किसी नेता को छींक भी आती है तो बड़ी खबर बन जाती है। मीडिया का झुंड उस नेता के पीछे-पीछे घूमता रहता है। लेकिन जब उसी मीडिया घराने पर जुल्म और अत्याचार होता है तो क्यों सभी मौन धारण कर लेते हैं? श्री न्यूज़ में पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं आई है। पूरा स्टाफ ज़िल्लत और रुसवाई के दिन काट रहा है। उधार के लिए सभी दरवाजे बंद हो गए हैं। भला कोई कब तक उधार देता रहेगा। बीवी-बच्चों, परिवार की जरुरतें है, जो पैसे बिना पूरी नहीं की जा सकतीं।
भड़ास पर लगातार खबरें आ रही हैं, उसके बावजूद दुनिया को रोशनी दिखाने वाले मीडिया बंधु तमाशाबीन बने हुए हैं….आखिर क्यों? याद रखिए आज जो हमारे साथ हो रहा है, कल वह आपके साथ भी हो सकता है।
श्री न्यूज़ के स्टाफ के लिए ये फ़ाक़ाकशी के दिन हैं। लेकिन चैनल के बड़े अधिकारियों प्रशांत द्विवेदी, गौरव द्विवेदी और अलवीना कासमी के ठाठबाट में अभी भी कोई कमी नहीं आई है। रोज़ इनकी दावतें चलती हैं। इनके लिए बाहर से डिब्बा बंद खाना आता है। पिज्जा और बर्गर की मौज कटती है जबकि मुलाज़िमों को रोटी के साथ सब्जी नसीब नहीं होती।
कभी लखनऊ में केबल बेचने वाले प्रशांत अपने पुराने दिन भूल चुके हैं..वो भूल चुके हैं कि अगर चैनल बंद हो गया तो उन्हें फिर से वही करना होगा जो वो पहले करते थे। उनके पास जब कोई पैसा मांगने जाता है तो वो उसके साथ गुलामों से बदतर सलूक करते हैं। गाली गलौच करते हैं।
रिसेप्सनिस्ट से चैनल की सीईओ बनी अलवीना में हया अभी बाकी है। स्टाफ से सामना न करना पड़े इसलिए उन्होंने चैनल आना ही बंद कर दिया है। चैनल में अब थोड़े लोग ही रह गए हैं, जो इस उम्मीद में आते हैं कि आज नहीं कल तो पैसे मिल ही जाएंगे। लेकिन कमबख्त कल है कि आने का नाम ही नहीं लेता।
चैनल के मालिक मनोज द्विवेदी यूं तो दुनिया को दिखाने के लिए समाज सेवा का खूब ढोंग करते हैं, लेकिन तीन महीने से चैनल के स्टाफ कैसे जी रहे हैं उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है। कोई इन जालिमों से हमें बचाओ, हमें हमारे पैसे दिलवाओ। प्रशांत….ये मत भूलो के उपर वाले के यहां देर है अंधेर नहीं….
श्री न्यूज में कार्यरत एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।
श्री न्यूज के सीओओ बोले- आफिस आओ या मत आओ, हमारे पास सैलरी देने को पैसे नहीं हैं
radha mishra
June 27, 2014 at 11:05 am
ye sab ek apvah hai
raghav
July 1, 2014 at 10:56 am
radha Mishra ji r u a employ of shri news,this is truth.