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संजीव पालीवाल की आईबीएन7 से छुट्टी, इनके मोटी सेलरी वाले नाकारा चेले भी जाएंगे

एक बड़ी खबर बीमार न्यूज चैनल आईबीएन7 से आ रही है. कई वर्षों से मोटी सेलरी वाले नाकारा पत्रकारों को संरक्षण देने वाले पत्रकार संजीव पालीवाल को कार्यमुक्त कर दिया गया है. संजीव पालीवाल के कार्यकाल के दौरान ही सैकड़ों कम सेलरी वाले प्रतिभाशाली पत्रकारों को बिना कारण नौकरी से हटा दिया गया और नाकारा मोटी सेलरी वालों को बचा लिया गया. इसी का नतीजा है कि चैनल लगातार डूबता गया और अब भी डूब रहा है. नए मैनेजमेंट ने संजीव पालीवाल को छह माह का समय दिया काम कर साबित करने के लिए लेकिन वह साबित नहीं कर पाए. इस कारण उन्हें चैनल से निकाल बाहर किया गया.

एक बड़ी खबर बीमार न्यूज चैनल आईबीएन7 से आ रही है. कई वर्षों से मोटी सेलरी वाले नाकारा पत्रकारों को संरक्षण देने वाले पत्रकार संजीव पालीवाल को कार्यमुक्त कर दिया गया है. संजीव पालीवाल के कार्यकाल के दौरान ही सैकड़ों कम सेलरी वाले प्रतिभाशाली पत्रकारों को बिना कारण नौकरी से हटा दिया गया और नाकारा मोटी सेलरी वालों को बचा लिया गया. इसी का नतीजा है कि चैनल लगातार डूबता गया और अब भी डूब रहा है. नए मैनेजमेंट ने संजीव पालीवाल को छह माह का समय दिया काम कर साबित करने के लिए लेकिन वह साबित नहीं कर पाए. इस कारण उन्हें चैनल से निकाल बाहर किया गया.

माना जा रहा है कि अब चैनल से वे मोटी सेलरी वाले लोग हटाए जाएंगे जो कई वर्षों से जमे हैं और काम के नाम पर कोई एक खबर कर देते हैं या कोई एक शो बना देते हैं. बाकी शेष वक्त आंतरिक राजनीति बतियाने से लेकर वरिष्ठों की मक्खनबाजी करने में व्यतीत करते हैं. इनमें से कई कम्युनिस्ट बैकग्राउंड के लोग हैं जो अपना ज्यादातर वक्त फेसबुक पर बहसों में या गोष्ठियों-यात्राओं-छुट्टियों आदि में व्यतीत करते हैं. इनका चैनल से बस इतना लेना देना है कि नौकरी बची रहे, सेलरी बढ़ती रहे और बॉस खुश रहें. ये वो लोग हैं जिनके भीतर का प्रयोगधर्मी पत्रकार कब का मर चुका है और पुराने तौर-तरीके को उन्हीं घिसे पिटे शब्दों की चाशनी में लपेट कर नया बनाकर पेश करने की कोशिश करते रहते हैं.

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संजीव पालीवाल के नेतृत्व में इन्हीं आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने पूरे चैनल पर कुंडली मार रखा है और नए लोगों को काम करने से रोकने व असफल साबित करने में पूरी उर्जा कई वर्षों से झोंक रखा है. इसी का नतीजा है कि अच्छे लोग या तो यहां आते नहीं या आते हैं तो इनकी आंतरिक राजनीति के शिकार हो जाते हैं. कई वर्षों से ये चर्चा है कि आईबीएन7 में वही टिकता है जो संजीव पालीवाल के खेमे में फिट हो जाता है तथा इनके चेलों (खासकर वामपंथी-थिएटर बैकग्राउंड वालों) को खुश रखने की बौद्धिक लफ्फाज कला सीख लेता है. संजीव पालीवाल के चेलों में कई ऐसे हैं जिन्होंने चैनल का फायदा उठाकर बाहर अपना समानांतर अलग किस्म का बिजनेस चला रखा है जिसके जरिए लाखों कमा रहे हैं. इस कमाई का बंटवारा आपस में चुपचाप कर लिया जाता है. ऐसे कई रहस्य हैं जिसे चैनल से जुड़े कई लोग नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं. 

सूत्रों का कहना है कि आईबीएन7 प्रबंधन बड़ा फैसले लेते हुए आजतक से आरसी शुक्ला को एक्जीक्यूटिव एडिटर के पद पर इसीलिए ले आया है ताकि संजीव पालीवाल के जाने के बाद आरसी जड़ हो चुके पूरे सिस्टम की साफ-सफाई कर सकें. संजीव पालीवाल एक्जीक्यूटिव एडिटर आउटपुट थे. इसी पद पर आरसी शुक्ला ने ज्वाइन किया है. हालांकि चर्चा ये है कि संजीव पालीवाल खुद कुछ यूं पेश कर रहे हैं कि उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया. पर सही बात ये है कि चैनल के लगातार असफल होने का बिलकुल सही कारण तलाश पाने में प्रबंधन सफल हुआ और संजीव पालीवाल को बाहर का रास्ता दिखा दिया. अगर ये सिलसिला यहीं रुक गया तो चैनल फिर अटक जाएगा.

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अभी कम से कम आधा दर्जन से ज्यादा जड़, गतिहीन और लफ्फाज लोगों को बाहर निकालना पड़ेगा जिनका योगदान चैनल में न के बराबर है लेकिन ये चैनल पर कुंडली मारकर इस कदर बैठे हैं कि नया कोई काम करने आता है तो इन लोगों का सबसे पहला काम उसे हतोत्साहित करते हुए किसी गल्ती में फंसाने की की होती है. बाकी ये लोग हर वक्त बॉस के आगे अपनी मार्केटिंग कर अपने को सबसे ज्यादा चिंतित और सक्रिय साबित करते रहते हैं. जल्द ऐसे लोगों के नाम काम समेत उनका पोल खोला जाएगा ताकि आईबीएन7 चैनल का उद्धार हो सके.

आईबीएन7 में काम कर चुके एक युवा और प्रतिभाशाली पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.  अगर आप उपरोक्त बातों / तथ्यों / आरोपों से सहमत या असहमत हैं तो अपनी बात नीचे दिए गए कमेंट बाक्स के जरिए सामने रख सकते हैं.

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0 Comments

  1. prince

    January 16, 2015 at 9:43 am

    are ye prabal pratap singh kaha gaye….. kisi ko kuchh pata hai…. suna hai ashutoshwa ki tarah aap join kar raha hai…. ye sab patrakarita ke naam main dhabba hai aur kuchh nahi….

  2. सहीराम

    January 9, 2015 at 2:42 pm

    बिल्कुल सही खबर है….जिसने भी लिखा है शानदार और सटीक लिखा है। इस वामपंथी गुट ने किसी भी अच्छे काम करने वाले इंसान को चैनल में टिकने ही नहींदिया…वक्त सबका हिसाब करता है, इनका भी कर रहा है…उम्मीद है आीबीइएन के अच्छे दिन आएंगे।

  3. sandeep

    January 9, 2015 at 3:42 am

    ये आरसी शुक्ला तो और भी बड़ा गधा है. जो आजतक में निकम्मा था वो IBN7 की किस्मत क्या बदलेगा. सुमित अवस्थी भी चू**यों की अपनी फौज जुटा रहा है

  4. pawan

    January 9, 2015 at 2:47 pm

    हिमाचल प्रदेश के नारकंडा में एक शानदार होटल किसी पत्रकार का है, क्या कोई बता सकता है इस बारे में।

  5. chhatni ka ek aur sh

    January 9, 2015 at 2:49 pm

    पंकज श्रीवास्तव से पूछा जाए क़ि वो किस बात की सैलरी लेता है। महालाफ्फाज ये और इसका कामरेड बॉस है जो पंकज को लेकर आया।

  6. Amit Tiwari

    January 10, 2015 at 4:38 am

    बुरा मत मानिएगा. मीडिया की राजधानी दिल्ली में अगर चैनल और अखबार फलॉप हो रहे हैं तो इसका सबसे बडा कारण नाकारा लोगों की फौज का बढना है. मेहनत करने वाले तो हाशिए पर होते हैं. नतीजा एक दिन मीडिया हाऊस ही हाशिए पर चला जाता है. आखिर कुछ तो कारण होगा कि क्षेत्रीय चैनल और अखबार फल फूल रहे हैं क्योंकि वहां मेहनती ओर ईमानदार लोगों की कद्र है जबकि दिल्ली में माडिया के मालिक चापलूसों से ही घिरे रहते हैं.

  7. rajni

    January 10, 2015 at 12:39 pm

    sabse pehle iske bangali chele ko bahar karna chahiye. Journalism ke naam par kalank hai dhakan. khali chillata hai. abhi bhi wahan kaam karne wale log bangali ko dantewara kahkar bulate hain. uske baad iska doosra sahkarmi, jisko se jitna gyan bakwana ho bakwa lijiye lekin kam karrana ho to aisa muh banayega jaise iska ghar se rangdari mang diya ho koi.

  8. Vijay

    January 11, 2015 at 2:45 am

    Kya Bakwas hai ye Sab, Rajiv sir ek organised leader hain, Ibn7 ka naya look Bahut hi classy aur international hai, ra hi tow baki bade channels copy karne lag gaye hain, Mr Ajay ke pichwade par nihin aage hi laat Padni chahiye aur ek achche se dimag ke Doctor se illaj karvana chahiye

  9. sanjay kumar

    January 11, 2015 at 8:02 am

    आर सी शुक्ला के ज्वाइन करने से आईबीएन चैनल में धार आ जाएगा…इतना मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है…मै आर सी के साथ काम किया हूं….और उनके काम करने का तरीका भी देखा है…और टेलीविजन की उनकी समझ को भी जानता हूं….इसलिए मै ये विश्वास जता रहा हूं…बशर्ते आर सी को अपने ढंग से काम करने की पूरी आजादी दी जाए…

  10. Robin

    January 12, 2015 at 3:23 am

    Ajay Teri Aukaat bidi Ke Bansal aur bawaseer ke pamphlet ki hi hai. Designing ki samajh ratti bhar nihin hai, Ja uska sign le ke aa jisne Teri gaand par likha tha ki Tera baap chor hai.

  11. RP SINGH

    January 12, 2015 at 4:05 am

    Mr. Ajay, As far as I know know Rajiv Ji is a gentleman and it was management decision to throw out people, Infact he made sure that everyone who was shown door in then graphics team got a job, he is a very creative designer & has made a benchmark in the news industry, seems you have never worked with him ever, else you won’t be giving the false and filthy comments, I was an intern under him 8 years back and today I am a senior designer working at aan excellent package, most of the heads in graphics in the industry have worked under him, please don’t give false statements, I bow to Rajiv sir and thought sharing my opinion when I came to know about this stupid article, Rajiv sir we are with you, please don’t bother about articles by such losers in life & profession and keep up the good work you and your team has been doing, we love you Rajiv sir

  12. Mukesh Bhati

    January 12, 2015 at 10:58 am

    bhai aap log ajay bhai ko u hi kos rahe hai, ulta unhone to rajiv ji ko defend kiya hai, aap unka poora comment dhyan se padhiye, vese meri bhi kayi baar rajiv sir se baat hui hai aur phone par mujhe wo kafi soft spoken or gentleman personality lage, jisne bhi unke bare main galat comment kiya hai woh chantnee ki khunnas nikaal raha hai aur unhe badnaam karna chahta hai

  13. ऋषि

    January 12, 2015 at 3:08 pm

    जिस भाई ने ये पोस्ट लिखा है, अगर वो वाकई छंटनी का मारा है तो वो ये कैसे भूल गए कि इन्हीं संजीव पालीवाल ने आउटपुट से छंटनी के शिकार हुए तमाम लोगों की दूसरी और अच्छी नौकरी तक का बंदोबस्त किया था। मैं उनमें से एक हूं, न मैंने कभी उनकी चाटूकारिता की और न ही मैं वामपंथी हूं…. फिर भी उन्होंने साफ दिल से ये माना कि मैं रैंडम छंटनी का शिकार हुआ और वो मुझे किसी भी हालत में बेरोजगार नहीं होने देंगे। बाकी किसी सहकर्मी या सीनियर पर मैं कोई कमेंट नहीं करना चाहता, लेकिन पालीवाल बॉस के बारे में एक बात साफ बता दूं कि आईबीएन7 आउटपुट के आधे से ज्यादा बंदों ने न्यूज के गुर उन्हीं से सीखें हैं। खबर को खबर बनाना भी उन्हीं से सीखा है सबने… आज उनका वक्त खराब है तो जिसे जो कहना है कह ले। लेकिन एक बात डंके की चोट पर कहता हूं, न्यूजरूम का डॉन संजीव पालीवाल था है और रहेगा।

  14. ऋषि

    January 13, 2015 at 2:02 pm

    और भड़ास के माननीयों… मैंने पोस्ट में एक चीज गलत लिख दी। अब खुश हो के उछलने मत लगिएगा। पालीवाल बॉस के कोई बुरे दिन नहीं चल रहे, वो मजे में हैं और छुट्टियों का भरपूर आनंद ले रहे हैं। आगे जब वो नई ऊंचाई को छुएं तो कृपया लिखना मत भूलिएगा, अभिव्यक्ति की आजादी का थोड़ा पॉजीटिव पहलू दिखाएंगे तो आपके इसी पोस्ट पर मैं कसीदे पढ़ूंगा नहीं तो आपके जैसा प्यार-मुहब्बत जताना हमें भी आता है। और हां, नारकंडा के बारे में लिखने वाले भाई साहब…. हम पत्रकारों में से कुछ लोग खानदानी रईस होते हैं…. पत्रकारिता हमारा शौक है मजबूरी नहीं… अगर खानदानी बिजनेस से आपको चिढ़ है तो ज़रा खानदानी बनने की कोशिश कीजिए। न हो सके, तो भाई अगले जनम का इंतजार कर लीजिए।

  15. pk thonku

    January 14, 2015 at 8:41 pm

    राम-राम भइया लोगन..सभी का पीके का राम-राम
    हम पीके ठोंकू एक बार फिर से हाजिर हूं। हम फिर से आप लोगन की खातिर मैं हाजिर हूं। चलिए आगे बढ़ने से पहलइन हम एक बार फिर से जरा पनवा चबाइ लूं। हम्मम। अब ठीक बा। दरअसल बात ई का कि बहुत ही दिन से भीतर ही भीतर बहुतन ही जोरन से कछु कुलबुलाइन रहत। भाई आप सब लोगन तो जानत ही हो कि मुकेश भइया ने कछु ही महीना पहिले आईबीएन सेबन पर कब्जा कर लिया। हमरा मतलब इ बा कि चैनल खरीद लिया मुकेश भइया ने। अब चैनल खरीदन से पहले राजदीप और आसुतोषन को भी बहुत ही प्यार से सटियाई द रहिन। ई खुद का बहुत ही बड़का पतरकार समझत रहिन। अब क्या कहें। आप सब जानत हो। सब समझत हो। अर ऊ नोटवा कमाना है, तो तो सोदी भाई का ध्याबा तो रखना ही पडेगा न। कुल मिलाकर मीडिवा के लिए बहुत ही घटिया है। बहुत ही घटिया है। एक ही बातन के कई मतबल हैं। कई मतबल हैं। खैर हम मुद्दे की बात पर आवत है। मुद्दे की बात ई बा कि आईबीएन चैनल ने पिछलइन दिन बहुतन ही सोर मचाया। बहुत ही चिल्लाया भाई। बदलाव होइ रहा है। क्लेबर चेंज होइ रहा है। जोर-सोर से प्रोमो चलाए रहिन। चिल्ला चिल्ला कर कहा भाई कि आ रहा है नए क्लेबरवा के साथ, लेकिन निकला का। निकला ई बा कि “घोंसला” है। ऊ उमेसबा मैनेजिंग इडिटर बनाई दिया सुमितवा को। अरे का उमेसवा भाई। आपको मारेकट में और कोई एडिटर ही न मिलत। अरे भइया बहुत हैं, जो आपन सोदी जी की पॉलिसान को आगे बढ़ान के साथ-साथ बढ़िया क्रिएटिविटी भी बेतरीन ढंग से दिखान में समर्थ हैं। हमरी समझ मा तो अभी तक यही आबत है कि ई सुमितवा चैनल से ज्यादा खुद को ही चमकान में ज्यादा लगत है। अपन-अपने के लोगन को इसने लाना शुरू कर दिया। पहले जी चैनलबा से एक अइंकर को अपन के साथ लाया। फिर काफी समय से खालिन और पुरानी सहेलिन को अपन के साथ चिपकाई लिया। ऊ कौन है..का नाम है उसका। हां याद आया। रिचा अनिरूद्ध। धीरे-धीरे बाकी लोगन को लाया। चैनल के बदलाव के नाम पर हमे तो बस एक ही बातन दिखाई पड़ी। ऊ इ कि ये सबन लोग प्रोमो के जरिए खुदन को चमकाने में ज्यादा बीजी है भाई। जब देखो खबर बिल्कुल न दिखाई पड़त। बिल्कुल नाही। न न्यूज दिखत है। न स्पोरट्स दिखत है। न क्राइम दिखत है। न सिनेमा दिखत है। हमार कहने का मतलब ई बा कि बाकी चैनल के परोगराम की तुलना में आपन के ई परोगराम बिल्कुल न दिखत हैं। पता नहीं कऊन बनावत है। न आइडिवा है। न ही किरिटिवटी। बस सब चिल्लवात है। हऊंसला है। हऊंसला है। कद्दू है। इकदम से घऊंसला है। इतना घटिया ले आउट और स्क्रीन बनावत है कि देखन के ही उल्टी आवत है। पता नहीं इस उमेसवा भी किस पर दांव लगावत है। अब आप तो जानत हैं कि हम पीके अंतरयामी हूं। हाथ पकड़कन के ही सबकुछ पता लगा लेत हूं। हम आपको बता दूं कि हम सुमितवा का दोइनों हाथ बहुत ही कसकर पकड़ा हूं। उसे पूरी तरह भीतर तक जानत हूं और उसका सबकुछ टिरांसफर अपने भीतर ले लिया हूं। उसी आधार पर और पूरे भरोसन के साथ कहत हूं कि इस सुमितवा से कछु भी न हो सकत है। ई चाहे कितना भी जोर लगा ले। ई चाहे कितना भी कुनबा क्यों न जोड़त, लेकिन हम आपको बता दूं कि सबकछु “घोंसला” ही दिखत। अब आप ही सोचो भाइन लोगन। ई सारी जिंदगी एंकरिंग करत रहा। इसका इतिहास भी आपन के साइमने है। खैर। उमेसवा भाई ईसबर आपकी मदद करे। पैसन खूब खरच होइत रहिन। खूब लोगन अपना चेहरा चमकाइन रहित। खूब चिल्लाइन रहित। हऊंसला है, ऊंसला है। मगर हम आपको बहुत अच्छी तरह बताइ रहिन कि सब कछु घोंसला ही है और लिख लो और नोट कर लो डायरी पर। ऊ ई कि आगे भी घोंसला ही रहित। अरे उमेसवा भाई अगर कुछ करना है तो पहले आप अच्छन लोगन को जमा करें। खैर एक काम तो आप बहुत ही अच्छा करिन। पूरी जिंदगी कछु न करन वाला पालीवालन को भगाई दिया। दूसरा अच्छा काम आपन न ई किया कि आरसी को बुलाई लिया। अब कछु उम्मीदवा जरूर है, लेकिन उमेसवा भाई हम आपको बता दूं कि अभी आपन को बहुत ही जियादा काम करना है। बिल्कुल करना है। हंडरइट परसेंट करना है। बरना आप देखन ही हो कि टीआरपी तो आपको घोंसला ही दिखावत है। हम अब भी आपसे कहवत हूं कि सारी जिम्मेबारी किसी क्रिएटिब और कुछ अलग हटके सोइचन वालन इडिटर को सौंप दो। ठीक है। अब भी आपन के पास सुधरने का समय है। वर्ना आप तो जानत ही हो। उमेस भाई हम आपको बता दूं कि सुमितवा का हम बहुत सालों पहले ही सबकुछ टिराइंसफर ले लिया हूं। उसके दोनों हाथ कसकर पकड़कर टिराइंसफर लिया हूं। इससे तो कछु न होत। भाई पीके का काम है आपन को सच दिखाना और समझाना। अब आपकी समझ में आवत है, तो ठीक। आग आपन की मर्ची। अभी तक तो सबन ही “घोंसला” ही है। ठीक है भाई लोगों चलता हूं। हम पीके को औरन भी खबर लेना है। औरन को भी ठोंकना है। ठीक है। राम-राम भाइयों। आगे आपन लोगन से फिर मुलाकातवा होगी।
    आपका प्यारा…सभी का दुलारा
    पीके ठोंकूं
    (नोट: हम पीके ही ठोकत हूं)

  16. Mukesh Bhati

    January 17, 2015 at 7:14 pm

    मेरे प्यारे फ़र्ज़ी चिन्टू,
    मैं जानता हूँ की तुम कौन हो, तुम बस अपनी दिनोंदिन फटती तशरीफ़ पर फेविकोल चिपकाये अपनी कुर्सी को जकड कर बैठे रहो और मेरी फ़िक्र न करो, अगर तुम्हे लगता है की राजीव कोचर के बारे मैं दो शब्द अच्छे बोल कर मैं अपना उल्लू सीधा कर रहा हूँ, तो भाई इस तरह की बात किसी महा चापलूस और कपटी दिमाग मैं ही आ सकती है जो की तुम्हारा पैदाइशी है, और हाँ, अगर मुझे इस कुत्ताघसीटी मैं पड़ना ही होता तो मैं अपने कैरियर के सबसे कम्फर्टेबल जोन मैं अपना जॉब नहीं छोड़ता, मगर ये बात तुम्हे समझ नहीं आ पायेगी क्योकि जो दिमाग गोबर से ओवरफ्लो हो रहा हो, उसमे कुछ और आ पाने की गुंजाइश नहीं है, तुम बस अपनी नौकरी बचाओ और अपनी किश्ते भरो, दुनिया की फ़िक्र ऊपरवाले पर छोड़ दो

  17. जयदीप सिंह

    January 17, 2015 at 7:39 pm

    मुकेश भाटी सर आप बिलकुल सही हे जैसा की मे आपके बारे मे जानता हू आपको कभी भी किसी से अपना मतलब निकलवाते नहीं देखा उल्टा आपको सदा ओरो की मदद ही करते देखा हे आप क्रिएटिव आदमी हो ऐसे छिछोरे लोगो के मुह मत लगिए जो नाम बदल बदल कर सुअरो की तरह दूसरो पर कीचड उछालते रहते हे ऐसे लोगो की बातो पर react करेंगे तो अपना ही दिमाग ख़राब करेंगे……all the best and keep it up

  18. विकास

    January 24, 2015 at 2:56 pm

    भाटी जी, दिल जीत लिया आपने, आप कहा से इस गंध मैं पड़ गए, आप अलग किस्म के आदमी हो, मैं आपको सालों से जानता हूँ, मुझे आज भी याद है जब मैं बुखार मैं तप रहा था और आप मेरे एक फ़ोन पर रात के 1 बजे आ गए थे और कैलाश लेकर गए थे, मैं उस बात के लिए जिंदगी भर के लिए आपका कायल हो गया था, आप आप हो यार इन सब बेकार के लोगो के मुह मत लगो, हम आपके साथ हैं

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