देश भर के मीडिया कर्मियों के वेतन, एरियर और प्रमोशन से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मजीठिया संघर्ष मंच ने महाराष्ट के श्रम आयुक्त को एक पत्र लिखा है जिसमें कहा गया है कि अखबार मालिकों की साजिश रोकने के लिये मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किये जाने के बारे में आपके विभाग द्वारा मंगाये जा रहे एफिडेविड पर कंपनी के सीएमडी, एमडी, डायरेक्टर या पार्टनर का ही हस्ताक्षर होना मान्य किया जाये।
इस पत्र में कामगार आयुक्त को लिखा गया है कि आपके विभाग द्वारा मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र से समाचार पत्र प्रबंधन से 300 रुपये के स्टैंप पेपर पर मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के बारे में एक एफिडेविड मांगा जा रहा है। यह कदम स्वागत योग्य है। मगर इसके पीछे अखबार माालिक साजिश कर रहे हैं। वे अपनी जगह किसी कर्मचारी या एचआर या पर्सनल अधिकारी से एफिडेविड पर साईन करा रहे हैं और कंपनी के दबाव में आकर कर्मचारी या अधिकारी अपना नाम लिखकर या हस्ताक्षर करके दे रहे हैं। ये एक बहुत बड़ी साजिश है। बाद में इस एफिडेविड पर साईन करने वाले कर्मचारी या अधिकारी को कंपनी नौकरी से निकाल सकती है और हस्ताक्षर करने वाला बेचारा अधिकारी फर्जी एफिडेविड देने पर बुरी तरह कंपनी का शिकार होकर फंस सकता है।
पत्र में लिखा गया है कि चुंकि यह शपथपत्र माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन से सम्बंधित है अतः यह आवश्यक है कि यह शपथपत्र कंपनी के सीएमडी, एमडी या डायरेक्टर द्वारा दिया जाये क्योंकि अन्य किसी अधिकारी का कोई क़ानूनी अधिकार नहीं है कि वह कंपनी की जगह अपने आपको प्रस्तुत करे। इसमें यह भी आवश्यक है कि कंपनी के रिकॉर्ड में जो अधिकारी रजिस्ट्रार के यहाँ लिखित हैं वह ही कंपनी की ओर से मान्यता प्राप्त माने जा सकते हैं।
इस पत्र में निवेदन किया गया है कि साजिश रोकने के लिये मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिश लागू किये जाने के बारे में आपके विभाग द्वारा मंगाये जा रहे एफिडेविड पर कंपनी के सीएमडी, एमडी, डायरेक्टर या पार्टनर का साईन ना हो तो उसको मान्य ना किया जाये। इससे माननीय सुप्रीमकोर्ट के आदेश का पालन कराने में भी आपको मदद मिलेगी।
शशिकांत सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्टिविस्ट
९३२२४११३३५
Comments on “श्रम आयुक्त को पत्र : सीएमडी, एमडी और डायरेक्टर के हस्ताक्षर वाले एफिडेविड ही करें स्वीकार”
हिमाचल के नंबर 1 अखबार दिव्यहिमाचल के बारे में भी कोई जानकारी डालिये . वहां पर कर्मचारियों का शोषण रुकेंगे या चलता ही रहेगा