Connect with us

Hi, what are you looking for?

उत्तर प्रदेश

यूपी के इन 222 पत्रकारों को सरकारी मकान नहीं मिलेगा, देखें लिस्ट

सरकारी मकान पाने के लिए होड़ मची रहती है. इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया जाता है. जो लोग सरकारी मकान पा चुके होते हैं वे इसे किसी कीमत पर खाली नहीं करना चाहते. सरकार भी सरकारी मकान के लालीपाप का खूब इस्तेमाल करती है. जो लोग सरकारी मकान पाए हुए हैं अगर वे सरकार के खिलाफ खबर लिखते बोलते नजर आते हैं तो सरकार सबक सिखाने के वास्ते मकान का आवंटन निरस्त कर देती है या नवीनीकरण के मौके पर ठेंगा दिखा देती है.

लखनऊ से 222 पत्रकारों की एक लिस्ट आई है जिन्होंने सरकारी मकान के लिए आवेदन किया था या जिनमें से कइयों के पास सरकारी मकान था पर उसका नवीनीकरण होना था. इन 222 पत्रकारों को निराशा हासिल हुई है. इनके सरकारी आवास पाने के आवेदन और नवीनीकरण के आवेदन को निरस्त कर दिया गया है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

जाहिर है इससे इन पत्रकारों में घोर निराशा पैदा हुई होगी. इस लिस्ट में ढेर सारे भक्त पत्रकार, चाटुकार पत्रकार भी हैं जो खासे दुखी होंगे क्योंकि उनकी भक्ति भी सरकारी आशीर्वाद पाने में काम न आई.

लिस्ट में सिर्फ लखनऊ ही नहीं बल्कि यूपी के कोने कोने से विचित्र विचित्र नाम वाले मीडिया संस्थान के बैनर तले पत्रकार के नाम आवेदक के रूप में हैं. ढेर सारे वरिष्ठ गरिष्ठ पत्रकार भी सरकारी मकान पाने के लिए लालायित दिख रहे हैं. इनके पास लखनऊ में मकान दुकान सब होने के बावजूद ये सरकारी मकान पाने के लिए मरे जा रहे हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

राज्य संपत्ति विभाग की ओर से सहायक राज्य संपत्ति अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने खारिज आवेदनों वाले पत्रकारों की सूची नाम और पदनाम सहित जारी की है, जिसे राज्य संपत्ति विभाग के पोर्टल पर भी अपलोड किया गया।

देखिए पूरी लिस्ट-

Advertisement. Scroll to continue reading.
2 Comments

2 Comments

  1. पवन शर्मा

    August 7, 2021 at 8:08 pm

    जिनको आवास मिलेगा उनकी खबर भी भेजिए

  2. Harish Chandra

    August 9, 2021 at 7:53 pm

    यशवंत जी लिस्ट तो आपने ही देखी होगी। इन सभी पत्रकारों को मकान भी मिल गए। लेकिन आज तक 99 फीसदी पत्रकारों की खबर पढ़ने को नहीं मिली। ना ही कभी अखबार देखने को मिला। लेकिन सब मान्यता प्राप्त हैं। पत्रकारिता का भी हाल इस देश की आजादी की तरह है। जो देश के लिए शहीद हो गया यानी जिसने काम किया उसे कुछ नहीं मिला। जो राजनीति करने लगा और अंग्रेजो की चाटी, उसे सरकारी और सत्ता का भोग करने को मिला। लखनऊ को हालात ये हैं कि दो पन्नों के संपादकों को पास बड़े बड़े मकान हैं और बटलर पैलेस और पॉश इलाके में मिले मकानों को किराए पर लगा रखा है। इन किराया इतना आता है जितनी संपादक जी कि छह महीने की पगार है। समझ सकते हैं।

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement