प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संचार और संवाद के जरिए क्रांति लाने के उद्देश्य से 15 सितंबर 2021 को दो संसदीय टेलीविज़न ‘लोकसभा टेलीविजन’ एवं ‘राज्यसभा’ टेलीविज़न का मर्जर कर एक कर दिया गया। इस मर्जर को किये हुए लगभग ढाई महीने हो चुका है। लेकिन सरकारी पत्रकारिता के चैनल को भी सरकारी लेट लतीफी के चलते बेहद चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
संसद टीवी में समय के साथ साथ हालात ख़राब होते जा रहे हैं। अभी भी आधे कर्मचारी परेशानी झेल रहे हैं। न समय पर कॉन्ट्रैक्ट मिल रहा है और न ही तनख्वाह। लगभग 2-3 सालो से 1-1 महीने का कॉन्ट्रैक्ट या 3-4 महीने के इंतज़ार के बाद सेलरी मिल रही है। बीबीसी जैसा चैनल बनाने का सपना अब गर्त में जाता दिख रहा है। ना ही फण्ड है ना ही किसी सामान की खरीदारी हो रही है।
कुछ दिन पूर्व ही इसके लिए एक स्थाई समिति बनाई गई जिसके अध्यक्ष व उपाध्यक्ष बनाये गये खुद उप राष्ट्रपति और लोकासभा अध्यक्ष। लेकिन उसके बाद भी संसद टीवी के हालात बदतर होते जा रहे हैं।
लंबे समय से अनियमितताओं से संसद टेलीविज़न के कर्मचारियों में आक्रोश है। चर्चा है कि इस शीतकालीन सत्र के दौरान चैयरमेन राज्यसभा एवं अध्यक्ष लोकसभा से संसद टेलीविज़न के पत्रकारों एवं टेक्निकल स्टाफ की एक टीम मिलने जाएगी। अगर 1-1 साल का कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाने एवं 3 सालो का बकाया लगभग 30% वेतन वृद्धि करने की मांग नहीं मानी गई तो संसद टीवी के कर्मचारी हड़ताल कर महत्वपूर्ण सत्र का प्रसारण बाधित कर सकते हैं।
सीईओ रवि कपूर के लिए अपने कर्मचारियों, सरकारी कर्मचारियों और वरिष्ठ कमिटी के बीच सामंजस्य बना शीतकालीन सत्र का सीधा प्रसारण सुचारू रूप से संचालन करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य साबित हो सकता है।
एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.