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रोमियो शब्द का अर्थ प्रेमी नहीं, रसिक या कामुक है!

Sujata Mishra : शैक्सपीयर के प्रसिद्द नाटक “रोमियो-जूलियट” का चर्चित पात्र रोमियो महज़ एक नाट्य चरित्र था, कोई वास्तविक व्यक्ति नहीं. रोमियो मूलत: इटालियन भाषा का शब्द है. इस शब्द का अर्थ है रसिक, कामुक, इश्कबाज़. आप इसे प्ले बॉय या कैसनोव शब्द से भी समझ सकते हैं. यानि ऐसा पुरुष जो स्त्रियों के प्रति जरुरत से ज्यादा रूचि रखता हो या जिसके एकाधिक स्त्रियों से सम्बन्ध हो. शैक्सपीयर के नाटक रोमियो जूलिएट में भी जूलियट से मिलने से पूर्व रोमियो रोसलिन की तरफ आकर्षित दिखाया गया है.

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Sujata Mishra : शैक्सपीयर के प्रसिद्द नाटक “रोमियो-जूलियट” का चर्चित पात्र रोमियो महज़ एक नाट्य चरित्र था, कोई वास्तविक व्यक्ति नहीं. रोमियो मूलत: इटालियन भाषा का शब्द है. इस शब्द का अर्थ है रसिक, कामुक, इश्कबाज़. आप इसे प्ले बॉय या कैसनोव शब्द से भी समझ सकते हैं. यानि ऐसा पुरुष जो स्त्रियों के प्रति जरुरत से ज्यादा रूचि रखता हो या जिसके एकाधिक स्त्रियों से सम्बन्ध हो. शैक्सपीयर के नाटक रोमियो जूलिएट में भी जूलियट से मिलने से पूर्व रोमियो रोसलिन की तरफ आकर्षित दिखाया गया है.

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हालांकि यह एक दुखांत नाटक है और हम सब लोग रोमियो जूलियट को आदर्श प्रेम चरित्र के रूप में जानते हैं. किन्तु अंततः यह मात्र काल्पनिक रचना ही है. शेक्सपियर का रचनाकाल मूलत: यूरोपीय पुनर्जागरण का काल ही है जहाँ कैथोलिक चर्च की रूढ़िवादी मान्यताओं के विरुद्ध साहित्यकार, चित्रकार, कलाकार अपनी रचनाओं के माध्यम से आवाज़ उठा रहे थे. इसीलिए शैक्सपीयर की अधिकाँश रचनाएं प्रेम कहानियों पर आधारित हैं और उनका अंत ट्रेजेडी में हुआ है, क्योंकि उस समय तक यूरोपीय देशों में प्रेम या प्रेम विवाह करना कल्पना से परे था. लोगों की निजी ज़िन्दगी तक में चर्च का सीधा दखल होता था.

संभवत: इसलिए शैक्सपीयर ने अपने पात्र का नाम “रोमियो” रखा, जो समाज पर एक कटाक्ष भी था. हमारे यहाँ भी समाज की मान्यताओं से विरुद्ध जाकर कई लेखक, कलाकार अपना अजीबोगरीब नामाकरण करते रहते हैं, जिसके जरिये वो समाज की मान्यताओं और चली आ रही परिपाटी पर चोट करते हैं। अतः रोमियो शब्द का अर्थ प्रेमी नहीं है, रसिक या कामुक है। यह अपने आप में एक नकारात्मक शब्द है, अतः इस पर हल्ला मचाना ही मूर्खता है। हालांकि उत्तर प्रदेश में बनाई गयी एंटी रोमियो स्क्वायड को मैं भी अनुचित मानती हूँ, क्योंकि इसका दुरूपयोग ज्यादा होगा। किन्तु इस के नामकरण से मुझे कोई आपत्ति नहीं है, नामकरण बिल्कुल सही है।

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डा. सुजाता मिश्रा की एफबी वॉल से.

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1 Comment

1 Comment

  1. Rakesh bishnoi

    August 15, 2018 at 10:52 am

    Good

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