यशवंत जी
संपादक, भड़ास4मीडिया
अरविंद प्रताप उर्फ अरविंद गुप्ता ने आप के पोर्टल के माध्यम से मुझे फ़रार बताया है। साथ ही मुझ पर यह आरोप लगाया गया है कि मैं पत्रकारों के पैसे लेकर फ़रार हो गया। अरविंद गुप्ता वर्ष 2016 में मुझ से पहली बार मिला था। मैं उसे पहचानता नहीं था, उसने कहा कि वह लंबे समय से बेकार है और वह मेरे साथ जुड़ना चाहता है। तब मैं न्यूज़ वर्ल्ड का झारखण्ड ब्यूरो हुआ करता था। मेरी सिफारिश पर उसे न्यूज़ डेस्क देखने के लिये रखा गया।
इस बीच वह झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन में बार बार मुझ से पद देने की गुहार करता रहा। तब मैं संगठन का प्रांतीय अध्यक्ष हुआ करता था। मैंने उसे प्रदेश संयुक्त सचिव के पद पर मनोनीत किया। मनोनीत होते ही वह संगठन में अपनी मनमानी चलाने का प्रयास करने लगा। इतना ही नहीं, उसने संगठन को तोड़ने की भरपूर साज़िश रची, पर उसकी एक नहीं चली।
न्यूज़ वर्ल्ड चैनल का मैं ब्यूरो प्रमुख था, मालिक नहीं। उसने न्यूज़ वर्ल्ड में अगस्त 2017 तक कार्य किया। उसके बाद वह किसी रेडियो में ज्वाइन कर लिया, इसका प्रमाण भी मौजूद है। उसने न्यूज़ वर्ल्ड में कार्य करते हुये कई अनैतिक कार्य बिना मेरी अनुमति के किये। कई फर्ज़ी ID कार्ड एवं लेटर पैड का दुरुपयोग कर स्वयं को ब्यूरो घोषित कर दिया, जबकि उसका मूल कार्य कार्यालय देखना था।
कुछ पत्रकार साथियों ने बताया कि वह न्यूज़ वर्ल्ड में केवल इसलिए जुड़ा था कि वह झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन के बढ़ते कदम को रोक पाये। इस साजिश में उसके साथ एक अन्य पत्रकार संगठन के अध्यक्ष जो उसी की जाति के भी हैं, शामिल थे।
अरविंद गुप्ता के विरुद्ध झारखण्ड के सभी जिलों में जिला इकाई द्वारा लिखित शिकायत दर्ज करायी गयी थी। अरविंद गुप्ता रांची प्रेस क्लब चुनाव से पूर्व भी ऐसा दुष्प्रचार कर चुका है। उसके बावजूद उसे मात्र 30-35 ही वोट मिल पाये थे। पिछले पंचायत चुनाव में स्वयं को पत्रकार बताने वाला अरविंद गुप्ता अपनी ज़मानत ज़ब्त करवा चुका है।
पुनः रांची प्रेस कल्ब का चुनाव 3-4 महीने में होना है इसलिये पुनः उसने दुष्प्रचार प्रारंभ कर दिया है। झारखण्ड के पत्रकार उससे भलीभांति परिचित हैं। धमकाना एवं वसूली करना उसका पेशा रहा है। उसके विरुद्ध कानूनी कार्यवाई भी की जा रही है।
झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन में मैं वर्ष 30 अप्रैल 2018 तक ही प्रांतीय अध्यक्ष के पद आसीन था। मेरे कार्यकाल पूरा होने के बाद वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र सिंह अध्यक्ष हैं। वर्तमान में मैं दैनिक समाचार पत्र में राजनीतिक संपादक के पद पर आसीन हूँ और मेरा कार्यक्षेत्र दिल्ली-रांची है।

मैं फ़रार हूँ इसलिये पिछले सप्ताह की एक तस्वीर झारखण्ड के मुख्य सचिव, विधायक एवं एसपी के साथ प्रमाण के रूप में भेज रहा हूँ।
शाहनावज़ हसन
मूल पोस्ट…
Comments on “मेरे पर आरोप लगाने वाले अरविंद गुप्ता उर्फ अरविंद प्रताप की असलियत जानें : शाहनवाज़ हसन”
सर आपको अपनी सफाई देने की जरूरत नहीं है।झारखंड हीं नहीं अन्य राज्यों मेंं भी आपके नाम का डंका बज चुका है।आपके ब्यक्तित्व के बारे मेंं हम आंचलिक पत्रकारों से ज्यादा कोई नहीं जान सकता।जहां आप अपना सारा समय तन मन धन के साथ हम आंचलिक पत्रकारों के लिए कुर्बान किया है।मैं श्रीमान अरविंद गुप्ता को बताना चाहता हुं कि आजतक कोई समाचार पत्र,इलेक्ट्रॉनिक चैनल पर जेजेए के अलावा कोई पत्रकार संगठन को आंचलिक पत्रकारों को मदद करते देखा पढा आ सुना है?मैं आपको बताना चाहता हुं कि शहनाज हसन जी के ब्यक्तित्व से आज शहीद पत्रकारों के बच्चे पढाई लिखाई कर रहेंं हैं।साथ हींं कई शहीद पत्रकारों के बुढे माता पिता के आशा का किरण हैं।हम जहां तक जानते हैं ऐसे दर्जनों शहीद पत्रकार के घर का प्रमाण दुंगा।आप जैसे छिछोरे पत्रकारों के चलते ऐसे शख्सियत के दामन पर दाग नहीं लग सकता।जो पत्रकारों के हीत के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया उसे भगोड़ा और पत्रकारों के पैसा लेकर फरार बता रहे हो।शर्म करो शहनाज हसन जी आंचलिक पत्रकारों के लिए मसिहा हैं।
अरविंद गुप्ता उर्फ अरविंद प्रताप ने तो अपनी तरफ से झारखण्ड जर्नलिस्ट एसोसिएशन में शामिल होकर मनमानी करते हुए संगठन तोड़ने की भी भरपूर कोशिश की थी। परंतु कहावत है न कि जिसके मंसूबे नेक नहीं हो उनके इरादे भला कैसे सफल होते। मैं जब JJA के पिछले कार्यकाल में प्रदेश प्रवक्ता के पद पर था उस समय उन्होंने पर्सनली फोन कर भी मुझे संगठन का विरोध करने के लिए कहते थे। वो मुझे ही नहीं बल्कि कई अन्य साथियों को भी फोन कर भड़काने की कोशिश की पर कामयाब नहीं हुए।
अरविंद जी , मैं 38 वर्षो से पत्रकार हूँ। मैंने कई बड़े अखबारों व टी वी चैनलों में रिपोर्टर रह चुका हूं। आपका नाम मैंने कभी भी सुना नहीं।
आप शहनवाज जैसे सूरज को झूठे आरोप लगाकर बदनाम करने की नापाक कोशिश कर रहें हैं। शहनवाज हसन पत्रकारों के हित के लिए रात – दिन लगे रहते हैं। आप कहाँ सोए रहते हैं। आप सावधान हो जाये। नहीं तो ईमानदार पत्रकार और जेजेए के सिपाही आपके जैसे पत्रकारों के दुश्मन को कभी माफ नहीं करेंगे।
भाई हिम्मत है तो आमने सामने बैठ कर बात करो न अरविंद प्रताप से धमकी किसे देते हो। टाइम और समय निकालकर आइये रांची मिलते हैं, और हां आपके जैसे पत्रकारों को शर्म आनी चाहिए जो ऐसे इंसान का पक्ष ले रहे जो जो खुद पत्रकारों का गुनहगार है। अपनी गीदड़ भभकी अपने पास रखो। शाहनवाज़ का पूरा जन्मकुंडली है हमारे पास। सभी जानते हैं, कोई ऐसा उसका सगा नहीं, जिसे शाहनवाज़ नें ठगा नहीं।
धमकी किसे दे रहा है बे शाहनवाज़ के डिजिटल पैदाइश, सामने आ कर बात कर बेटा तेरी औकात बताता हूं, उससे सवाल पूछने के तो कुव्वत तेरे में है नही मेरा क्या कर लेगा तो। सुधर जाओ बेटा नहीं तो शाहनवाज़ के चक्कर में टकले हो जाओगे
अरविंद गुप्ता का दिमाग खराब हो गया है। कांके में कोई भर्ती करा दें।
भर्ती तुम जैसे वाहियात लोगों को कांके में होना चाहिए संजय सिंह, जिन्हें सच और झूठ में फर्क नहीं पता, और हां भर्ती होने में कोई दिक्कत हो तो मैं करा दूंगा। रांची आ कर सम्पर्क करना। 9471584457 नम्बर है मेरा
Apna ilaaj kara Sanjay Singh. tum jaise vahiyat patrkaro ke kaaran hi any patrkaro ka yh haal hai…Varnaa Shahnawaz jaise chor patrkaro ko nahi thagate.
छोड़िये प्रभात जी ये बीमार लोग हैं जिन्होनें पत्रकारिता को तवायफ़ का कोठा बना दिया है…इनकी हिम्मत नहीं है बैठ कर बात करने की वैसे एक बात तो समझ में आ रहा है की ये सब कोई दुसरा नहीं लिख रहा है ये खुद शाहनवाज़ दूसरों के नाम पर लिख रहा है…उसके फितरत को मैं खूब पहचानता हूँ
सर आप क्या हैं क्या नहीं यह पूरा देश जानता है। आज शाहनवाज हसन किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इस बात का गवाह सिर्फ मैं ही नहीं दर्जनों साथी हैं। जब आप के नेतृत्व में तिरंगा यात्रा रांची से निकला तो उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, होते हुए जब हम हिमाचल पहुंचे तो रात के 11:00 बजे वहां के कई साथी शाहनवाज हसन और उनकी टीम के इंतजार में बस स्टैंड में खड़े थे। आपकी लोकप्रियता और आपकी टीम के प्रति समर्पण की भावना मैंने देखी है।किसी के कुछ कहने से आप छोटे नहीं हो जाएंगे कोई चांद की तरफ थूकेगा तो चांद का कुछ नहीं बिगड़ेगा। आज कई परिवार ऐसे हैं जो आपके और संगठन के मदद से सकुशल हैं।जिनमें एक मैं हूं अगर आप ना होते संगठन ना होता या देवेंद्र सर ना होते तो मैं कहां होता, किस हाल में होता शायद वक्त ही बताता। मैंने देखा है आंचलिक पत्रकारों को जब ठेस लगती है तो दर्द आपके सीने में होता हम आंचलिक पत्रकार आपके एहसान को कैसे भूल सकते हैं। लोग तो आदरणीय नरेंद्र मोदी जी पर भी उंगलियां उठाते हैं तो क्या वो सबका जवाब देते हैं। सर आपने जो बीड़ा उठाया है(पत्रकार सुरक्षा कानून) उस मिशन को पूरा करने में सारा ध्यान लगा दें। किसी की फालतू बातों पर ना जाएं।
सच सामने आने के बाद इंसान कैसे तिलमिलाता है ये शाहनवाज़ नें दिखा दिया, उसके लगाए सभी आरोप निराधार और बेबुनियाद हैं, अपने कहने पर अपने गुर्गों की मदद से वह कमेंट भी करवा रहा है। उसने उन पैसों की बात नहीं कि जिनका पैसा लेकर वह भागा फिर रहा है। वैसे भाई तेरी धमकी से मैं डरनेवाला नहीं हूं जिनका हक मारे हो उनके हक की बात करता रहूंगा। मजलूम पत्रकारों के बकाए पैसे तो तुम्हें देने ही पड़ेंगे।
किसी के सिर्फ कह देने भर से कोई चोर या बेईमान नही होता है ,शाहनवाज हसन उस हस्ती का नाम है जो आंचलिक पत्रकारों के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर दिए हैं ।कोई भी आंचलिक पत्रकार या अन्य कोई भी पत्रकार रात के 12 बजे फोन करके अपनी परेशानी बताता है तो jja के संस्थापक शाहनवाज हसन जी उनकी परेशानी को दूर करने में जुट जाते हैं वे तब तक चैन की सांस नही लेते जब तक उस पत्रकार की समस्या का समाधान नही कर देते ।मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि जिन्होंने इनके विरुद्ध आरोप लगाया है वे या तो अर्धविक्षिप्त हैं या उन्हें कोई बड़ी गलतफहमी हो गयी है जिसके कारण वे इस प्रकार की उटपटांग बात कर रहे हैं ।आज JJA द्वारा कितने ही पत्रकारों को कई प्रकार का सहयोग मिला है ।
मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि शाहनवाज हशन जी जैसा, पत्रकार को सम्मान दिलाने व उनके हर सुख दुख में सहयोग करने वाले लोग ढूंढने से भी नही मिलते ।
शाहनवाज़ हसन नें मेरा पैसा हड़पा है 3 महीने काम करवा कर पैसा नहीं दिया, शाहनवाज़ के हक में बोलने वालों दम है तो मेरा और सभी पत्रकारों का पैसा दिलवाओ, अरविंद जी पर लगाये गए उस बेईमान के सारे आरोप बेबुनियाद हैं।
सुबोध शाहनवाज़ का मारा रांची का पत्रकार
आदरणीय यशवंत जी,
बड़ा दुख होता है झारखण्ड के अपने पत्रकार भाइयों की हालत देखकर, अरविंद प्रताप झारखण्ड की मीडिया।का एक बड़ा नाम है , सम्मान है उनका, झारखण्ड में पत्रकारिता क्षेत्र में बेहतर कार्यों लिए कई सम्मान भी उन्हें मिल चुका है। लेकिन शाहनवाज़ हसन का काम है सन्गठन की आड़ में पत्रकारों की आंखों में धूल झोंकना। ये मैं नहीं कह रहा बल्कि इसे पता भी किया जा सकता है, आज पत्रकारों के मेहनत के पैसों को उन्हें देने के बजाए ये इंसान उन्हें खुद और अपने चन्द चट्टे बट्टों की मदद से उन्हें डराने की कोशिह कर रहा है जिनके पैसे बकाए हैं, धमकी भी दे रहा है, दुर्भाग्य है ये। रांची की मीडिया जगत में अरविंद प्रताप नें अपने हिम्मत और संघर्षों से अपनी पहचान बनाई है। सरकार ने उन्हें अधिमान्यता भी प्रदान किया है, रांची प्रेस क्लब के सम्मानित सदस्य भी हैं, पत्रकारिता जगत की तरह, नगर निकाय चुनाव में भी चेयरमैन के पद से चुनाव लड़ कर अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं, 200 वोट के मामूली अंतर से उस समय द्वितीय स्थान पर रहे हैं जब झरखण्ड में बीजेपी की सुनामी चल रही थी, महत्वपूर्ण बात यह भी बताना चाहता हूँ अपने भड़ास के तमाम पाठक पत्रकारों को। आप शाहनवाज़ के पक्ष में जितने भी कमेंट्स देख रहे हैं हैं न, वह खुद शाहनवाज़ नें लिखकर अपने करीबी लोगों से कमेंट में पोस्ट कराए हैं। इसलिए मैं कहना चाहूंगा अरविंद जी से कि ऐसे दिशा भटके लोगों की परवाह किये बिना आगे बढिये, आपने पत्रकारिता का मान रखा है पत्रकारों के लिए आवाज़ बुलंद करके।
आदरणीय यशवंत जी नमस्कार,
पागल हो गया है शाहनवाज़, रांची की सड़कों पर जिस शहनवाज़ को अरविन्द जी ने अंगुली पकड़ कर चलना सिखाया जिसका परिचय करवाया वह ऐसी भाषा बोल सकता है विश्वास नहीं होता।अरविन्द जी की बदौलत न जाने कितने पत्रकार पत्रकार आज गर्व से सर उठाकर झारखंड में नौकरी कर रहे हैं.
सर मैं झारखंड की पत्रकारिता में दो दशकों से सक्रिय हूं, मैं भी दुर्भाग्यवश शाहनवाज़ के झांसे में आकर उसके बनाये गए तथाकथित संगठन में जुड़ गया था, लेकिन उसकी असलियत सामने आते ही मैंने किनारा कर लिया, उसने पूरा संगठन वाट्सप पर चला रखा है अपनी मर्ज़ी से किसे अपने गुणगान करने के लिए रखना है और किसे निकालना है यह वही तय करता है. मैनें देखा की जिस झारखंड जर्नलिस्ट एसोसिएशन क संगठन की बात करता है उसका तो रजिस्ट्रेशन है ही नहीं, यही नहीं उसने फ़र्ज़ी तरिके से अपने एक करीबी बीसी सरकार और अपने नाम से खाता भी खुलवा रखा है जिसका कोई हिसाब भी उसने कभी नहीं दिया है. जमशेदपुर में नफरत का मैसेज फैलाने के आरोप में एनआईए ने उसे गिरफ्तार भी किया था जिसका विडिओ भी प्रमाण स्वरूप हमारे पास है. जिस अरविन्द प्रताप जी के बारे में उसने अनाप सनाप लिखा और लिखवाया है.उनका झारखंड की पत्रकारिता में एक स्टेटस है, एक नाम है. मैं तो बीएस इतना ही कहूंगा कि शर्म आनी चाहिए शाहनवाज़ और उसके चमचों को जो बिना सच जाने शहवाज जैसे फ्रॉड की तरफदारी कर रहे हैं.
यशवंत सर नमस्कार,
मेरा नाम प्रभात जैसवाल है अरविंद जी ने जिस बकाये का जिक्र किया है उसमें मेरा भी बकाया है तीन महीने काम करवाकर भी शाहनवाज़ ने पैसा नहीं दिया, जब मेरे पिता गंभीर रूप से बीमार थे तब भी मैनें पैसे मांगे लेकिन उसने नहीं दिया, नतीजन पिता जी भी चल बसे, जब मैं गंभीर से बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हुआ तब भी उसने मेरा पैसा नहीं दिया, तब अरविंद प्रताप और उनके दोस्तों ने ही रांची में चंदा करके मेरी मदद की थी और मेरा गुरुनानक हॉस्पिटल में इलाज हो पाया था. अरविन्द प्रताप के पैरों का धूल भी नहीं है शाहनवाज़, यह लिखते हुए बहुत दुःख हो रहा है सर कि शाहनवाज़ जैसे लोगों ने संगठन बना कर उसे अपना हथियार बनाया उसे कमाने का साधन बनाया, आपने बचने का साधन बनाया, वह जानता था कि उसपर एनआईए की जांच चल रही है क्योंकि उसने जमशेदपुर में नफरत फैलाने का काम किया था, तब उसे गिरफ्तार भी किया गया था, इसलिए उसने संगठन बनाकर भोले भाले ग्रामीण पत्रकारों की मदद से रोजी रोटी का साधन बनाया। हज़ारीबाग के पत्रकार नवीन सिन्हा, सचिन खंडेलवाल और दीपक जी रांची के नित्यानंद शुक्ला, सचिदानंद मिश्रा, डीएस परिहार जमशेदपुर के संतोष कुमार सोना, मनोज सिंह सहित कई लोगों को लाखों का चुना लगा चूका है उन्हें धोखा भी दे चुका है. ग्रामीण इलाके के पत्रकारों को वह निशाना बनाता है जब उसका काम निकल जाता है तो फिर वह उसे बाहर निकाल देता है. ऐसे ही उसका धंधा चल रहा है.
मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि शाहनवाज हशन जी जैसा, पत्रकार को सम्मान दिलाने व उनके हर सुख दुख में सहयोग करने वाले लोग ढूंढने से भी नही मिलते ।