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मीडिया विरोधी हरकत के कारण मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर लगा जुर्माना

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में राजगढ़ के जिलाधिकारी द्वारा एक वरिष्ठ पत्रकार को राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जिलाबदर करने के कोई साढ़े पांच महीने पुराने आदेश को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि प्रदेश सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया. हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के जज एससी शर्मा ने राजगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अनूप सक्सेना (49) को ‘मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990’ के तहत जिलाबदर करने के आदेश को 11 सितंबर रद्द कर दिया. इसके साथ ही, प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह राजगढ़ के जिलाधिकारी के जरिये 30 दिन के भीतर 10,000 रुपये का जुर्माना चुकाये.

<p>मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में राजगढ़ के जिलाधिकारी द्वारा एक वरिष्ठ पत्रकार को राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जिलाबदर करने के कोई साढ़े पांच महीने पुराने आदेश को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि प्रदेश सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया. हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के जज एससी शर्मा ने राजगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अनूप सक्सेना (49) को ‘मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990’ के तहत जिलाबदर करने के आदेश को 11 सितंबर रद्द कर दिया. इसके साथ ही, प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह राजगढ़ के जिलाधिकारी के जरिये 30 दिन के भीतर 10,000 रुपये का जुर्माना चुकाये.</p>

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने अहम फैसले में राजगढ़ के जिलाधिकारी द्वारा एक वरिष्ठ पत्रकार को राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जिलाबदर करने के कोई साढ़े पांच महीने पुराने आदेश को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि प्रदेश सरकार पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगा दिया. हाई कोर्ट की इंदौर पीठ के जज एससी शर्मा ने राजगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अनूप सक्सेना (49) को ‘मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990’ के तहत जिलाबदर करने के आदेश को 11 सितंबर रद्द कर दिया. इसके साथ ही, प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि वह राजगढ़ के जिलाधिकारी के जरिये 30 दिन के भीतर 10,000 रुपये का जुर्माना चुकाये.

हाई कोर्ट ने अपने 33 पेज के आदेश में टिप्पणी की है कि सक्सेना को जिलाबदर करने के मामले में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पूरी तरह उल्लंघन किया गया. इसके साथ ही, सक्सेना को संबंधित गवाहों के उन कथित बयानों और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां भी मुहैया नहीं करायी गयीं जिन्हें आधार बनाकर उन्हें 4 अप्रैल 2014 को जिलाबदर कर दिया गया था. हाई कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में कहा, ‘संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रेस को हासिल है और एक पत्रकार पर महज इसलिये मध्यप्रदेश राज्य सुरक्षा अधिनियम के तहत कोई आदेश नहीं थोपा जा सकता, क्योंकि वह समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और सरकारी कारिंदों के बुरे कामों के खिलाफ रिपोर्टिंग कर रहा है.’

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0 Comments

  1. Manoj Kumar Sharma

    October 16, 2014 at 3:59 am

    A good n right judgment by law.

  2. Manoj soni

    September 25, 2014 at 12:07 pm

    Patrakaro/ mediakarmiyo ke liye court ka ek accha fesala….

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