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सुख-दुख

बाहर से स्तन दबोचना पास्को के तहत सेक्सुवल असॉल्ट नहीं : कोर्ट

कनुप्रिया-

मुम्बई हाई कोर्ट की नागपुर बैंच की महिला जज अपने निर्णय में कहती हैं कि बिना वस्त्र उतारे या भीतर हाथ डाले महज बाहर से 12 साल की लड़की के स्तन दबोचना पॉस्को के तहत sexual assault नही है. जिस व्यक्ति को दोष से बरी किया गया है वो बच्ची को लालच देकर घर ले गया था, उसके स्तन दबोचे, सलवार उतार रहा था जब माँ आ गई.

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माननीय जज को और डीटेल्स चाहिये इसे sexual assault बताने के लिये.

यही नागपुर बैंच भविष्य में कहीं बलात्कारों के लिये स्त्रियों को ही सज़ा न देने लगे. नागपुरी मानसिकता का असर महज मुसलमानों नही स्त्रियों के केसेज़ में भी दिखने लगा. शुरुआत मंगलसूत्र न पहनने के दोष से हुई थी, अब sexual assault से दोषी को बरी किया जा रहा है, आगे आगे देखिये होता है क्या.

The Nagpur Bench of the Bombay High Court has held that groping a child’s breasts without ‘skin-to-skin contact’ would amount to molestation under the Indian Penal Code but not the graver offence of ‘sexual assault’ under the Protection of Children from Sexual Offenses (POCSO) Act.

A single bench of Justice Pushpa Ganediwala made the observation while modifying the order a sessions court that held a 39-year-old man guilty of sexual assault for groping a 12- year- old- girl and removing her salwar. The court has now sentenced the man under Section 354 IPC (outraging a woman’s modesty) to one year imprisonment for the minor offence (Satish v State of Maharashtra).

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वकील सत्येंद्र की प्रतिक्रिया देखें-

नागपुर हाईकोर्ट के फ़ैसले में यह कहा गया है की सिर्फ़ त्वचा से त्वचा का सम्पर्क होने पर ही यौन उत्पीड़न माना जाएगा । यह बहुत ही सवेंदनहीन फ़ैसला है ।

एक तरफ़ जहाँ पूरा देश बेटियों की शान में क़सीदे पढ़ रहा था , बेटी के साथ तस्वीरें खिंचवा कर सोशल मीडिया पर गर्व से शेयर कर रहा था की तभी नागपुर हाईकोर्ट के इस फ़ैसले ने देश को झकझोर दिया है । क्या एक न्यायाधीश इतना अधिक निर्दयी एवं सवेंदनहीन फ़ैसला सुना सकता है यह सुनकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं । इस फ़ैसले में ज़रूर कुछ गड़बड़ हुई है माननीय सुप्रीमकोर्ट को न्यायाधीश की जाँच करनी चाहिये । इससे न्यायपालिका के ऊपर से आम लोगों का भरोसा पूरी तरह से उठ जायेगा ।

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-सत्येन्द्र सिंह (प्रदेश अध्यक्ष – लॉ ऑफ़ लेबर एडवाईजर्स एसोशिएशन उ प्र ) एवं सदस्य यौन उत्पीड़न निरोधक कमेटी


जिस महिला जज ने फ़ैसला सुनाया वह सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभी हाल में ही परमानेंट जज बनाई गई हैं-

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1 Comment

1 Comment

  1. सतीश चन्द्र पाण्डेय

    January 27, 2021 at 10:30 am

    शर्मनाक

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