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अखबारों के टर्नओवर की जानकारी छुपाने वाला श्रम विभाग मजीठिया मामले में मीडिया मालिकों से मिलकर सुप्रीम कोर्ट की आंख में धूल झोकने की तैयारी कर रहा!

पत्रकारों से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई शहर के श्रम आयुक्त कार्यालय के पास लगता है किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान का वर्ष २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व का विवरण नहीं है या वह मालिकों के साथ सांठगांठ कर इसे छिपाने का पूरा प्रयास कर रहा है।

<p>पत्रकारों से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई शहर के श्रम आयुक्त कार्यालय के पास लगता है किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान का वर्ष २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व का विवरण नहीं है या वह मालिकों के साथ सांठगांठ कर इसे छिपाने का पूरा प्रयास कर रहा है।</p>

पत्रकारों से जुड़े मजीठिया वेज बोर्ड मामले में मुंबई शहर के श्रम आयुक्त कार्यालय के पास लगता है किसी भी समाचार पत्र प्रतिष्ठान का वर्ष २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व का विवरण नहीं है या वह मालिकों के साथ सांठगांठ कर इसे छिपाने का पूरा प्रयास कर रहा है।

यही तीन साल का वह ज्वाइंट टर्नओवर है जिसके आधार पर पत्रकारों और समाचार पत्र कर्मियों के वेतन की गणना व एरियर का पूरा विवरण पता चल सकता है। मगर मुंबई का श्रम आयुक्त कार्यालय इसे लेकर वड़ी लापरवाही बरत रहा है। समाचार पत्र मालिकों ने अपने यहां मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने की जो भी रिर्पोट श्रम आयुक्त कार्यालय को सौंपी उसे बिना जांच किये श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा मान लिया गया और माननीय सर्वोच्च न्यायालय को भी लगता है यही मालिकों द्वारा दी गयी रिर्पोट को ही बिना किसी जांच के भेज दिया गया है।

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मुंबई के निर्भीक पत्रकार शशिकांत सिंह ने पिछले दिनों मुंबई शहर के श्रम आयुक्त कार्यालय से आरटीआई के जरिये यह जानकारी मांगी थी कि मुंबई शहर के सभी समाचार पत्रों का २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व का विवरण दें। एक माह बाद भी श्रम आयुक्त कार्यालय ने इस बात की जानकारी नहीं उपलब्ध करायी जिसके बाद शशिकांत सिंह ने इस मामले को लेकर अपील अधिकारी के पास अपील दायर किया।

अपील दायर करने के बाद श्रम आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों की सांस फूलने लगी और उन्होने कहा कि आप एक महीने का समय दीजिये, हम लोग सभी समाचार पत्रों का २००७-८, २००८-९ और २००९-१० के सकल राजस्व का विवरण आपको दे देंगे। इस पर शशिकांत सिंह ने कहा कि बिना इस सकल राजस्व को देखे आपने मजीठिया वेज बोर्ड कहां कहां लागू हुआ, इसकी रिपोर्ट कैसे तैयार कर दिया तो अधिकारी बगले झांकने लगे।

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उनसे जब पूछा गया कि क्या समाचार पत्र मालिकों द्वारा दी गयी रिपोर्ट को बिना जांच किये सर्वोच्च न्यायालय भेज दिया गया तो एक अधिकारी ने कहा- हमारी रिपोर्ट हर तीन महीने में जाती है लेकिन आप हमें कुछ समय दीजिये। फिलहाल शशिकांत सिंह द्वारा दायर अपील पर ६ नवंबर को सुनवाई होने वाली है।

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0 Comments

  1. dk sarma

    November 5, 2015 at 9:51 am

    assam me bhi media malik duplicate slary ragister bana kar labour department ko dikha rha hai

  2. ss

    September 28, 2016 at 6:31 pm

    Dear Sshashikant ji, Maharashtra hi nahi, Uttar Pradesh me bhi yahi aalam hai. Bagair Balance sheet ke ye LC/ DLC Mahashay chupchap apna nirnay Supreme Court ko bhej diye hain aur wah bhi “Bekhauf”. Shayad inhein yah nahin pataa ki inki Class Supreme Court me hamarey Wakeel Gonsalvese sab lenge aur tab ye wahan bhi Baglein jhankney lagenge aur fir inki jo “Fazihat” wahan honey wali hai, ye hum sabhi dekhenge aur sunenge hi…

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