पटना। राजस्थान के बाडमेर में ‘इंडिया न्यूज’ के संवाददाता दुर्ग सिंह राज पुरोहित आज दोपहर बाद जमानत पर बेऊर जेल से रिहा हो गए। जेल से निकलने के बाद दुर्ग सिंह ने मीडिया के सामने यह सनसनीखेज खुलासा किया कि बाडमेर से गिरफ्तार कर उन्हें पटना लाने वाली राजस्थान पुलिस ने उनके परिजनों से जबरन 80 हजार रुपये वसूल लिए।
बाडमेर पुलिस ने 60 हजार रुपये उस इंडीवर कार के किराए के रुप में वसूले जिस कार से दुर्ग सिंह को बउडमेर से पटना लाया गया था। इसके अलावा बाडमेर पुलिस के साथ आए एक पुलिस इंस्पेक्टर ने पटना पुलिस को देने के नाम पर अलग से बीस हजार रुपये ले लिए। इसके पूर्व इस मामले में विवाद में आए बाडमेर के एसपी मनीष अग्रवाल की गलत कार्यशैली के बाद राजस्थान पुलिस के इस कारनामें और दुर्ग सिंह के इस खुलासे के बाद राजस्थान पुलिस के इस कारनामे और गिरी हुई हरकत ने यह कहावत चरितार्थ कर दिया है कि ‘बड़े मियां तो बड़े मियां-छोटे मियां सुभान अल्लाह….।’
जिस समय दुर्ग सिंह जेल के बाहरी गेट के पास वहां मौजूद लगभग तीन दर्जन मीडियाकर्मियों को यह बयान दे रहे थे तो पास में खड़े जेल के कई सिपाही आपस में यह कहते हुए राजस्थान पुलिस पर कटाक्ष करते नजर आए कि ‘बिहार पुलिस मुफ्त में बदनाम है।’ जेल गेट पर विशेष बातचीत में दुर्ग सिंह ने कहा कि वे अपने जीवन में पहली बार बिहार आए हैं वह भी एक फर्जी केस में बेऊर जेल। पर जेल के अंदर इन पांच दिनों में ही बंदियों ने जिस तरह उन्हें स्नेह, प्रेम और अपनापन दिया उसे वह जीवन प्रर्यन्त नहीं भूल सकते।
उन्होंने कहा कि हमारी राजस्थान पुलिस से कहीं ज्यादा अच्छे और भले इस जेल के बंदी, कारा-रक्षक और अधिकारी है जिन्होंने मुझे परिवार का सदस्य समान समझा। एक तरफ उनके राज्य की पुलिस ने उनके परिजनों से रुपये ऐंंठ लिए जबकि यहां के लोग और यहां की मीडिया ने उनका और उनके परिजनों का दिल जीत लिया।
दुर्ग सिंह ने बेऊर जेल के अधीक्षक रुपक कुमार, जेलर अशोक सिंह का भी आभार पकट करते हुए कहा इन अधिकारियों ने कभी उन्हें बंदी की तरह ट्रीट नहीं किया। दुर्ग सिंह ने बिना नाम खोले यह आरोप लगाया कि बिहार में कुछ दिनों पूर्व तक संवैधानिक पद पर बैठे एक राजनेता के इशारे पर उन्हें फर्जी मुकदमें में फंसाया गया। इस मामले की वह बिहार व राजस्थान के मुख्यमंत्री और केन्द्र सरकार से सीबीआई्र जांच की मांग करेंगे। बाडमेर के इस बेबाक पत्रकार ने यह भी स्वीकार किया कि इस फर्जी मामले में पटना पुलिस की कहीं कोई भूमिका नहीं है।
उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री का आभार प्रकट करते हुए कहा कि माननीय मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं पर उनकी मुख्यमंत्री से यह इल्तजा है कि वो बिहार के साथ राजस्थान के पत्रकारों का भी मान रखने के लिए मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा करें, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके, तथा इस षड्यंत्र में शामिल सभी लोगों का चेहरा बेनकाब हो सके। जेल से बाहर आने और मीडियाकर्मियों से रुबरू होने के बाद दुर्ग सिंह सीधे अपने परिवार सहित पटना के जोनल आईजी कार्यालय की ओर रवाना हो गए जहां उन्हें इस मामले में अपना बयान देने के लिए बुलाया गया था।
लेखक विनायक विजेता बिहार के वरिष्ठ पत्रकार हैं.
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