संजय कुमार सिंह-
- टाइ्म्स ऑफ इंडिया
संसद में काम फिर से शुरू हुआ तो वित्त मंत्री ने मूल्यवृद्धि पर सरकार का बचाव किया - द हिन्दू
जीएसटी लगाने का भार गरीबों पर नहीं पड़ेगा – वित्त मंत्री - दि इंडियन एक्सप्रेस
विपक्ष ने मुद्रास्फीति , बेरोजगारी की बात की; वित्त मंत्री ने कहा कोई मंदी या मुद्रास्फीतिजनित मंदी नहीं है - हिन्दुस्तान टाइम्स
मूल्यवृद्धि पर बहस में सरकार और विपक्ष भिड़ गई - द टेलीग्राफ
निर्मला बोलीं, लेकिन राजनीति पर
ऊपर अंग्रेजी के पांच बड़े अखबारों की एक खबर के शीर्षक का हिन्दी अनुवाद है। खबर एक ही है शीर्षक प्रस्तुति का हिस्सा है और पांचों शीर्षक को पढ़कर को आप बहुत कुछ समझ जांगे पर किसी एक शीर्षक से क्या समझेंगे? पांचों शीर्षक से मुझे तो लगता है कि संसद में बहस शुरू हुई तो विपक्ष ने महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाया पर सरकार ने महंगाई बस मुंह-दुबानी उससे निपटने की कोशिश की। तथ्यों के नाम पर जीएसटी वसूली बढ़ने की खबर है पर वह अलग है और वह ज्यादा चीजों को जीएसटी के तहत लाने से बढ़ रहा है पर सरकार ऐसे प्रचारित कर रही है जैसे वसूली बढ़ने से सबकुछ ठीक हो रहा है। आंकड़ों का भी रंग-रोगन हो जाएगा।
महंगाई या बेरोजगारी पर विपक्ष ने सरकार को घेरा – अब ऐसे शीर्षक नहीं आते हैं। अब सरकार की जबरदस्ती (या झूठ) को शीर्षक बनाकर सरकार का प्रचार किया जाता है। और ऐसा ही एक प्रचार है, द हिन्दू का शीर्षक, जीएसटी लगाने का भार गरीबों पर नहीं पड़ेगा – वित्त मंत्री। काश कोई समझा पाता कि जीएसटी बढ़े या गरीब पर असर नहीं पढ़े। 100 रुपए के दूध पर पांच रुपया टैक्स लग गया तो इसका असर गरीब को नहीं होगा तो क्या अमीर को होगा? गरीब एक लीटर की जगह 950 एमएल से काम चला ले तब तो उसपर असर नहीं पड़ेगा लेकिन एक लीटर दूध पीने वाला 950 एमएल दूध ही पीये तब। क्या ऐसा कहना सही है? जाहिर है, आप कहेंगे कि यह थेथरई है। पर शीर्षक तो यही है।