आज के जमाने में तारीफ और आलोचना, दोनों ही कई दफे स्ट्रेटजिक होती है, यानि रणनीति के तहत की जाती है. लाभ लेने के मकसद से तारीफ या लाभ न मिलने पर आलोचना. ऐसा चलन है अपने हिंदी समाज में. लेकिन जब बात शंभूनाथ शुक्ला की हो तो उनके लिखे पर स्ट्रेटजिक होकर लिखने का आरोप लगा पाना बेहद मुश्किल होगा. शंभू जी अपने लिखे के कारण अक्सर विवादों में भी आ जाते हैं. मोदी की ढेर सारी बुराई करने वाले शुक्ला जी ने मोदी के सत्ता में आते ही उनके पक्ष में लिखना शुरू किया तो उनके यू टर्न पर गंभीरता से सवाल खड़ा किया गया.
Shambhu Nath Shukla (File Photo)
आज शंभूनाथ शुक्ला ने पत्रकार राजीव सचान और अनुराग दीक्षित की भूरि भूरि तारीफ की है. शंभू जी दैनिक जागरण में छपते हैं और कई बार लोकसभा टीवी पर दिखते हैं. राजीव सचान दैनिक जागरण में प्रभावशाली भूमिका में हैं और लेखों आदि के चयन, प्रकाशन का फाइनल काम वही देखते हैं. क्या उनकी तारीफ को छपने-दिखने से को-रिलेट किया जाए? विघ्नसंतोषी इस एंगल पर विचार करें लेकिन मेरा निजी तौर पर मानना है कि शुक्ला जी अदभुत आदमी हैं. लगातार लिखने, घूमने और बोलने-बतियाने वाले शंभूनाथ शुक्ला की सक्रियता हम सभी को जीवंत और जवान बने रहने को प्रेरित करती है. शंभू जी का ताजा फेसबुकी अपडेट नीचे दिया जा रहा है.
-यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया
Shambhu Nath Shukla : दैनिक जागरण के वरिष्ठ संपादक श्री राजीव सचान एक अच्छे लेखक हैं और सम सामयिक विषयों पर उनकी पकड़ जबर्दस्त है। वे हर गूढ़ विषय पर पूरी सहजता के साथ लिख लेते हैं पर आज लोकसभा टीवी के Perspective कार्यक्रम में राजीव को सुनकर लगा कि राजीव एक बेहतरीन समझ वाले उम्दा वक्ता भी हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विषयों पर लोकसभा टीवी के एंकर Anurag Dixit ने उन्हें कई कोणों से घेरने की कोशिश की पर राजीव ने हर विषय पर इतने सधे हुए अंदाज में जवाब दिया कि मुझे लगा कि हिंदी में उनके जैसा समझदार और सधे हुए अंदाज में बोलने वाला पत्रकार शायद ही कोई हो। बड़े ही धैर्य पूर्वक उन्होंने हर सवाल का जवाब दिया। कानपुर में पत्रकारिता का एक बड़ी ऊँची परंपरा रही है और हम कनपुरिये पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी से आगे नहीं सोच पाते। राजीव ने अपनी समझदारी से वे ऊँचाइयां छू ली हैं। शायद ही राजीव की तरह गंभीरता और धीरज अन्य किसी पत्रकार में देखा होगा। परंपरा कहीं रुकती नहीं है। हर आने वाली पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से आगे निकलती है। कानपुर के संदर्भ में तो यह कहा ही जा सकता है कि राजीव ने अपनी गरिमा से गणेश शंकर विद्यार्थी की परंपरा को नई ऊँचाइयां प्रदान की हैं। अनुराग दीक्षित को भी इस बात के लिए बधाई देनी चाहिए कि वे हर विषय की पूरी तैयारी करते हैं और उनका होमवर्क इतना मजबूत होता है कि अक्सर लगता है कि बहस में शामिल वक्ता अब लडख़ड़ाया कि तब। एक अच्छे एंकर की यही तो विशेषता है।
(वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ला के फेसबुक वॉल से.)
उपरोक्त स्टटेस पर आए कुछ कमेंट इस प्रकार हैं….
बीपी गौतम : बोलने में भी मधुर हैं, पद का अहंकार भी नहीं दिखता, वरना लोग तो इतने पर हवा में उड़ जाते हैं …
Shameem Ahmad शम्भुनाथ जी, गणेशशंकर विधार्थी से राजीव सचान की तुलना! आपको नही लगता कुछ अतिरेक हो गया है।एक अघोषित दक्षिणापंथी अखबार के सम्पादक से इतनी उम्मीदें ?? हालांकि मैने उन्हे सुना नही है फिर भी।…बाकी गणेशशंकर विधार्थी पत्रकारिता के जनवादी मूल्यों तथा उसकी प्रगतिशील भूमिका के प्रति सचेत थे।”मुख्यधारा” के अखबार व पत्रिकाओ का चरित्र आज किसी से छुपा नही है।जो स्पष्टतः आज पूंजीवादी भोंपू बन चुके हैं।ऐसे समय में किसी अखबार के सम्पादक को एक महान पत्रकार के समतुल्य रखना अतिरेक के सिवा कुछ नही होगा।…बहरहाल
Saleem Akhter Siddiqui : राजीव सचान! गणेश शंकर विद्यार्थी। तुलना भी की तो कहां की?
Shameem Ahmad : शम्भुनाथ महोदय !! जिन पत्रकार महोदय के लेख संघ के मुखपत्र “पांजन्ञय” की शोभा बढा रहे हैं,उनकी तुलना गणेशशंकर विधार्थी से करना शायद इस दशक का सबसे बडा मजाक है।गूगल बाबा से जब इनका पता पूछा ! तब उन्होने हमें संघी खिडकियों से उनकी झलक दिखलाई।अब उस महान पत्रकार को तो बख्श दें जिनकी शहादत हिन्दू-मुस्लिम दंगो को रोकने की कोशिशों का नतीजा थी।उम्मीद है आप सहमत होंगे।…बाकी सचान महाशय का योगदान यह भी है कि वे संघ या भाजपा की राजनीति के विरोध को पूरी हिन्दू आबादी के विरोध का पर्याय बनाने में माहिर हैं। खैर…पाठकों के लिये एक लिंक है। http://panchjanya.com/arch/2002/11/3/File8.htm
Shambhu Nath Shukla : संदर्भ से हीन किसी बात का जवाब न तो दिया जा सकता है न देने का कोई अर्थ है। यहां गणेशशंकर विद्यार्थी का स्मरण एक क्षेपक के रूप में है और आज राजीव सचान अपने पत्रकारीय धर्म का निर्वहन उसी परंपरा के साथ कर रहे हैं जिस प्रकार की परंपरा कानपुर में याद की जाती है।
Mangaldas Yadav : Shambhu Nath Shukla: अरबो ईरान की परंपरा को अपनी परंपरा बताने वाले इन कट्टरपंथी मुल्लों की बात का जवाब आप जैसे शरीफ आदमी नहीं दे सकते। आप इनकी बात को सुने नहीं ये तो हर अच्छी बात पर मीन मेख निकालेंगे ही नहीं। इनकी आदत है हर जगह गंदगी फैलाना।
Parmatma Mishra : तुलना में उलझने कि जरुरत मेरे ख्याल से शायद यहाँ नही हैं. गणेश शंकर विद्यार्थी के समय पत्रकारिता के साधन इतने समुन्नत नही थे. उसके बावजूद उन्होंने अपनी लेखनी से अंग्रेजों का डट कर मुकाबला ही केवल नहीं किया, अपितु पत्रकारिता के लिए मानक स्थापित किया. साथ ही हिन्दी पत्रकारिता के विकास के लिए अतुलनीय कार्य किया. लेकिन राजीव सचान को मैं दो दशको से पढ़ रहा हूँ. उनकि सोच निर्विवाद रुप से एकतरफा नही है. दक्षिणपंथी अखबार में होते हुए भी उसका प्रभाव सचान जी पर न के बराबर हैं. वे अच्छे वक्ता भी यह जानकर और अच्छा लगा.
Shameem Ahmad : खैर यह तो बौद्धिक दम्भ अथवा बौद्धिकता का आभामंडल है, जिसके वशीभूत आप मेरे कमेंट का उत्तर आवश्यक नही समझते। अथवा आप भी उसी परम्परा के वाहक हैं,जिसके कि राजीव सचान।ऐसा मेरा अनुमान है। सन्दर्भहीन कथन का सहारा लेकर आप उस राजनीति को वैध ठहरा रहे हैं, जिसके कि राजीव सचान प्रतिनिधि हैं। अच्छा हुआ कि आप गणेशशंकर विधार्थी तक सीमित रहे। भगतसिंह तक नही पहुंचे जो कि उस समय कानपुर में ही “प्रताप” में लिख रहे थे। बाकी आपके समर्थन में” प्रमाणित देशभक्तों” की जमात का अवतरण हो चुका है।
Shameem Ahmad : परमात्मा जी ! ऊपर एक लिंग है। आप उसे देंखें। पक्षधरता व प्रगतिशीलता दोनो स्पष्ट हो जायेंगी।
Shambhu Nath Shukla : प्रताप में तो उन दिनों इतना कुछ दकियानूस भी छपता था कि आप सरीखे लोग कह देंगे यह अखबार तो पढऩे लायक ही नहीं है। हर अखबार पूंजी के बूते ही निकलता है और गणेश जी ने भी जिन महाजनों से कर्ज लिया था वे अपने हित उसमें देखना चाहते थे। मगर गणेश जी ने उसे इकतरफा नहीं होने दिया। यूं गणेश जी स्वयं उस समय की दक्षिणपंथी पार्टी कांग्रेस के कार्यकर्ता भी थे और रामलीला के आयोजनों में भी जाया करते थे। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। राजीव सचान भले दक्षिणपंथी अखबार में संपादक हों पर उन्होंने जिस तरह लोकसभा टीवी के कार्यक्रम में अपनी बात सहजता पूर्वक रखी वह लाजवाब थी। मैने लिखा है कि मैं उनका लिखा पढ़ता था पर उनके बतौर वक्ता की विलक्षणता से मैं प्रभावित हुआ।
Mohammad Shariq : Shambhu Nath jee ke paas har sawaal ka jawab hai parantu Shameem jee ke sawalon ko chhodkar.
Shameem Ahmad : अजीब तर्क है महाशय ?? गणेशशंकर या किसी व्यक्ति का रामलीला के आयोजनो या किसी भी धार्मिक आयोजन में शिरकत करना उसे भला दक्षिणापंथी कैसे बना देगा।धार्मिक होने का अर्थ यह नही कि व्यक्ति फासिस्ट ही हो।आप उनके रामलीला आयोजन में जाने तथा राजीव सचान के संघ के मुखपत्र में लिखने को समतुल्य बनाने की कोशिशों में मुब्तिला हैं।दूसरी बात सूदखोरों के कर्ज तथा स्वंय की पूंजी का” प्रताप” में चुक जाने के बावजूद उन्होने पत्रकारीय मूल्यों से समझौता नही किया।लेकिन यहां तो ये पत्रकार महाशय स्पष्टतः एक दक्षिणापंथी संगठन के पत्र के कागज कारे कर रहे हैं,वह भी साम्प्रदायिक तर्को के अनुमोदन के साथ।…खैर आप से तो ऐसी उम्मीद न थी।
Shambhu Nath Shukla : मेरे तर्क आपको अजीब लग रहे हैं और आप इतनी देर से अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। मैं क्या लिख रहा हूं और आप क्या बांच रहे हैं। मैं लिख रहा हूं कि अपने कार्यक्रम में राजीव सचान ने हर सवाल का बेहतर जवाब दिया। अब उनकी लाइन क्या है इससे क्या मतलब? फर्ज कीजिए अगर कोई दक्षिणपंथी है तो आप लोग उसे जीने का हक तक नहीं देंगे। गणेश शंकर विद्यार्थी ने भले ही भगत सिंह को आश्रय दिया हो पर गणेश जी वामपंथी नहीं थे। प्रताप के प्रकाशन के समय ही कानपुर में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का गठन हुआ था, प्रताप ने इस खबर को छापा तक नहीं था। जेल में मोतीलाल नेहरू के साथ उनका जो संवाद चला था उसे भी जरा देख लीजिएगा। पर फिर भी गणेश जी दक्षिणपंथ के उदार खेमे की उपज थे और गणेश जी के प्रति एक बेहद सम्मानीय भाव मेरे अंदर है। अब गणेश जी के समय की पत्रकारिता न तो मानक बन सकती है न आदर्श। आज के बेहद जटिल कारपोरेटी युग में भी अगर कोई पत्रकार एक न्यूनतम निष्पक्षता को बनाए रखता है तो उसका सम्मान करना चाहिए।
Shameem Ahmad : जी !! समझ गया, पत्रकारिता के किन आदर्शो व मानको के आप हिमायती हैं।….धन्यवाद
Mohammad Shariq : “न्यूनतम निष्पक्षता ” aap se yahi ummeed thi
Mangaldas Yadav : आप फालतू में अपना समय जाया कर रहे हैं शुक्ल जी। ये लोग नहीं समझेंगे। इन्हें समझना ही नहीं है। ये हर तरह की तटस्थता और न्यायप्रियता के हामी ही नहीं हैं। यह इनके समुदाय की बुनियादी कमजोरी है। अगर मान लीजिए कि कोई पांचजन्य में छपता है तो इनको काहे की तकलीफ होती है। ये एमजे अकबर को महान पत्रकार मान लेेंगे पर राजीव चूंकि हिंदी पत्रकार हैं इसलिए उन्हें नहीं। राजीव सचान का वह कार्यक्रम मैने भी सुना था। राजीव सचान ने बहुत अच्छी तरह से अपनी बात रखी। हम कानपुर वालों ने गणेश शंकर विद्यार्थी को देखा तो नहीं पर सुना जरूर है। वे हमारे आदर्श हैं लेकिन उनको लादकर तो नहीं घूम सकते। और महाराज इन लोगों को आप जवाब नहीं दे सकते। इनको हम पर छोडि़ए।
रमेश लामा : Rajeev sachan ko toh nahi dekha kabhi debate me, han Anurag Dixit me ek badhiya anchor ke gun maujood hain ye bat satya hai, main inka lok manch dekhna kabhi nahi bhulta..
माधो दास उदासीन : अफसोस है शमीम अहमद साहब आपके नजरिये… मूल बात से हटकर बात कहां ले जाना चाह रहे है?
Mangaldas Yadav : माधोदास जी, आप ने एकदम सही लिखा कि शमीम अहमद पूरी बहस को बर्बाद कर देने पर तुले हैं। शुक्ल जी ने एक सामान्य बात लिखी कि कानपुर के राजीव सचान ने पत्रकारिता को नई ऊँचाइयां प्रदान कीं। अब यह बात उन्होंने राजीव सचान के लोकसभा टीवी पर एक कार्यक्रम को देखकर लिखा। मगर शमीम अहमद को इतनी तारीफ बर्दाश्त नहीं हुई और कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा जोड़ते हुए अपने कुनबे को अपने साथ ले आए हमला करवाने के वास्ते। अब देखिए न कौन आया उनकी हिमायत में सलीम अख्तर सिद्दकी से लेकर Mohammad Shariq तक।
माधो दास उदासीन : सबको सन्मती दे भगवान…
shambhunath shukla
August 20, 2014 at 4:40 am
श्री यशवंत सिंह जी,
आप एक सम्मानित पत्रकार हैं और एक ऐसी वेब कंपनी के मालिक संपादक हैं जिसमें दी हुई ज्यादातर जानकारी सही होती है। आपने मेरे द्वारा श्री राजीव सचान की तारीफ के संदर्भ में लिखा है कि मैने यह जानबूझकर लिखा है क्योंकि मैं दैनिक जागरण में छपता हूं। मुझे दुख है कि आप ने यह गलत जानकारी दी है। मैने दैनिक जागरण के लिए 1982 से कुछ नहीं लिखा और न उसमें छपा। यह अलग बात है कि किसी कार्यक्रम में मैं बतौर पत्रकार गया तो दैनिक जागरण ने वह खबर छापी तथा मेरा नाम भी सम्मानपूर्वक छापा। लोकसभा टीवी में भी मैं यदाकदा ही गया हूं। अब जहां तक लोकसभा टीवी में राजीव सचान के जवाब थे वे समझदारी भरे थे और इसी तरह एंकर अनुराग दीक्षित के प्रश्न भी। मैं आज भी मोदी के खिलाफ भी लिखता हूं और जो बातें मुझे नहीं पसंद आतीं उनके विरोध में भी। मैं कोई एनजीओ कार्यकर्ता नहीं हूं न जेएनयू टाइप संस्थान से निकला कोई उन्मादी छोकरा। इसलिए कृपया कर लिखने के पूर्व संपादन भी कर लिया करें।
सादर
शंभूनाथ शुक्ल
prayag pande
August 20, 2014 at 9:40 am
श्री यशवंत जी ! यह सच है कि हमारे वरिष्ठ श्री शम्भू नाथ जी शुक्ला कानपुर के है । बकौल श्री शुक्ल जी श्री राजीव सचान भी कानपुर के हैं । श्री राजीव सचान जी अच्छे और बहुत अच्छे पत्रकार होंगें ।श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी भी कानपुर के थे । इस आधार पर दौर के किसी भी पत्रकार अथवा व्यक्ति की तुलना किसी भी दृष्टि से श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी से न की जा सकती है और न ही की जानी चाहिए । यह श्री विद्यार्थी जी का सरासर अपमान है ।
संजय कुमार सिंह
August 20, 2014 at 10:53 am
इसलिए कृपया कर लिखने के पूर्व संपादन भी कर लिया करें। – लिखने से पहले संपादन? हा हा हा …
Right fights
May 31, 2015 at 10:21 am
लोकसभा टीवी चैनल का एंकर अनुराग दीक्षित कर रहा है फर्जी तरीके से पीएचडी
नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सटी से संसद में पत्रकारिता विषय पर फर्जी तरीके से पीएचडी कर रहा है।विश्वविधालय अनुदान आयोग का नियम है कि शोधार्थी शोध करते समय कोई भी और काम जैसे पढाई और नौकरी नहीं कर सकता।लेकिन अनुराग दीक्षित लोकसभा टीवी चैनल का दुरूपयोग करते हुए शोध के साथ नौकरी भी कर रहा है।यह आयोग के नियम के विरुद्ध है।लोकसभा टीवी चैनल के प्रबंधन और नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सटी को मामले का संज्ञान लेकर अनुराग दीक्षित के खिलाफ धोखा धडी की कार्यवाही करनी चाहिए।
Right fights
May 31, 2015 at 10:40 am
लोकसभा टीवी के एंकर अनुराग दीक्षित की शिकायत पहुंची राष्ट्रपति के पास
लोकसभा टीवी के एंकर अनुराग दीक्षित की शिकायत राष्ट्रपति के पास पहुंची है। शिकायत कर्ता विनय अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि वे अपने पदनाम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
लोकसभा टीवी के एंकर अनुराग दीक्षित की शिकायत पहुंची राष्ट्रपति के पास
लोकसभा टीवी के एंकर अनुराग दीक्षित की शिकायत राष्ट्रपति के पास पहुंची है। शिकायत कर्ता विनय अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि वे अपने पदनाम का दुरुपयोग कर रहे हैं। हालांकि यह कितना सही है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा पर विनय अग्रवाल का शिकायतनामा निम्न है।
सेवा में,
सीईओ महोदय
.लोकसभा टीवी चैनल दिल्ली।
विषयः- लोक सभा टीवी चैनल में एंकर के पद पर कार्यरत श्री अनुराग दीक्षित के द्वारा नगरवासियों के उत्पीड़न कर चैनल को बदनाम करने के सम्बन्ध मंे।
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महोदय,
आपको अवगत कराना है कि लोकसभा टीवी चैनल में जहाॅगीराबाद जिला बुलन्दषहर उ0प्र0 निवासी श्री अनुराग दीक्षित पुत्र श्री सुरेन्द्र कुमार दीक्षित एंकर के पद पर कार्यरत हैं। उक्त एंकर अनुराग दीक्षित व इनके बडे भाई श्री सुनील दीक्षित आपके चैनल को बदनाम करने में लगे हैं। चैनल का लाभ उठाकर अनुराग दीक्षित समय-समय पर जिले के आला अधिकारियों व विभिन्न पार्टियों के बडे नेताओं को अपने यहां पर बुलाते हैं। जनपद के प्रमुख अखबारो के पत्रकारों पर सम्पादकों से फोन कराकर अपने यहां हुये कार्यक्रमों की मनगंढ़त झूठे-सच्चे समाचार प्रकाषित कराते हैं। इनके बडे़ भाई सुनील दीक्षित इसी का लाभ उठाकर हमारे नगरवासियों का कई प्रकार से उत्पीड़न व शोषण करने में लगे हैं। इसकी जाॅच जनपद के किसी भी गोपनीय विभाग से करा ली जाये तो स्वयं ही इनके कई काले कारनामे सामने आ जायेगंे। इनके भाई ने डीजल पैटी के लाईसेंस की दुकान पर लोकसभा टीवी चैनल व एंकर अनुराग दीक्षित का नाम लिखकर अवैध मिनी पैट्रोल पम्प चला रखा है। अपने इसी अवैध पैट्रोल पम्प का चलाने के लिए अनुराग दीक्षित ने उसी एरिया में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत हुये एक पैट्रोल को आपके चैनल की आड़ में आला अधिकारियों से षिकायत कर निरस्त करा दिया। इनके भाई ने अभी कुछ माह पूर्व अवैध वसूली का विरोध करने अपने ही घर पर बुलाकर एक पाॅलटेक्निक कर्मचारी की पिटाई की थी उक्त पोलटेक्निक कर्मचारी ने इनके भाई के विरूद्ध जिसकी लिखित तहरीर पुलिस में दी थी, लेकिन चैनल का दुरूपयोग करते हुये पुलिस पर दबाब बनाकर उल्टा उसके खिलाफ ही मुकदमा दर्ज करा दिया। इसकी दबाब में उक्त पोलटेक्न्कि कर्मी से मनमाफिक माफीनामा भी लिखवा लिया। इनके भाई द्वारा संचालित जहाॅगीराबाद मानव कल्याण समीति ने पुस्तकालय के नाम पर नगर पालिका की लाखों रूपये की सम्पत्ति पर अवैध कब्जा कर रखा है। पुस्तकालय के नाम पर अनुराग दीक्षित व इनके भाई लोगों से अनैतिक रूप से पैसा वसूल करते हैं। अनुराग चैनल के नाम पर कुछ सांसदों से पुस्तकालय के नाम अवैध वसूली करते हैं। आपके चैनल का दुरूपयोग कर नगर पालिका के अधिषासी अधिकारी पर दबाव बनाकर अवैध रूप से पालिका के गृहकर रजिस्टर में अपनी समिति व पिता का नाम चढ़वा दिया। दिनांक 30 मार्च 2015 को नगर पालिका परिषद जहाॅगीराबाद की बोर्ड बैठक में कुल 30 सभासदो में से उपस्थिति 28 सभासदों ने सर्व सम्मति से इनकी समिति का गलत तरीके से पालिका के गृहकर रजिस्टर में से नाम काटकर, वहां से समिति का अवैध कब्जा हटाकर, नगर पालिका द्वारा पुस्तकालय का संचालन करने का प्रस्ताव किया है। इसी प्रस्ताव के बाद दिनांक 06.04.2015 को गलत तरीके से दर्ज समिति व संस्थापक के नाम को काटकर पालिका प्रषासन ने पुनः पालिका भूमि के नाम से दर्ज कर लिया है। इसके बाद भी अनुराग इनके पिता व भाई लोकसभा चैनल का दुरूपयोग कर आला नेताओं व अधिकारियों को गुमराह करते हुए पालिका बोर्ड द्वारा वहां से स्वामी विवेकनन्द जी की प्रतिमा को बोर्ड के प्रस्ताव के बाद हटाने या उसे क्षति पहुंचाने की फर्जी षिकायतें कर रहे हैं। यह सभी पुनः समिति व संचालक का नाम गृहकर रजिस्टर में चढ़वाकर अपना अवैध स्वामित्व दर्षा कर पालिका की लाखों की भूमि पर अपना कब्जा करे रखने की जुगत में लगे है। यह लोग पालिका प्रषासन पर अनावष्यक दबाब बनाये हये हैं। आपको इनके द्वारा संचालित अवैध पैट्रोल पम्प चलाने की कुछ पुरानी फोटो, इनकी संस्था द्वारा किये गये अवैध कब्जे व अवैध वसूली की षिकायत की छायाप्रति भी संलग्न की जा रही है। जो भी इनके काले कारनामों का विरोध करता है तो ये उसे भुगत लेने की धमकी देते हैं।
अतः आपसे निवेदन है जाॅच कराकर आवष्यक कार्यवाही करने की कृपा करें।
विनय अग्रवाल सभासद
नगर पालिका परिषद जहांगीराबाद
जिला बुलन्दशहर यूपी