Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

सेबी ने अडानी की कंपनियों के शेयरों की ख़रीद-फ़रोख़्त में जाँच शुरू की!

अजीत शाही-

अमेरिकी समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ख़बर की है कि सिक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया यानी सेबी ने अडानी की कंपनियों के शेयरों की ख़रीद-फ़रोख़्त में जाँच शुरू कर दी है. जाँच इस पर होगी कि क्या अडानी के शेयरों को ख़रीदने वाली कंपनियाँ बेमानी हैं और दरअसल अडानी की ख़ुद की हैं.

आपको याद होगा कि हफ़्ते भर पहले अडानी ने ढाई सौ करोड़ डॉलर का शेयर इश्यू मार्केट में निकाला था और फिर उसे वापस ले लिया था. ये जाँच इसी शेयर इश्यू की ख़रीद के बारे में है. जाँच के घेरे में मॉरिशस में बसी दो कंपनियाँ है. आरोप है कि ये दोनों अडानी की बेनामी कंपनियाँ है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

आख़िर क्यों सेबी इस पर जाँच कर रहा है? इसका जवाब सीधा है. अगर सेबी इन आरोपों की जाँच नहीं करता है तो सेबी की क़ाबिलीयत और निष्पक्षता पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सवाल खड़े हो जाएंगे. अगर विदेशी निवेशकों को ये लगने लगेगा कि भारत का रेगुलेटर निष्पक्ष नहीं है और ईमानदारी से काम नहीं करता है तो अरबों खरबों का निवेश ख़तरे में पड़ जाएगा.

दरअसल ये कहानी मोदी के हाथ से बाहर निकल गई है. अडानी को अगर वापस उसी स्तर पर आना है जिस पर वो दो हफ़्ते पहले थे तो उन पर लगे सभी आरोपों का खंडन होना होगा. ये संभव नहीं है. क्योंकि अडानी पर लगे सभी आरोप सही हैं और भारत के भीतर मोदी कितना भी ड्रामा कर लें, और उनकी सरकार अडानी को कितना भी बचा ले, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार और ख़ास तौर से पश्चिम के मुल्कों में अडानी की साख तब तक चौपट रहेगी जब तक वो अपने आप को निर्दोष नहीं साबित कर पाते हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

जाँच के घेरे में मॉरिशस की जो दो कंपनियाँ है उनमें एक है एलारा कैपिटल जिसमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के भाई डायरेक्टर थे और जिन्होंने पिछले दिनों उस पद से इस्तीफ़ा दे दिया. क्योंकि ये भ्रष्टाचार कई देशों में हुआ है इसलिए आने वाले दिनों में विदेशी मुल्कों की एजेंसियां भी अपनी जाँच शुरू कर सकती हैं.

जाँच शुरू करके सेबी फँस गया है. इस जाँच पर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार और निवेशकों की नज़र रहेगी. अगर ज़रा भी यह लगता है सेबी की जाँच फ़्रॉड है और अडानी को बचाने में लगी है तो फिर उसका असर उल्टा पड़ेगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

मोदी चाहे जो कर लें अब अडानी का वापस उस स्तर पर आना बहुत मुश्किल होगा. इसका सीधा असर ये होगा की जो उम्मीदें मोदी ने अडानी से लगायी थी कि वो भारत के उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुँचा देंगे वो उम्मीदें अब पूरी नहीं होगी. पिछले 8 सालों में मोदी ने जो एक काम नहीं किया वो है लेवल प्लेइंग फ़ील्ड बनाने का. करना ये था कि उद्योग नीति बेहतर करते जिससे कि बिज़नेस बढ़ाने का सबको चांस मिलता. पूंजीवाद का यही नियम होना चाहिए. इसे ही फ़्री मार्केट कहते हैं. लेकिन मोदी ने कैपिटलिज़्म की जगह क्रोनी कैपिटलिज़्म लगा दिया. इसका ख़ामियाज़ा अब हिंदुस्तान भरेगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement