालय इंदौर में भी चार यूनिट मैनेजर संस्थान छोड़कर जा चुके हैं। लोगों का कहना है शुक्ला और उसकी लाई हुई टीम एसी कमरों में बैठकर केवल ईमेल कर पसीना बहा रही है। एक काम के लिए पांच बेकार बैठे लोगों को पीछे लगा दिया जाता है और ये लोग केवल फोनकर फालोअप लेते रहते हैं। यूनिट की बिलिंग जमीन पर आ गई है।

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विवाद की जड़ में ऑपरेशन हेड का पद
दैनिक जागरण या नईदुनिया में अब तक बिजनेस हेड सीधे यूनिट को नियंत्रित करता था। इसके अलावा जरूरत होने पर पूरे ग्रुप के लिए एक मार्केटिंग हेड का पद होता था। संजय शुक्ला ने नईदुनिया आने के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन हेड नाम से दो नए पद बनाए और दोनों ही पदों को बराबर यूनिट में बाट दिया। नईदुनिया से हाल ही में यूनिट हेड स्तर की जिम्मेदारी छोड़कर बाहर गए साथी सबूत के साथ यह खुलासे कर रहे हैं और खुलकर बता रहे हैं कि नईदुनिया में एक ही काम को करने वाला केवल एक व्यक्ति है लेकिन उसका हिसाब लेने वाले चार ठेकेदार खड़े हो गए हैं। ये काम तो कुछ भी नहीं करते लेकिन काम करने वालों के रास्ते में रुकावट इतनी डाल देते हैं कि काम और काम का माहौल दोनों ही खत्म हो जाता है। दिल्ली और कानपुर पहुंची शिकायतों के बाद एचआर की टीम ने नईदुनिया छोड़ चुके कई यूनिट हेड से बात की और परेशानी समझने की कोशिश की है। इस टीम में वे लोग भी शामिल थे जो वर्षों से दैनिक जागरण समूह की सेवा कर रहे थे। बताया जा रहा है कि पूरी रिपोर्ट जानकर जागरण प्रबंधन गंभीर रूप से चिंतित हो गया है। अब चर्चा है कि नए वित्त वर्ष में ऑपरेशन हेड के पद को समाप्त किया जा सकता है।

शुक्ला ने झूठे सपने दिखाए
बिजनेस हेड का पद हथियाने के बाद संजय शुक्ला ने प्रबंधन को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। जैसा कि मैनेजमेंट के लोग आमतौर पर करते हैं। संजय शुक्ला ने भी उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आने के बाद सबसे पहले पुरानी परेशानियां बताना शुरू कर दिया। पूरी योजना बनाकर मैनेजमेंट के सामने एक-एक छोटी से छोटी समस्या को बड़ा बताया और अपनी उपयोगिता साबित करने की कोशिश शुरू कर दी। इस खेल में एक साल निकल गया। फिर यह फंडा लाया गया कि लोकल टीम काम नहीं कर रही है और ना ही सहयोग कर रही है। इसके बाद शुरू हुई अपने लोगों और रिश्तेदारों की भर्ती। ऑपरेशन हेड नरेश पांडे के सगे भाई कमलेश पांडे को बिना किसी अनुभव के ही रिकवरी हेड बना दिया गया। ऑपरेशन हेड यशपाल कपूर के रिश्तेदार गुरुदयाल को उज्जैन यूनिट हेड बनाया गया। खुद संजय शुक्ला के करीबी रिश्तेदार अनुराग जोशी को एक नया पद बनाकर क्लासिफाइड हेड बनाया। संजय शुक्ला, नरेश पांडे और अनुराग जोशी की जोड़ी इसके पहले जागरण और हिंदुस्तान में चर्चा का विषय रह चुकी है। इसी तरह हेमंत आहूजा और निश्चल दीक्षित को भी बड़े पद देकर नियुक्त कर दिया गया। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अब यह चर्चा खुले रूप से हो रही है कि प्रमुख पदों के अलावा अब जिला स्तर पर भी उत्तराखंड के लोगों को बुला बुलाकर मोटी सैलरी के साथ जिम्मेदारी दी जा रही है। बताया जा रहा है कि इन सभी नियुक्तियों में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ियों के बाद ही जागरण प्रबंधन सतर्क हुआ और उसने जांच शुरू करवाई है।




परेशान लोगों ने धड़ल्ले से ठोंका मजीठिया का केस
नईदुनिया में दैनिक जागरण प्रबंधन की रूचि नहीं होने का पूरा लाभ उठाते हुए संजय शुक्ला ने जब लोगों को जानबूझकर परेशान करना शुरू किया तो कुछ लोगों ने बगावती तेवर दिखाते हुए कंपनी के खिलाफ केस कर दिया। मजीठिया केस करने वाले कई लोगों में वे लोग भी शामिल थे जो वर्षों से नईदुनिया प्रबंधन की सेवा कर रहे थे। भोपाल, ग्वालियर, रायपुर और इंदौर के मजीठियाकर्मियों ने पिछले दिनों भोपाल में एक मीटिंग की और संजय शुक्ला की कार्यप्रणाली का कच्चा चिट्ठा तैयार किया। बताया जा रहा है कि अब ये जानकारी लेबर कोर्ट, मजीठिया कोर्ट, हाईकोर्ट और जागरण प्रबंधन को भेजी जाएगी। भोपाल मीटिंग में मजीठिया संघर्ष समिति के वरिष्ठ पत्रकारों के अलावा हाल ही में नईदुनिया से बिना कारण निकाले गए कई कर्मचारियों के अलावा मौजूदा कर्मचारी भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। मीटिंग में इस बात पर भी एक राय बनी कि जल्द ही भोपाल ऑफिस के सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा और अनिश्‍चतकालीन धरना देकर अपनी मांगें मनवाई जाएंगी। इस धरने में जागरण दिल्ली से निकाले गए कर्मचारी भी शामिल होंगे। चर्चा यह भी है कि जागरण समूह से विवाद के बाद अलग हुआ मध्यप्रदेश का जागरण ग्रुप इस धरने को पर्दे के पीछे से समर्थन और आर्थिक सहयोग दे रहा है।


एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.

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