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रेलवे के बुरे दिन : दो बार पैसा एकाउंट से कट गया लेकिन रेल टिकट बुक न हो सका

Yashwant Singh : दो बार एकाउंट से पैसा कट गया, रेलवे की वेबसाइट आईआरसीटी पर टिकट बुक करने के प्रयास में, लेकिन टिकटवा ससुरा न मेल पर न ही एसएमएस पर आ रहा. एकाउंट से पैसा डिडक्ट करने के बाद आईआरसीटीसी का सर्वर गड़बड़ा जा रहा है. तीसरी बार ट्राई करना शुरू किया तो पता चला कि पूरी वेबसाइट मेंटेनेंस मोड में चली गई है. ये अच्छे दिन हैं. दिल्ली से गोरखपुर चला तो गोरखधाम एक्सप्रेस ढाई घंटे लेट दिल्ली आई. गोरखपुर में दोपहर बाद ढाई बजे पहुंची जबकि इसके पहुंचने का टाइम सुबह साढ़े नौ है.

Yashwant Singh : दो बार एकाउंट से पैसा कट गया, रेलवे की वेबसाइट आईआरसीटी पर टिकट बुक करने के प्रयास में, लेकिन टिकटवा ससुरा न मेल पर न ही एसएमएस पर आ रहा. एकाउंट से पैसा डिडक्ट करने के बाद आईआरसीटीसी का सर्वर गड़बड़ा जा रहा है. तीसरी बार ट्राई करना शुरू किया तो पता चला कि पूरी वेबसाइट मेंटेनेंस मोड में चली गई है. ये अच्छे दिन हैं. दिल्ली से गोरखपुर चला तो गोरखधाम एक्सप्रेस ढाई घंटे लेट दिल्ली आई. गोरखपुर में दोपहर बाद ढाई बजे पहुंची जबकि इसके पहुंचने का टाइम सुबह साढ़े नौ है.

इस चक्कर में कंटेंट मानेटाइजेशन वर्कशाप जो सुबह 11 बजे से आयोजित था, का टाइम बढ़ाकर तीन बजे किया गया. ट्रेन से उतरते ही रिटायरिंग रूम में नहाकर फौरन कार्यक्रम स्थल पर भागा ताकि देर आए दुरुस्त आए कहा किया जा सके. गोरखधाम में यात्रा करते समय देखा कि कोच अटेंडेंट जो ठेके पर होते हैं, को टीटीई अब अपना ढाल बनाकर यात्री फंसवाते हैं. विंडो वेटिंग टिकट वालों से पांच सौ रुपये से हजार रुपये तक लेकर थर्ड एसी में बर्थ दे देते हैं. कहने का आशय ये कि रेलवे में लूट, रिश्वतखोरी, दलाली, साजिश, मनमानी भयंकर तरीके से बढ़ गई है. ये जो भजपइये कहते थे कि वे सब ठीक कर देंगे, उन्हें लगता है लकवा मार गया है. एक साल में आप करप्शन पर तो अंकुश लगा सकते थे. आनलाइन सिस्टम तो ठीक कर सकते थे. दलालों को तो खदेड़ सकते थे. कार्यपद्धति तो बदल सकते थे.

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लेकिन आप तो खांग्रेसियों के भी बाप निकले भाई साहब. मेरे गाजीपुर जिले से सांसद मनोज सिन्हा रेल राज्य मंत्री हैं. बीएचयू के पढ़े लिखे और समझदार संजीदा किस्म के प्राणी माने जाते हैं. पर इन दिनों रेल यात्रा में सबसे ज्यादा दुर्गति झेल रहे हैं गाजीपुर वाले. मनोज सिन्हा के कथित नजदीकी कहे जाने वाले चंगू मंगू टाइप लोगों की भी सिफारिश रेल टिकट कनफर्म नहीं करवा पा रही है. ऐसे में आम जनता का हाल क्या होगा, आप सोच सकते हैं. बाकी आप सब जानते हैं कि सवर्ण मानसिकता वाले भाजपाई गलथेथरई करने में सदियों से बहुत आगे हैं. इसलिए इनसे आप बतकही तर्क वितर्क कुतर्क में जीत नहीं सकते. पर जमीनी हकीकत ये भी जान रहे हैं.

एक साल के भीतर ही हर तबका मोदी राज की अराजकता से त्रस्त होकर त्राहि माम त्राहि माम कर रहा है. रेलवे तो बस एक छोटा सा उदाहरण मात्र है. अपने दिल की भड़ास निकालने के बाद एक बार फिर अब टिकट बुकिंग का प्रयास शुरू करने जा रहा हूं. आप सभी भाजपाइयों से अनुरोध करता हूं कि भगवान राम से दुआ करें कि तीसरे प्रयास में मेरा टिकट बुक हो जाए. बाकी तो जुमले नारे वादे हैं… जुमले नारे वादों का क्या… तत्काल बुकिंग के वक्त रेलवे की साइट का सर्वर फेल होना, साइट का डाउन होना ये बताता है कि असल में दाल में कुछ काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली हो चुकी है. यही कथित रामराज्य में होना था जो हो रहा है.

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जाते जाते भाजपाइयों की बुद्धि की बलिहारी का एक और किस्सा सुना जा रहा हूं. अभी हाल में ही रेलवे कायाकल्प को लेकर इन सबों की सरकार ने एक कमेटी बनाई है जिसमें चेयरमैन पद रतन टाटा को दे दिया. रतन टाटा बन तो गए चेयरमैन लेकिन साफ साफ कह दिया कि उन्होंने जीवन में कभी रेल से यात्रा ही नहीं की. ल्यो तेरी तो… अबे, किसी उस शख्स को बनाते रेलवे कायाकल्प परिषद का चेयरमैन जो ट्रेन के दुख सुख जानता हो. जिसे रेलवे की जमीनी समझ हो. उस व्यक्ति से कैसे कायाकल्प कराओगे जिसने रेल यात्रा तक न की हो. लेकिन अडानियों अंबानियों समेत सभी पूंजीपतियों को तरह-तरह से लगातार उपकृत करने में जुटी मोदी सरकार के लिए रतना टाटा को खुश करना एक एजेंडा था, सो उन्होंने रेलवे कायाकल्प परिषद चेयरमैन पद देकर ही खुश करने की कोशिश कर दी. पर इस कवायद से कितना नुकसान रेलवे, देश और जनता का होगा, हम आप ये केवल सोच भर सकते हैं.    

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Prakhar Mishra

    May 19, 2015 at 5:07 am

    यशवंत जी ठीक यही घटना मेरे साथ भी हुई। कानपुर के लिए दो बार टिकट बुक किया। यही मैसेज आया। बैंक से पैसे कट गए। टिकट बुक नहीं हुआ। आज तक पता नहीं चल पाया कि वे पैसे कहां गये।

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