हर्षवर्धन त्रिपाठी-
थोड़ी देर पहले शेष जी के नम्बर से उनकी बेटी का संदेश आया। सुखद है कि, उनकी यादें ऐसे संजोने का निर्णय उनके परिवार ने लिया। हम भी सहभागी होंगे।
आज भी यह स्वीकारना कठिन है कि, शेष जी सशरीर नहीं हैं। टीवी की चर्चा में भी और निजी मुलाकात में भी हम दोनों अकसर अवधी में बतियाने लगते थे। ऐसे देसज पत्रकार कम ही हैं।
हमको विशेष स्नेह करते थे, उसकी एक वजह यह भी थी कि, हम प्रतापगढ़ से हैं और शेष जी सुल्तानपुर से। गजब की ऊर्जा और उत्साह से भरे रहे थे। मुझे हमेशा कहते थे, अच्छा अहै कि तू केहू के चक्कर म नाही परत्या। यही बनाए रखना है।