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सुख-दुख

वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन के हाथों हुआ सत्येंद्र की किताब का लोकार्पण, पढ़िए किसने क्या कहा

विश्व पुस्तक मेले में ‘जाति का चक्रव्यूह और आरक्षण’ का लोकार्पण

5 मार्च 2023: नई दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में आज राजपाल एण्ड सन्ज़ के स्टॉल पर ‘जाति का चक्रव्यूह और आरक्षण’ का लोकार्पण हुआ। इस मौके पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया था जिसमें वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन, युवा लेखक प्रवीण कुमार और पुस्तक लेखक सत्येंद्र प्रताप सिंह ने अपने अपने विचार रखे।

परिचर्चा शुरू करते हुए प्रवीण कुमार ने कहा “आज जातिगत आरक्षण एक ज्वलंत मुद्दा है। आर्थिक असमानता का जातिगत असमानता से परस्पर रिश्ता है। 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद से ही देश में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा कमजोर पड़ी है। ऐसे में हाशिये पर पड़े लोगों का उत्थान एक बड़ा प्रश्न है।”

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किताब के लेखक सत्येंद्र प्रताप का कहना था कि “लोगों के बीच असमानता एक वैश्विक समस्या है। अमेरिका जैसे विकसित देश में भी असमानता देखी जा सकती है। जातिवाद वहां भी मौजूद है। मगर वीभत्स रूप में नहीं। हमारे देश में आबादी का एक बड़ा हिस्सा भेदभाव का शिकार है। हमारे यहां आरक्षण 1903 में लागू हुआ मगर असमानता दूर करने के लिए अब तक कोई और तरीका नहीं खोजा जा सका” । विकास की अवधारणा पर प्रश्न करते हुए उन्होंने कहा “आज के विकास में साधारण आदमी कहाँ है। वह लगातार बुनियादी चीजों से दूर हो रहा है और संसाधनों पर शक्तिशाली लोगों का कब्जा है। हमको प्रोग्रेस दिखाकर पागल बना दिया गया है। जीवन से सहजता गायब हो रही है।”

सत्येंद्र जी की बात को आगे बढ़ाते हुए प्रियदर्शन जी ने कहा, “सुख अकेली चीज नहीं है जो इंसान को चाहिए। इंसान होने की बेचैनी भी है। मगर आज जो विकास का संसाधनों पर कब्जे का मॉडल है वह विनाश का है। हमें कोई बीच का रास्ता निकालना होगा। ये जीडीपी की अवधारणा बड़ी खतरनाक है।”

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उन्होंने आगे कहा “जातिगत आरक्षण गरीबी दूर करने के लिए नहीं, बराबरी के लिए लाया गया। जहां तक आर्थिक आरक्षण की बात है, हमारा आर्थिक इतिहास भयानक गैरबराबरी का रहा है। हम बराबरी के सारे प्रयास को नाकाम करने की कोशिश करते हैं। आज सत्ता और बाजार एक दूसरे से मिले हुए हैं। सत्ता पर भी कारपोरेट हावी है। आर्थिक आरक्षण सामाजिक आरक्षण में सेंध लगाने की कोशिश है। “

अपनी टिप्पणी में प्रवीण जी ने कहा “यह किताब आरक्षण के पीछे मोटो क्या है? जातिवाद कैसे काम करता है? जैसे प्रश्नों के उत्तर देती है। ये किताब आरक्षण के नाम पर पैदा किये गए भ्रम के निवारण की भी एक महत्वपूर्ण किताब है।”

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कार्यक्रम के अंत में प्रकाशक मीरा जौहरी ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुये इस पुस्तक के संपादक अशोक कुमार पाण्डेय के प्रति विशेष आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस पुस्तक के प्रकाशन में उनका बहुत बड़ा योगदान है ।

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