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सारे चैनल, बड़े अखबार और मैग्जीन ब्राह्मणवादी सवर्णों के नियंत्रण में हैं, कोई अपवाद नहीं है

Dilip C Mandal : आप लोग मेरे स्टेटस को Like करना बंद कीजिए प्लीज. अपना लिखिए. जैसा बन पड़े, वैसा लिखिए. लिखना क्राफ्ट है. करने से हाथ सध जाता है. फोटो और वीडियो लगाइए. यहां संघियों को अपना टाइम लगाने दीजिए. देश को लाखों बहुजन फुले-आंबेडकरवादी लेखक और कम्युनिकेटर चाहिए. भारत के सारे चैनल और बड़े अखबार और मैगजीन ब्राह्मणवादी सवर्णों के नियंत्रण में हैं. कोई अपवाद नहीं है. वहां कुछ लोग सहानुभूति का नाटक कर रहे हैं. पर वे दूसरों की तरफ से ही खेल रहे हैं. निर्णायक क्षणों में वे आपके साथ नहीं होंगे. भारतीय मीडिया को लोकतांत्रिक बनाने के लिए आपका लेखक बनना जरूरी है. आपके लाइक्स का मैं क्या करूंगा? लिखिए.

<p>Dilip C Mandal : आप लोग मेरे स्टेटस को Like करना बंद कीजिए प्लीज. अपना लिखिए. जैसा बन पड़े, वैसा लिखिए. लिखना क्राफ्ट है. करने से हाथ सध जाता है. फोटो और वीडियो लगाइए. यहां संघियों को अपना टाइम लगाने दीजिए. देश को लाखों बहुजन फुले-आंबेडकरवादी लेखक और कम्युनिकेटर चाहिए. भारत के सारे चैनल और बड़े अखबार और मैगजीन ब्राह्मणवादी सवर्णों के नियंत्रण में हैं. कोई अपवाद नहीं है. वहां कुछ लोग सहानुभूति का नाटक कर रहे हैं. पर वे दूसरों की तरफ से ही खेल रहे हैं. निर्णायक क्षणों में वे आपके साथ नहीं होंगे. भारतीय मीडिया को लोकतांत्रिक बनाने के लिए आपका लेखक बनना जरूरी है. आपके लाइक्स का मैं क्या करूंगा? लिखिए.</p>

Dilip C Mandal : आप लोग मेरे स्टेटस को Like करना बंद कीजिए प्लीज. अपना लिखिए. जैसा बन पड़े, वैसा लिखिए. लिखना क्राफ्ट है. करने से हाथ सध जाता है. फोटो और वीडियो लगाइए. यहां संघियों को अपना टाइम लगाने दीजिए. देश को लाखों बहुजन फुले-आंबेडकरवादी लेखक और कम्युनिकेटर चाहिए. भारत के सारे चैनल और बड़े अखबार और मैगजीन ब्राह्मणवादी सवर्णों के नियंत्रण में हैं. कोई अपवाद नहीं है. वहां कुछ लोग सहानुभूति का नाटक कर रहे हैं. पर वे दूसरों की तरफ से ही खेल रहे हैं. निर्णायक क्षणों में वे आपके साथ नहीं होंगे. भारतीय मीडिया को लोकतांत्रिक बनाने के लिए आपका लेखक बनना जरूरी है. आपके लाइक्स का मैं क्या करूंगा? लिखिए.

फेसबुक समेत सोशल मीडिया में RSS की दादागीरी टूट चली है. सोशल मीडिया के लाखों लोकतांत्रिक बहुजनों, SC, ST, OBC, माइनॉरिटी, उदार – प्रगतिशील सवर्ण लेखकों और लेखिकाओं ने संघ के इस किले को भेद दिया है. इंटरनेट पर एकचटिया संघी गुंडागर्दी का जमाना गया. संघ को अब उसी की भाषा में जवाब मिल रहा है. कोई रियायत नहीं. जैसा हमला, उसी जोड़ का जवाब. क्रिया के बराबर और कई बार ज्यादा प्रतिक्रिया. संघी गाली गलौज का भी मुकम्मल जवाब लोग दे रहे हैं. बहुजनों के पास संघ की तरह कॉल सेंटर और पेड वर्कर नहीं हैं. पर संख्या बल है, तर्क है, न्याय और इंसानियत की ताकत है.

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सोशल मीडिया में पहली बाजी RSS के हाथ लगी थी. लोकसभा चुनाव में. संघ जीता, क्योंकि मुकाबला कांग्रेस से था, जिसने कॉल सेंटर का जवाब कॉल सेंटर से देने की कोशिश की. लेकिन संघ के पास कॉल सेंटर के अलावा भक्त भी थे. बीजेपी के हिंदु बनाम मुस्लिम खेल में कांग्रेस का सोशल मीडिया छटपटा कर रह गया. उस समय के खेल में बहुजन शामिल नहीं सके थे. बाजी पलटने की शुरुआत बिहार से हुई. बहुजनों ने पहली बार अपना दम दिखाया. संसाधन संघ के पास थे, पर सोशल मीडिया के मैदान में उसे पसीने छूट गए. आरजेडी के सोशल मीडिया प्रबंधक SanJay Yadav की कोई काट बीजेपी के पास नहीं थी. देश भर के बहुजन लेखकों ने मिलकर बाजी पलट दी. और अभी तो खेल शुरू हुआ है….सारे संघी सोशल मीडिया पर हैं. वहीं बहुजनों का बड़ा हिस्सा तो अभी स्मार्ट फोन खरीदने की तैयारी कर रहा है. देखते जाओ.

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल के फेसबुक वॉल से.

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दिलीप मंडल के लिखे कुछ हालिया पोस्ट्स पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें>

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प्रधान संपादक शशिशेखर चतुर्वेदी जी, आपका रिपोर्टर दरअसल निकम्मा और मुफ्तखोर है

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मोदीजी, नागपुर में बैठे पेशवा लोग बहुत डेंजरस हैं, उन्होंने चुनाव न जिता पाने पर आडवाणी जी को नहीं छोड़ा

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0 Comments

  1. INSAF

    January 24, 2016 at 11:01 am

    mANDAL JI, JAB AAPKI PATNI MARI TO AAPNE KIS VIDHI SE DAH SANSKAR KIYA. Aap dipawali w dasehara kyon manate ho. Aapne ab tak kisi dalit ke liye kya kiya hai. yahan pura shristi hi scientific bana hai jise aap brahmanwadi kahte ho. Aap dil se bimar ho.

  2. ajya

    January 28, 2016 at 10:11 pm

    सच कहता हूं तुम मनोरोगी और हिंदू विरोधी हो। जलन में ही जल जलकर उपर पहुंच जाओगे। प्रिय साथी के बिछड़ने का भी तुम पर असर नहीं। घटिया आदमी तुम्हें लालू-माया में आइकन नजर आता है।

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