After Savarkar’s repeated monthly petitions calling him obedient slave of the British and the Queen (Victoria), the British released him in 1921 with a monthly pension of Rs 60 (over Rs 50,000 by Rupee’s value in 1947- forget in 1921). They never arrested him again till 1947, in the same time they were hanging Bhagat Singh(s) and jailing Nehru(s). Why? Also, Savarkar lived right up to 26 Feb 1966- can anyone tell what did he do after 15th August 1947? If he was really brave, he would have defied the government, right?
सावरकर का संक्षिप्त इतिहास : अंग्रेजों ने सावरकर की खुद को महारानी विक्टोरिया का भटका हुआ बेटा तक बताने वाली तमाम माफियों के बाद 1921 में 60 रूपया महीना पेंशन के साथ रिहा किया।
सावरकर ने पहली माफ़ी अंडमान सेलुलर जेल माने काला पानी पहुँचने के 1 महीने में ही मांग ली थी- माने 30 अगस्त 1911 को.
इसके खारिज होने के बाद दूसरी मांगी 14 नवम्बर 1913 को. इसमें ही भटका हुआ बेटा बताया था, वादा किया था कि छूट गए तो और भटके हुओं को लौटाएंगे। ये भी ख़ारिज हुई तब तीसरी मांगी 1917 में. वो भी खारिज हुई.
तब 4थी माफ़ी मांगी- अबकी बार माहौल जरा ठीक था उनके लिए- दिसंबर 1919 में सम्राट जॉर्ज पांचवे ने एक शाही घोषणा की थी- जिसमें भारत को घरेलू मामलों पर हक़ देने के साथ साथ रिश्ते बेहतर बनाने और राजनैतिक चेतना का स्वीकार भी था- सावरकर ने मौक़ा देखा और फिर माफ़ी मांग ली!
अँगरेज़ ठहरे मगर अँगरेज़- उन्होंने सावरकर के भाई गणेश सावरकर को रिहा करने का विचार किया पर सावरकर को नहीं।
कमाल यह कि इसी बीच गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने दोनों भाइयों की बिना शर्त रिहाई की मांग की जो अंग्रेजों ने फिर ख़ारिज कर दी.
फिर सावरकर ने पांचवीं माफ़ी मांगी- अपने मुकदमे, सजा और ब्रिटिश कानून को सही मानते हुए और हमेशा के लिए हिंसा छोड़ देने का वादा करते हुए. इस बार अंग्रेजों ने पहले उन्हें काला पानी से रत्नागिरी जेल में भेजा फिर ऊपर बताई 60 रुपये की पेंशन के साथ रिहा कर दिया।
ध्यान रखें कि फिर- माने 1921 से 1947 तक सावरकर ने कुछ भी ऐसा करने की हिम्मत नहीं की कि अंग्रेजों को उन्हें फिर गिरफ्तार करना पड़े!
ये वीरता है या कायरता? खासतौर पर यह और याद करें तो कि इस स्तर के और किसी स्वतन्त्रता सेनानी के माफ़ी मांगने का इतिहास नहीं मिलता!
वह छोड़ भी दें- तो गांधी हत्या में सबूतों के आभाव में बच निकलने के बाद सावरकर लंबा जिए- 26 फरवरी 1966 तक.
रिहाई के बाद उन्होंने क्या किया? अगर कांग्रेस/सरकार- जिसमें संघ के मुताबिक़ भी महान माने जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी की भी सरकार थी- गलत थी तो उन्हें संघर्ष करना चाहिए थे- आखिर कम से कम काला पानी तो ख़त्म ही हो गया था! नहीं किया तो क्यों? वीर थे या कायर?
अवतार
June 1, 2019 at 7:26 pm
ये जेल काहे को गये थे?
ऐसा क्या कायरता वाला कार्य कर दिया था कि अन्ग्रेज सरकार ने उन्हे दो आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
जवाब जरुर दीजियेगा जनाब।