Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

संसद में प्रवेश रोके रखने के खिलाफ मीडियावालों ने किया प्रदर्शन, ‘किसान आंदोलन’ की तरह ‘पत्रकार आंदोलन’ शुरू करने की तैयारी!

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी आदि के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने किया पत्रकारों का समर्थन… उन्होंने इस बारे में राष्ट्रपति को पत्र भी लिखा..

नई दिल्ली : सैकड़ों पत्रकारों ने बृहस्पतिवार को सरकार की तानाशाही रवैये के खिलाफ संसद तक मार्च किया। इससे पहले पत्रकारों ने प्रेस क्लब के भीतर एक सम्मेलन भी किया जिसमें प्रेस एसोसिएशन के अध्यक्ष जयशंकर गुप्त, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव संजय कपूर, वरिष्ठ पत्रकार सतीश जैकब, राजदीप सरदेसाई, आशुतोष, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा, महासचिव विनय कुमार भारतीय महिला प्रेस कोर की विनीता पांडेय, दिल्ली पत्रकार संघ के एस के पांडे आदि ने सरकार के इस रवैये की तीखी आलोचना की और किसान आंदोलन की तरह ‘पत्रकारों का आंदोलन’ छेड़ने का आह्वान किया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वक्ताओं का कहना था कि कोविड के नाम पर सरकार पत्रकारों के संसद में प्रवेश पर रोक लगा रही है ताकि विपक्ष की खबरें न आये और केवल सरकारी खबरें आएं।

उनका कहना था कि पहले सरकार ने सेंट्रल हाल का पास बन्द किया ताकि पत्रकार सांसदों नेताओं से मिलकर सरकार विरोधी खबर न दे सकें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

वक्ताओं ने कहा कि अब वे पत्रकारों को पहले की तरह प्रवेश नहीं दे रहे जबकि सांसद और संसद के कर्मचारी आ रहे हैं। एक तरफ तो सरकार ने सिनेमा हॉल रेस्तरां माल खोल दिये दूसरी तरफ पत्रकारों पर रोक क्यों। गिने चुने पत्रकार कोरोना का टेस्ट कराकर जा रहें तो सबको प्रवेश क्यों नहीं।

वक्ताओं का कहना था कि लोकसभा और राज्यसभा की दर्शक दीर्घा राजनयिक दीर्घा और सभापति तथा अध्यक्ष की दीर्घाएँ खालीं हैं तो वहां पत्रकारों को बिठाया जा सकता है लेकिन सरकार की मंशा कुछ और है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सरकार ने पहले ही पीटीआई यूनआई की सेवा बंद कर रखी है। उसे केवल सरकारी खबरें चाहिए। इसलिए पत्रकारों के प्रवेश पर रोक है। इतना ही नहीं प्रेस सूचना कार्यलय द्वारा पत्रकारों के कार्ड का नवीनीकरण नहीं हो रहा है।

पत्रकारों ने सभा के अंत में एक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें इस लड़ाई को अंजाम तक लड़ने की सबसे अपील की गई।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पत्रकारों का कहना था कि यह केवल संसद में प्रवेश की लड़ाई नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है क्योंकि बिना मीडिया के लोकतंत्र जिंदा नहीं रह सकता।

इससे पहले देश के जाने माने संपादक, पत्रकार, फोटो जर्नालिस्ट और संसद के दोनों सदनों को कवर करने वाले रिपोर्टर अपनी मांगों को लेकर गुरुवार को एक बजे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एकत्र हुए। उन्होंने संसद के स्थायी पास धारक पत्रकारों के संसद परिसर तथा दोनों सदनों की प्रेस गैलरी में प्रवेश की मांग को लेकर पुरजोर आवाज़ उठाई। प्रेस क्लब से बाहर जब सैकड़ों पत्रकार तख्तियां लिए आगे बढ़े तो संसद के गोलचक्कर के पास पुलिस ने नाकेबंदी कर दी जिससे पत्रकार संसद के गेट के पास नहीं जा सके। पत्रकारों ने जमकर नारेबाजी की और अपनी एकजुटता प्रकट की।

Advertisement. Scroll to continue reading.

पत्रकारों की मांग इस प्रकार है-

हमारी मांग है कि जिन पत्रकारों के पास स्थायी पास है ,उन्हें संसद परिसर तथा राज्यसभा और लोकसभा की पत्रकार दीर्घा में प्रवेश की अनुमति दी जाए ताकि वे पहले की तरह सदन की कार्यवाही नियमित रूप से कवर कर सकें।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हमारी मांग है कि जुलाई में लोकसभा अध्यक्ष ने यह निर्णय लिया था कि स्थायी पास धारकों को संसद कवर करने के लिए पत्रकार दीर्घ के पास पहले की तरह बनेंगे,उस फैसले को लागू किया जाय।

हम यह भी मांग करते हैं कि संसद के सेंट्रल हाल के पास बनने पर जो पाबंदी लगी है उसे हटाकर पहले की तरह नए पास बनाएँ जाएं।वरिष्ठ पत्रकारों की लंबी सेवाओं कोदेखते हुए इस सुविधा को बहाल किया जाए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हमारी यह भी मांग है कि दीर्घावधि समय तक संसद कवर करनेवाले पत्रकारों के विशेष स्थायी पास फिर से पहले की तरह बने जो उनके पेशे की गरिमा और सम्मान के अनुरूप है। फिलहाल सरकार ने इस पर भी रोक लगा रखी है।

हमारी यह भी मांग है कि जिन पत्रकारों को सत्र की पूरी अवधि के लिए जो पास बनते थे, उन्हें पहले की तरह पास बनाएं जाएं ताकि वे सदन की कार्यवाही कवर कर सकें क्योंकि सरकार द्वारा पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगने से उनकी नौकरी और सेवा पर भी असर पड़ा है जिससे उन्हें
छंटनी का भी सामना करना पड़ा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हम यह भी माँग करते हैं किदोनों सदनों की प्रेस सलाहकार समितियों का नए सिरे से गठन हो क्योंकि दो साल के बाद भी उनका गठन नहीं हुआ।

सभी संपादकों , ब्यूरो चीफ तथा पत्रकारों संवाददाताओं प्रेस छायाकारों से अपील है कि वे अधिक से अधिक संख्या में आकर इस मार्च को सफल बनायें ताकि सरकार पर दवाब डाला जा सके और हमें हमारा अधिकार मिले।लोकतंत्र को मजबूत बनाने और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए पत्रकारों को संसद कवर करने का अवसर पहले की तरह मिले।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हम हैं-

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया,

Advertisement. Scroll to continue reading.

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया

प्रेस एशोसिएशन

Advertisement. Scroll to continue reading.

इंडियन वोमेन्स प्रेस कोर

दिल्ली पत्रकार संघ

Advertisement. Scroll to continue reading.

वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement