Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

क्या मास्टरबेशन बुरी आदत है?

अनुपमा गर्ग-

सबसे पहली बात अच्छा या बुरा कुछ नहीं होता | यह ज़रूर होता है कि कुछ चीजों को करने से शरीर पर नुकसान दायक प्रभाव पड़ सकते हैं और कुछ चीजों को करने पर शरीर पर लाभकारी असर पड़ सकता है | ठीक यही बात मन पर, सेक्सुअलिटी पर, संबंधों पर, सामाजिक संरचना पर भी लागू होती है |

इसे ऐसे ऐसे समझें जैसे भोजन | क्या ज़्यादा खाना बुरी आदत है ? ये इस पर निर्भर करेगा कि आपको कितनी भूख लगती है, आपके शरीर की बनावट कैसी है, और आपको भूख क्यों लगती है ? क्या आपको भूख मानसिक तनाव के कारण लगती है, या आपकी खुराक ही ज़्यादा है ? अगर भूख ज़्यादा लगने से आपके शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं तो चिंता की बात है, वरना भूख लगना अपने आप में कोई ख़राब या अच्छी बात नहीं है |

Advertisement. Scroll to continue reading.

दूसरी बात ये, कि ज़रूरत और आदत में फर्क है | ज़रूरत आपके मनुष्य होने का, जीवित होने का हिस्सा है, आदत आपकी परवरिश का हिस्सा है | आदत को छोड़ना मुमकिन है, लेकिन ज़रूरत को मिटाना संभव नहीं | जैसे मुझे मीठा खाना पसंद है, मीठा की जगह बिना शक्कर का खाना खाया जा सकता है, लेकिन खाना नहीं छोड़ा जा सकता यदि जीवित रहना है |

अब यहाँ कई लोग धर्म, आध्यात्म आदि की दुहाई दे कर कहेंगे, कि सेक्स की इच्छा का दमन किया जा सकता है | हाँ शायद, लेकिन जीवन में सिर्फ ज़िंदा रहना एक बात है, और जीवन की गुणवत्ता एक अलग बात है | इसका मतलब ये नहीं कि सेक्स करना ही होगा | लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि सेक्स की इच्छा को दबा देना, या उसे गलत, या अनैतिक ठहरा देने से वो गलत हो जायेगा | सेक्स एक नैसर्गिक ज़रूरत है, और मनुष्यों में, सेक्स सिर्फ प्रजनन नहीं, अपितु सुख के लिए भी है |

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब जब ये देख लिया हमने, तो निःस्सन्देह pleasure को चुनना या न चुनना व्यक्तिगत है | यदि आप ने pleasure को चुना है, तो स्वाभाविक है कि उस ज़रूरत की तृप्ति कहीं से तो होगी | हस्तमैथुन सबसे सामान्य, व सबसे प्रचलित तरीका है सेक्सुअल संतुष्टि का | इसके पीछे कई कारण हैं |

बचपन में जब शरीर का विकास होता है तो स्पर्श की इच्छा, सामान्य है | यौनांगों की सफाई करते समय यौन स्पर्श और उससे होने वाली उत्तेजना भी सामान्य है | और फिर उसकी बार बार इच्छा होना भी उतना ही सामान्य है, जितना किसी भी और इन्द्रिय से होने वाली उत्तेजना | बचपन में जितने वीडियो गेम खेलते, पिक्चर देखते लड़के मिल जायेंगे, उतने जवानी और अधेड़ावस्था में शायद ही मिलें | प्रश्न ये है कि इस स्पर्श का प्रभाव क्या पड़ेगा |

Advertisement. Scroll to continue reading.

हर व्यक्ति की अपनी अपनी ज़रूरतें होंगी | कुछ लोगों को बचपन में समझदार लोग मिल जायेंगे और बताएँगे कि इस में कुछ गलत नहीं है, लेकिन किसी भी और चीज़ की तरह इसकी भी अति ख़राब है |

लेकिन अधिकतर लोगों को शर्मिंदा किया जायेगा और इससे होने वाले काल्पनिक नुकसान समझाए जायेंगे | कहा जाएगा कि हस्तमैथुन से कमज़ोरी आती है, स्वप्नदोष, शीघपतन, आदि हो जाता है | सच ये है, कि इन सभी बातों के पीछे कई कारण हो सकते हैं | इनके पीछे स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति, प्राइवेसी, पार्टनर के साथ के सम्बन्ध कैसे हैं, ये सभी फैक्टर्स हो सकते हैं |

Advertisement. Scroll to continue reading.

हस्तमैथुन को देखने का एक तरीका और है | वो है स्पर्श इन्द्रिय की अतृप्ति | बचपन में जब हम बहुत छोटे होते हैं, हमारी मालिश की जाती है, हमें है, दुलराया जाता है, सहलाया जाता है | फिर धीरे धीरे हम बड़े हो जाते हैं, और ये सब आमतौर पर कम हो जाता है | खास तौर पर पुरुषों के लिए |

अब ऐसे में तकरीबन 3 साल की उम्र से (यही वह आयु है आजकल जब बच्चा स्कूल जाने लगता है ) से ले कर 12 – 13 साल की आयु तक स्पर्श अधिक नहीं मिल रहा | और फिर ऐसे में एक दिन बच्चा अपने यौन अंगों में स्पर्श से उपजी एक बिलकुल ही अलग किस्म का अनुभव करता है | अगर बच्चे को किसी ने बचपन उत्पीड़ित नहीं किया है, उसके मन में स्पर्श को ले कर अगर कोई भय नहीं है तो सोचिये उसकी स्पर्श की वो अधूरी ज़रूरत उसे कैसे subconsciously realize होगी |

Advertisement. Scroll to continue reading.

एक तरह से देखें तो एक सामान्य बच्चे की 5 इन्द्रियाँ और एक की ज़रूरतें यानि 20 प्रतिशत पूरा हुआ ही नहीं | बच्चा तो बच्चा, स्पर्श की ज़रुरत पूरी हुए बिना अधिकतर लोगों की पूरी उम्र ही निकल जाती है | ऐसे में स्पर्श सिर्फ इंटिमेसी या प्राइवेसी में मिलता है | और उसमें भी सिर्फ जजमेंट मिलता है ! ऐसे में एक नज़रिये से यदि देखा जाये, तो हस्तमैथुन एक स्वस्थ चॉइस है क्योंकि वह comfort touching की तरह काम करता है |

Masturbation या हस्तमैथुन के साथ जानने के लिए एक चीज़ और भी है | वो है Death Grip और उसका कारण है शारीरिक बनावट में फ़र्क | फिर से विशेष तौर पर पुरुषों के साथ | पुरुषों के हाथ का स्ट्रक्चर, और महिला की योनि का स्ट्रक्चर अलग अलग है | हाथ की grip, और vaginal walls की इलास्टिसिटी, पकड़, सब अलग अलग है |

Advertisement. Scroll to continue reading.

जो लोग बहुत प्रेशर लगा कर मास्टरबेट करते हैं, उनके लिए कई बार साथी के साथ सेक्स करते समय ejaculate करना मुश्किल हो जाता है (मैंने यहाँ स्खलन शब्द क्यों काम लिया ऑर्गैस्म Orgasm क्यों नहीं, ये किसी और पोस्ट में ) | यहाँ एक चीज़ ध्यान रखने की है कि death grip कोई मेडिकल टर्म नहीं है | यह एक कॉमन टर्म है, जिसे लोग इस्तेमाल करते हैं हस्तमैथुन के एक तरीके को बताने के लिए |

लेकिन इसका असर आपके यौन संबंधों पर बिलकुल पड़ सकता है | अब ये आदत वाला हिस्सा है जिसे अमूमन unlearn किया जा सकता है, भले ही मुश्किल से | असल में देखा जाये तो सेक्स के बारे में बहुत कुछ है जो हमें भूलने और दोबारा, नए तरीके से सीखने की ज़रुरत है | इन्हीं चीज़ों में से एक ये है कि masturbation या हस्तमैथुन सही या गलत नहीं होता, लेकिन उससे आपके जीवन पर प्रभाव वैसे ही पड़ता है, जैसे किसी भी और चीज़ का |

Advertisement. Scroll to continue reading.

डिस्क्लेमर – मैं सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए करती हूँ कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके | यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास हरगिज़ नहीं किया जाता |

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement