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एसपी पीलीभीत सहित योगी सरकार के चार बड़े अफसरों को मिला प्रेस काउंसिल का नोटिस

निर्मल कांत शुक्ला-

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में जनपद पीलीभीत के पूरनपुर में एक दैनिक समाचार पत्र के तहसील संवाददाता और छायाकार पर ग्राम प्रधान की ओर से गंभीर धाराओं में मुकदमा लिखना महंगा पड़ गया। दोनों मीडिया कर्मियों की शिकायत को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने बेहद गंभीरता से लिया है।

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शिकायत पर प्रेस काउंसिल आफ इंडिया ने उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, गृह सचिव अवनीश कुमार अवस्थी, डीजीपी मुकुल गोयल, पुलिस अधीक्षक पीलीभीत दिनेश कुमार प्रभु सहित 5 लोगों को नोटिस जारी कर 2 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है।

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की सचिव अनुपमा भटनागर की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया कि तहसील प्रभारी शादाब अली व छायाकार शोएब अहमद उर्फ फूल बाबू की असामाजिक तत्वों व पुलिस प्रशासन के विरुद्ध प्राप्त शिकायत पर विचार करते हुए प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने माना कि प्रकरण प्रेस की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण/कुठाराघात का प्रतीत होता है, लिहाजा प्रतिपक्षियों को इसके उत्तर में वक्तव्य देने के लिए लिखा जाए कि प्रेस परिषद अधिनियम 1978 की धारा 13 (1) के साथ पठित अधिनियम की धारा 15 (4) के अंतर्गत इस मामले में परिषद द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की जाए। नोटिस में कहा गया कि 2 सप्ताह के भीतर लिखित वक्तव्य तीन प्रतियों सहित प्रस्तुत किया जाए।

शिकायतकर्ता को भी लिखित वक्तव्य की प्रतिलिपि भेजी जाए। इसके बाद इस शिकायत को प्रेस परिषद की जांच समिति के समक्ष उचित आदेश हेतु प्रस्तुत कर दिया जाएगा
बता दें कि पूरनपुर पुलिस ने ग्राम जादोंपुर गहलुइया निवासी नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान इमरान खां पुत्र हाफिज सितारुद्दीन खां की ओर से दैनिक ‘आज’ के छायाकार फूल बाबू, तहसील संवाददाता शादाब अली, पूरनपुर कोतवाली अंतर्गत ग्राम जादोंपुर गहलुइया निवासी हनीसुर्रहमान, ताज मोहम्मद व साजिद बेग के खिलाफ भादवि की धारा 153-ए, 504, 384, 120-बी, 506 के तहत अभियोग दर्ज किया था।

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दर्ज रिपोर्ट में कहा गया था कि दिनांक- 16/05/ 2021 को “आज” अखबार ने यह खबर प्रकाशित की, जिसका शीर्षक है – “चुनाव जीतने की खुशी में समर्थकों व ग्रामीणों को दावत में प्रधान ने खिलाया गोवंश के पशुओं का मांस”। समाज में वैमनस्य पैदा करने वाली यह खबर तथ्यहीन और बुनियाद है, जिसने मुझे मानसिक आघात दिया और समाज में मेरे खिलाफ एक वर्ग के बीच नफरत का भाव पैदा किया है।

दोनों मीडिया कर्मियों ने मामले में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया को शिकायत भेजी कि निष्पक्ष खबरों के प्रकाशन से बौखलाकर ग्राम प्रधान ने पुलिस के साथ मिलकर उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाकर उत्पीड़न किया है।

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