हिंदुस्तान टाइम्स से निकाले गए 272 कर्मचारियों को वापस काम पर रखे जाने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए एचटी प्रबंधन को लगा तगड़ा झटका…. कंपनी प्रबंधन की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने दखल देने से किया इनकार… सुप्रीम कोर्ट में भी हिंदुस्तान टाइम्स हार गया, वर्कर की हुई जीत.. हिंदुस्तान टाइम्स सुप्रीम कोर्ट में स्टे लेने के लिए गया था… वहां पर उनको स्टे नहीं मिला…
नयी दिल्ली के हिन्दुस्तान टाईम्स अखबार से एक बड़ी खबर आ रही है। यहां हिन्दुस्तान टाईम्स से वर्ष २००४ में निकाले गये २७२ कर्मचारियों के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हिंदुस्तान टाइम्स प्रबंधन को राहत देने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया है।
आपको बता दें कि इन 272 कर्मचारियों को दिल्ली हाईकोर्ट ने वापस काम पर रखने और उनकी सेवा २००४ से ही बरकरार रखने का आदेश दिया था। इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट के आर्डर के खिलाफ कंपनी प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट चला गया था। अब उसे यहां भी मुंहकी खानी पड़ी है। इससे नौकरी से निकाले गये २७२ कर्मचारियों का चौदह साल का बनवास खत्म हो गया है। इस खबर से निकाले गये कर्मचारियों में खुशी की लहर है। कई कर्मचारियों ने सूचना मिलते ही नारा लगाया- ‘शोभना भरतिया मुर्दाबाद’!
ज्ञात हो कि शोभना भरतिया हिंदुस्तान टाइम्स समूह की मालकिन हैं और अपने इंप्लाइज का खून पीने के लिए कुख्यात हैं। उनके सत्ताधारी नेताओं से हमेशा मधुर संबंध रहे हैं जिसका फायदा वह अपने कर्मचारियों का शोषण करने में उठाती हैं। यही कारण है कि वे नियम-कानून सबको धता बताकर अपने यहां से चौदह साल पहले साढ़े तीन सौ से ज्यादा मीडियाकर्मियों को एक झटके में बाहर निकाल दिया था।
बताते हैं कि हिन्दुस्तान टाईम्स प्रबंधन दिल्ली ने अपने यहां कार्यरत लगभग ३६० से ज्यादा कर्मचारियों को 3 अक्टूबर 2004 को एक झटके में निकाल दिया था। इसके बाद देश भर के मीडिया हाउसों में हड़कंप मच गया। बाद में कुछ कर्मचारियों ने कंपनी प्रबंधन से समझौता कर लिया। मगर २७२ कर्मचारी अदालत की शरण में चले गये। यहां दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में कर्मचारियों की जीत हुयी थी।
बाद में कंपनी दिल्ली हाईकोर्ट चली गयी जहां आयताराम एंड अदर्स वर्सेज हिन्दुस्तान टाईम्स के मामले की लंबी लड़ाई के बाद अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा तथा अन्य की मेहनत रंग लायी। दिल्ली हाईकोर्ट के विद्वान न्यायाधीश विनोद गोयल ने इस मामले की सुनवाई की और अपना फैसला १० अगस्त को सुरक्षित रख लिया।
बीते रोज कर्मचारियों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में हिन्दुस्तान टाईम्स के निकाले गये २७२ कर्मचारियों के पक्ष में फैसला आया और उनकी सेवा को वर्ष २००४ से कांटीन्यू मानते हुये एक माह में उन्हें वापस काम पर रखने का आदेश दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया था। इसके बाद कंपनी सुप्रीम कोर्ट गयी जहां प्रबंधन को मुंहकी खानी पड़ी। सुप्रीमकोर्ट के इस आदेश से देश भर के पत्रकारों में खुशी की लहर है।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और मजीठिया क्रांतिकारी
9322411335
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