Amitabh Thakur
मैं, अमिताभ ठाकुर, पेशे से एक आईपीएस अफसर हूँ और इसके साथ पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के क्षेत्र में भी काम करता हूँ. मैं यहाँ एक महत्वपूर्ण तथ्य न्यायहित तथा व्यापक जनहित में अपनी व्यक्तिगत हैसियत में सार्वजनिक पटल पर प्रस्तुत कर रहा हूँ. आरटीआई कार्यकर्ता सतीश शेट्टी के भाईयों, पुणे स्थित संदीप और यूएसए स्थित संतोष ने मुझे जुलाई 2014 के प्रारंभ में संपर्क किया था. संतोष ने मुझे 03 जुलाई 2014 को एक ईमेल भेजा था जिसमे लिखा था-“बिना जनसहयोग के यह केस अगले एक साल में बंध हो जाएगा. मैं आप जैसे लोगों से मदद और दिशानिर्देश के लिए संपर्क कर रहा हूँ.”
फिर जुलाई के पहले सप्ताह में ही संदीप ने मुझे फोन से बताया था कि सतीश शेट्टी हत्याकांड में सीबीआई के विवेचक एस पी सिंह ने उन्हें बताया है कि सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी उन पर बहुत भारी बेजा दवाब बना रहे हैं कि वे अगले कुछ दिनों में ही इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट भेज दें. उन्होंने कहा था कि विवेचक ऐसा करने में काफी दिक्कत महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनके पास मामले में अभियुक्तों के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु काफी साक्ष्य हैं. संदीप ने मुझे बताया था कि एस पी सिंह ने उन्हें कहा था कि कुछ बहुत वरिष्ठ सीबीआई अफसर भारी पैसे के दवाब में ऐसा कर रहे हैं और उन्हें बाध्य हो कर मामले में क्लोजर रिपोर्ट प्रेषित करना पड़ेगा.
पुनः 10 अगस्त (रविवार) को संतोष और संदीप ने मुझसे फोन पर संपर्क कर कहा कि उन्हें सीबीआई के विवेचक से ज्ञात हुआ है कि सीसीआई सोमवार (11 अगस्त) को क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करेगी. उन्होंने मुझे मदद के लिए पुणे बुलाया जहां आज मैं ऐसे साक्ष्य से रूबरू हुआ जिसमे विवेचक की व्यथा साफ़ दिख रही है और सीबीआई के वरिष्ठ अफसरों द्वारा भारी पैसा ले कर उन पर दवाब बनाए जाने और इस दवाब के कारण विवेचक द्वारा दुखी हो कर त्यागपत्र तक देने का मन बनाने की बातें इस साक्ष्य में सामने आती हैं. इन तथ्यों की गंभीरता के दृष्टिगत मैं इन्हें प्रधानमंत्री को अवगत करा रहा हूँ ताकि मामले में जांच कर आवश्यक कार्यवाही हो सके.
अमिताभ ठाकुर
आईपीएस
लखनऊ
[email protected]
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sanjay sharma
August 12, 2014 at 4:18 pm
I think amitabh should help tie up with local RTI activists and take further legal recourse to fight the case in court on the basis of strong evidences available against the culprits.
moreover application for fir against erring CBI personnel be moved to concerned police station immediately. if fir is not filed , matter be persued U/S 156(3) CrPC.
time has come to take the matter to streets. writing letters and sending e-mails shall render no help at all though i am also sending one.
its utterly surprising that ips amitabh was well aware of facts but took no appropriate recourse to stop this from happening, I mean moving to high court with all the exposures as made by said cbi officer.
in my opinion, it might be of some real help had amitabh visited shettys in july itself i.e. at once when shettys informed amitabh of all these lacunae in cbi investigation.
but not that time has been elapsed and……………………………………????????????????