Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

श्रीलंका के फ़क़ीर का महल जनता ने जला दिया!

अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-

जिस तरह भारत में तर्क दिया जाता है कि मोदी को न चुनें तो आखिर किसको चुनें, ठीक उसी तरह दशकों से श्रीलंका में भी राजपक्षे परिवार का सत्ता में इसलिए कब्जा था क्योंकि जनता को विपक्ष में कोई नेता सरकार चलाने के काबिल दिखता ही नहीं था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

राजपक्षे बंधु अपने मोदी जी की ही तरह प्रचंड राष्ट्रवादी नेता माने जाते रहे हैं और वहां की जनता भी यही मानती आई थी कि राजपक्षे बंधु जो भी करेंगे, वह राष्ट्रहित में ही होगा।

राजपक्षे परिवार पर जनता के इस भरोसे की वजह भी वही थी , जो मोदी जी पर भारत की जनता की है … मोदी जी यहां मुस्लिमों और पाकिस्तान से राष्ट्र और धर्म को बचा रहे हैं तो राजपक्षे बंधु वहां की बहुसंख्यक सिंहली जनता के बौद्ध धर्म और राष्ट्र को तमिलों और भारत से बचा रहे थे।

मगर राजपक्षे अपने अजीबोगरीब फैसलों और नीतियों से श्रीलंका में एक के बाद एक आर्थिक संकट खड़ा करते गए। इसके चलते वहां रुपया लगातार गिरता गया और अंततः ऐसा जबरदस्त आर्थिक संकट गहराया कि रुपया नाममात्र कीमत वाले कागज के टुकड़ों में बदल गया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

हालात अब इतने बदतर हो चुके हैं कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं मगर जनता उन्हें व उनकी पूरी सरकार को इससे भी कड़ी सजा देने के लिए आतुर है।

लिहाजा कर्फ्यू के बावजूद उनका महल जला दिया गया है। सांसदों और मंत्रियों की जमकर कुटाई हो रही है। एक सांसद ने तो कुटाई और जिल्लत से बचने के लिए खुदकुशी कर ली है। वहां की सेना तक अब नेताओं को जनता के कहर से बचा नहीं पा रही है। जनता के गुस्से से नेताओं में ऐसा डर बैठ गया है कि वहां अब कोई कार्यवाहक प्रधानमंत्री तक बनने को तैयार नहीं हो रहा है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

सौमित्र रॉय-

श्रीलंका के पूर्व पीएम महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार ने त्रिंकोमाली नौसेना बेस में शरण ली है।

कर्फ्यू के बावज़ूद हज़ारों लोग एक निरंकुश, परिवारवादी और सिंहली राष्ट्रवाद की आड़ में देश का बेड़ा ग़र्क करने वाले राजपक्षे परिवार के खून के प्यासे हो चुके हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

श्रीलंका का पड़ोसी भारत 2024 में फ़िर मंदिर-मस्जिद की ज़मीन तैयार कर रहा है। इसके सिवा मोदी सरकार के पास जीतने का कोई दूसरा मंत्र नहीं है।

यह नरेंद्र मोदी के 2014 में कुर्सी संभालने के एक साल बाद की बात है, जब संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने संसद में बताया था कि ताजमहल के हिन्दू मंदिर होने का कोई प्रमाण नहीं है।

फिर ASI ने अगस्त 2017 में कहा कि ताजमहल सिर्फ़ एक मकबरा है, मंदिर नहीं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

इसके बावजूद ताजमहल के सर्वे के लिए कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया है। नरेंद्र मोदी की सत्ता जानती है कि जिन संस्थाओं को उसने तबाह किया है, उसमें कोर्ट भी एक है।

उसी कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर बहुत से गैरकानूनी काम को वैधानिक किया जा सकता है- ठीक बाबरी ढांचे के विध्वंस की तरह।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिर चाहे इसके लिए देश की सांस्कृतिक धरोहरों की कब्र क्यों न खोदनी पड़े। अंग्रेजों के ज़माने का राजद्रोह कानून 124 ए भी एक है, जिस पर पहले सरकार ने कहा कि विचार की कोई ज़रूरत नहीं।

अब कह रही है कि विचार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ठोस जवाब के लिए 24 घंटे का समय दिया है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

जब भी इस देश में सत्ता से ज़ुल्म का हिसाब मांगा जाएगा, तब अदालतें भी बख्शी नहीं जाएंगी। ठीक उसी तरह, जब सुकरात की हत्या के बाद 500 से ज़्यादा जजों को देश से खदेड़ दिया गया था।

मैं मानता हूं कि एक दिन ऐसा होगा, क्योंकि सरकार की धर्मांधता ने भारत को लूट तंत्र बना दिया है। अदाणी अब बड़े अस्पताल खरीदेंगे, जिसमें शाही इलाज होगा। ग़रीब सड़कों पर मरेंगे। सरकार देखेगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

भीड़ किसी की नहीं होती। उसका कोई धर्म नहीं होता। राजपक्षे ने भी भीड़ जुटाई थी। आज वही भीड़ उनकी जान की प्यासी है।

सड़कें ज़ल्द गुलज़ार होंगी, क्योंकि देश की संसद इन मुद्दों पर मौन है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लाज़िम है कि हम देखेंगे।

समर अनार्या-

हर मोर्चे पर असफल श्री लंका सरकार के समर्थकों ने कल से प्रदर्शनकारियों पर हमले शुरू किए। आज उनके एक सांसद अमरकीर्ति अथुकोराला का भीड़ ने विरोध किया। सांसद महोदय ने भीड़ पर गोली चला दी, एक नागरिक मारा गया एक बुरी तरह घायल है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

फिर भीड़ ने उनको दौड़ाया, वे एक इमारत में छिपे। समझ गए बचने का रास्ता नहीं है। खुद को गोली मार ली।

ठीक बाद उनके प्रधानमंत्री महिंदा राजपाकसा ने इस्तीफ़ा दे दिया और झोला उठा कर निकल लिए।

Advertisement. Scroll to continue reading.

बाक़ी ये अपशकुन बहुतों के लिए ठीक नहीं है!

गिरीश मालवीय-

Advertisement. Scroll to continue reading.

श्रीलंका में प्रधानमन्त्री अपना झोला उठा कर निकल लिए है वहा के हालात से आप अच्छी तरह से वाकिफ है इसलिए उस पार बात नही करते हुऐ सीधे मुद्दे पर आते हैं कि पिछले दशक में श्रीलंका की राजनीति में किस तरह का परिवर्तन आया जिससे आज वह आर्थिक बदहाली के जाल में फंस गया है और भारत से उसकी कितनी समानता है !

आप को जानकर आश्चर्य होगा कि श्रीलंका ने 2012 में नौ फीसदी की उच्च विकास दर दर्ज की थी उसके बाद से वह निरंतर गिरने लगी आज विकास दर वहा माइनस में हैं
भारत में भी 2015 में 8 फ़ीसदी की दर से जीडीपी बढ़ रही थी और पिछले साल यहां भी माइनस में जा चुकी है

Advertisement. Scroll to continue reading.

भारत का लोन जीडीपी अनुपात 90 प्रतिशत के पार पहुंच चुका है जो 2014 में लगभग 67 फीसदी था श्रीलंका का लोन जीडीपी अनुपात 100 के पार है अब उसने बाहरी देनदारी चुकाने से इंकार कर दिया है, भारत का लोन जीडीपी अनुपात खतरे के निशान के ऊपर है और लगातार बढ़ रहा है आज ही खबर आई है कि डॉलर की कीमत अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है

मोदी देश को विश्व गुरु बनाने का सपना दिखा कर सत्ता से आए थे ऐसे ही गोताबाये राजपक्षे भी श्रीलंका को सिंगापुर बनाने का सपना दिखा रहे थे….

Advertisement. Scroll to continue reading.

मोदी और राजपक्षे अपने चुनाव अभियान में “अच्छे दिन आने वाले है” की बात करते थे आज दोनो देशों की जनता अपने दुर्दिन भुगत रही है

राजपक्षे भी जबरदस्त ध्रुवी करण कर सत्ता पाए थे बहुसंख्यक वोटो की लामबंदी से उन्होंने चुनाव जीता था अपने भाषणों में राजपक्षे धर्म के गौरव की ही बात करते थे भारत में यह नीति किस दल ने अपना रखी है यह सब जानते हैं

Advertisement. Scroll to continue reading.

मोदी सरकार ने जीरो बजट खेती का शगूफा जेसे 2018-19 में छोड़ा था उसी तर्ज पर राजपक्षे ने मई 2021 में श्रीलंका को पूर्ण ऑर्गेनिक खेती वाला देश घोषित करते हुए रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, खरपतवारनाशकों व कवकनाशकों के आयात पर लोग लगा दी थीं प्रधान मंत्रीमोदी ने इस कृत्य के लिए राजपक्षे को बधाई संदेश भी भेजा था….भारत में भी इसी दौरान मोदी सरकार कृषि के क्षेत्र में तीन काले कानूनों को लागू करने में पूरे दमखम से लगी रही, वो तो शुक्र मनाइए किसान आन्दोलन का जो आप लोग बच गए,

श्रीलंका में भी पिछले कुछ सालों से विकास झूठी कहानी गढ़ी जाती रही और उस दौरान वहा का मीडिया भी हमारे मीडिया की तरह उनका सहयोगी बना रहा…….

Advertisement. Scroll to continue reading.

सलीम अख़्तर सिद्दीक़ी-

मुझे नहीं मालूम महिंद्रा राजपक्षे श्रीलंका को सिंगापुर बनाने के लिए कितने घंटे काम करते थे। इतना जरूर पता है कि वह 2050 तक राज करने की बातें करते थे। जब ‘उग्र राष्ट्रवाद’ के नाम पर जनता किसी को सिर आंखों पर बैठा लेती है, तो वह सोचता है कि जनता राष्ट्रवाद के नशे में इतनी डूब चुकी है कि कुछ भी किया जा सकता है, जनता उफ तक नहीं करेगी।

Advertisement. Scroll to continue reading.

श्रीलंका डूब गया। शासकों के घरों को आग लगा दी। सांसद खुदकुशी करने लगे। जनता ने मंत्री को कार समेत झील में धकेल दिया। जब पेट रोटी मांगने लगा तो सारा राष्ट्रवाद हवा हो गया। राष्ट्रवाद के नाम पर दुनिया ने जर्मनी को तबाह होते देखा। उसके शासक को खुदकुशी करते हुए देखा। अगर कोई अतीत और वर्तमान से सबक नहीं ले रहा है, तो उसे श्रीलंका में अपना भविष्य देखना चाहिए। रोटियां आदमी को दीवाना बना देती हैं।

भूख दीवाना बनाने के साथ वह भी बना देती है, जो आज श्रीलंका की जनता बनी हुई है। महिंद्रा राजपक्षे ने श्रीलंका की जनता को सपने दिखाए थे। कोई और भी सपने दिखा रहा है। उसका हाल भी श्रीलंका जैसा न हो, इसकी दुआ करनी चाहिए। नेपाल में भी आर्थिक संकट गहराने की खबरें आने लगी हैं। कर्ज लेकर मय पीने वालों के घर के बर्तन तक बिक जाते हैं। घर के लोग उसे फिर कूड़ेदान में डाल देते हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

किसी एक और देश का कर्ज भी बढ़ता जा रहा है। निर्यात के मुकाबले आयात बढ़ रहा है। डॉलर महंगा हो गया है। आयात का बिल भी बढ़ेगा, खासतौर से क्रूड आयल का। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड आयल 112 डॉलर पर पहुंच गया है। आप देखें कि बुलडोजर कहां तक पहुंच गया है? बुलडोजर ट्रंकीलाइजर है। आने वाले दिनों को भुलाने में मदद करता रहेगा। जब नशे टूटेगा, तब तक बहुत कुछ खत्म हो चुका होगा। प्रार्थना करने के अलावा क्या कर सकते हैं कि श्रीलंका वाला हाल न हो।

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement