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दैनिक जागरण में समाचार संपादक शाहिद रजा सोमवार को दुनिया से रुखसत हो गए

मौत चुपचाप दबोच लेती है, चर्चा भी नहीं होता…..दैनिक जागरण में समाचार संपादक शाहिद रजा सोमवार को दुनिया से रुखसत हो गए। एक जनवरी 1960 को जन्मे शाहिद रजा की रुखस्ती एकदम खामोश और गुमनाम रही। करीब ढाई साल पहले लुधियाना यूनिट के प्रभारी पद से हटाकर उन्हें नोएडा सेंट्रल डेस्क पर बुला लिया गया था। यहां वह प्रदेश डेस्क पर काम कर रहे थे। बताया जा रहा है कि वह कुछ दिनों से बीमार थे। उनका दिल्ली के सरगंगा राम अस्पताल में किडनी का इलाज चल रहा था।

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मौत चुपचाप दबोच लेती है, चर्चा भी नहीं होता…..दैनिक जागरण में समाचार संपादक शाहिद रजा सोमवार को दुनिया से रुखसत हो गए। एक जनवरी 1960 को जन्मे शाहिद रजा की रुखस्ती एकदम खामोश और गुमनाम रही। करीब ढाई साल पहले लुधियाना यूनिट के प्रभारी पद से हटाकर उन्हें नोएडा सेंट्रल डेस्क पर बुला लिया गया था। यहां वह प्रदेश डेस्क पर काम कर रहे थे। बताया जा रहा है कि वह कुछ दिनों से बीमार थे। उनका दिल्ली के सरगंगा राम अस्पताल में किडनी का इलाज चल रहा था।

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उनके इंतकाल पर गमगीन माहौल में सेंट्रल डेस्क के कर्मचारियों ने शोक सभा की और उनके जन्नतनसीन होने की खुदा से दुआ मांगी। अपनी उपेक्षा, उत्पीड़न और दोयम दर्जे के व्यवहार की वजह से वह काफी उदास रहते थे। उनकी बीमारी की मानसिक उत्पीड़न और निरंतन उपेक्षा एक बड़ी वजह बताई जाती है। शाहिद भाई काफी नेकदिल और तबियत के बेहद सादा इंसान थे। वह अपने काम को बेहद खामोशी से इंजाम देते थे। अपना सारा वक्त वह खबरों में मशरुफ रहकर ही गुजारते थे। कहा जाता है कि बॉस टाइप के अधिकारी उनकी सरेआम तौहीन करते थे परंतु वह पलट कर जवाब नहीं देते थे। जिस खामोशी से वह अपनी ड्यूटी को अंजाम देते रहे, उसी खामोशी से दुनिया को भी अलविदा कह गए। खुदा उनको जन्नत नसीब हो।

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0 Comments

  1. भावना पाण्डेय

    May 10, 2016 at 9:07 am

    ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे।

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