मेरठ के तेजस्वी और बहुमुखी पत्रकार सौरभ शर्मा का आज दिल्ली के इंस्टीस्यूट ऑफ लीवर एंड बाइलियरी साइंसेज़ में असमय निधन हो गया। उनकी उम्र 39 साल थी। सौरभ को जांडिस (पीलिया) हो गया था। उसके बाद उन्हें लीवर से जुड़ी कुछ समस्याएं पैदा हो गई थी। पहले एक्सीडेंट, फिर जांडिस और अंतत: दैनिक जागरण, मेरठ में वरिष्ठ पद की नौकरी अचानक जाने के बाद वो अवसाद के शिकार हो गए। दुर्घटना और जांडिस के कारण वे पहले से ही लगातार अवकाश पर चल रहे थे। इसी कारण उन्हें तनाव भी था।
दैनिक जागरण के कुछ लोगों ने उनके साथ साजिश की और उन्हें दैनिक जागरण से बाहर कराने में बड़ी भूमिका निभाई। साजिशों के कारण दैनिक जागरण प्रबंधन ने सौरभ को बेहद बेहूदगी भरे बर्ताव के साथ इस्तीफा देने को मजबूर किया। इसके कारण सौरभ कुछ ज्यादा ही अवसादग्रस्त और तनावग्रस्त हो गए। इससे उनकी हालत लगातार खराब होती बिगड़ती चली गई। सौरभ को शुगर (डायबिटीज) की भी शिकायत थी। इसके कारण उन्हें ठीक होने में वक्त लग रहा था। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें दस रोज पहले मेरठ के जसवंत राय अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां के डाक्टरों ने कल सौरभ की गंभीर हालत को देखते हुए उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया था।
कल शाम उन्हें दिल्ली ले आया गया। दिल्ली में अस्पताल में भर्ती कराते ही उन्हें हृदयाघात हो गया। हर्ट अटैक कुछ अंतराल में लगातार दो बार आया। फिर उन्हें मस्तिष्क का आघात शुरू हो गया। उन्हें बचाने की कोशिशें चरम पर थीं। उन्हें आईसीयू में रखकर लगातार इलाज किया जा रहा था। लेकिन आज शाम 6 बजे के करीब सौरभ को तीसरा हार्ट अटैक आया और उनके शरीर के सभी अंगों ने काम करना बंद कर दिया। काफी प्रयासों के बाद भी डॉक्टर उन्हे बचा नहीं पाए।
परिजन सौरभ के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक निवास बरेली ले गए हैं।
सौरभ अपने पीछे पत्नी, एक बेटी और एक बेटा छोड़ गए हैं। बेटी कक्षा सात और बेटा कक्षा चार में पढ़ता है। सौरभ के माता-पिता का पहले ही देहांत हो चुका है। सौरभ चार भाइयों में सबसे छोटे थे। सौरभ की साहित्य और संगीत में काफी रुचि थी। उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं है। उनके लिखे गीतों पर बालीवुड में फिल्में भी बन चुकी हैं। उन्होंने बाल कहानियों से लेकर उपन्यास और ग़ज़लें तक लिखी हैं। सौरभ के असमय गुजर जाने से उनके जानने वाले स्तब्ध हैं। ऐसे प्रतिभाशाली पत्रकार के असामयिक निधन पर कई पत्रकारों, पत्रकार संगठनों, लेखकों ने श्रद्धांजलि दी है।
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atul
August 9, 2014 at 7:46 pm
Rip
Behad marmaantak
Parijano ko eshwar taakat de
JAI PRAKASH TRIPATHI
August 10, 2014 at 3:14 pm
हम साथ साथ रहे थे। यादें साथ हैं। कुछ माह पहले उनसे बातचीत हुई थी। मेरठ जाना न हो सका, वरना मुलाकात हो गयी होती। यशवंत जी जब से सुना-पढ़ा है, जीवन को लेकर, जीवन छीनने वाले जोकरों को लेकर मन दुखों से भर जाता है। अखबार के दफ्तर वन चेतना केंद्र में तब्दील हो चुके हैं। उफ्। सौरभ भाई के आश्रितों के लिए हमे क्या करना चाहिए, दायित्व बनता है।
Arvind Pandey
August 13, 2014 at 5:35 am
Sad demise.May almighty rest his soul in peace and courage to his family.