दैनिक जागरण बरेली से चीफ सब एडिटर श्यामेंद्र कुशवाहा, रिपोर्टर विनीत सिंह और अविनाश चौबे ने इस्तीफा दे दिया है। विनीत और अविनाश ने दो महीने पहले भी इस्तीफा दिया था लेकिन तब सिटी इंचार्ज की कुर्सी संभालने के बाद ज्ञानेंद्र सिंह ने दोनों को वापस बुला लिया था। अब इनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है।
बरेली जागरण में दरअसल संपादक प्रदीप शुक्ला के मुंह लगे चीफ सब अंकित कुमार और सिटी चीफ बने सीनियर सब ज्ञानेंद्र सिंह के व्यवहार से हर कोई त्रस्त है। अंकित और ज्ञानेंद्र की जोड़ी कब किसकी इज्जत उदार दे, इससे हर कोई सहमा हुआ है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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महोदय
अभी श्यामेंद्र कुशवाह ने इस्तीफा नहीं दिया है… वह तिकड़ी की हरकतों से परेशान होकर लंबे अवकाश पर हैं। वहीं अविनाश चौबे हिंदुस्तान अलीगढ़ में वरिष्ठ उप संपादक हो गए हैं। इसलिए उन्होंने अपना इस्तीफा दिया है। हालांकि यह सच है कि इससे पहले उन्होंने इस्तीफा अंकित से आतंकित होने के कारण दिया था। श्यामेंद्र भी दारूबाजी से दुखी थे।
विनीत सिंह के खिलाफ भी इसी तिकड़ी ने साजिश रची थी… पेंशन योजनाओं में जिस जोरदार तरीके से घोटाले का खुलासा किया था उसे अमर उजाला और हिंदुस्तान के साथ-साथ जागरण के लोग भी पचा नहीं पाए थे। सरकारी योजनाओं में दस करोड़ से ज्यादा का बंदरबांट था। जिस पर विधान सभा में सवाल उठा तो लेखपालों ने अखबार वालों को लिफाफे बांट दिए। विनीत सिंह झुकने को तैयार नहीं हुए तो उनका सिर कलम कर दिया गया। असल पत्रकारिता पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा दिया गया। भड़ास पर भी इसे चलाया गया। जिससे आहत होकर उसने पहली बार इस्तीफा दिया, लेकिन समाचार संपादक प्रदीप शुक्ला को जब पूरी साजिश पता चली तो उन्होंने उसे वापस बुला लिया।
हालांकि इस बीच केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने उसे हस्तशिल्प के निर्यात की संभावनाएं तलाशने वाली कपड़ा मंत्रालय की कमेटी में सलाहकार नामित कर दिया, लेकिन वहां भी उसने सिर्फ इसलिए ज्वाइन नहीं किया कि कहीं कलम बेचने का आरोप न लग जाए।फिलहाल राजस्थान में है… लेकिन किस संस्थान में पता नहीं। फेसबुक पर राजपूतों के इतिहास को लेकर लेख पढ़ने को मिल रहे हैं।
यारों का यार है विनीत सिंह…. कभी बिका नहीं, कभी झुका नहीं। दोस्तों के लिए कभी भी कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहने वाला इंसान है.. अपना भाई। 15 साल हो गए पत्रकारिता में आज तक बेदाग रहा। हमेशा अपनी शर्तों पर नौकरी की, कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया मेरे यार ने। उसके साथ वाले करोड़पति हो गए, लेकिन विनीत सिहं यशवंत जी की तरह फक्कड ही रहा। जिसके पीछे पड़ गया, उसकी तो लंका लगना तय है। चाहे कितना बड़ा कोई तोपची क्यों ना हो। इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा उसे। आज कहीं का संपादक होता, लेकिन भटक रहा है फक्कडी में। ऐसे लोगों की हर संस्थान को जरूरत होती है। कहीं भी नौकरी मिल जाएगी।
श्यामेंद्र जी जैसे धैर्यवान व्यक्ति को जागरण छोड़ना पड़ रहा है, बेहद गंभीर मसला है। जहां तक मैं संपादक प्रदीप शुक्ला को जानता हूं वह ऐसे कर्मठ लोगों को खास पसंद करते हैं। श्यामेंद्र पिछले कई दिन से दो वरिष्ठ जनों के बीच हो रहे गाली-गलौज के कारण वह खासे परेशान थे। उन्हें डर रहा होगा कि कहीं उनकी बेइज्जती न हो जाए इसलिए उन्होंने जागरण छोड़ा होगा। असलियत आज नहीं तो कल सामने आ जाएगी।ऐसे में विनीत सिंह का जागरण छोड़ना बड़ी बात है। जागरण मंडली के मुताबिक जनवरी में पांच ग्रीन स्टार मिले थे। तीन संपादक जी ने दिए और दो मुख्यालय ने। डीएम और कमिश्नर तक का विकेट चटका दिया उसने। ऐसे में हो सकता है कि डीएम से संपादक जी की दोस्ती विनीत सिंह के लिए घातक साबित हुई हो। वैसे यशवंत भाई जागरण में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। दलाली चरम पर है। कभी किसी मंत्री को ब्लैकमेल कर रहे हैं तो कभी किसी मंत्री के पीए को। मोटा माल काटा जा रहा है। दारूबाजी तो आम बात हो गई है अब।
विनीत सिंह राजस्थान पत्रिका में अब चीफ रिपोर्टरके पद पर कार्यरत हैं। मेरी जानकारी के मुताबिक उन्हें कोटा में तैनात किया गया है। नई पारी के लिए विनीत सिंह, अविनाश चौबे और श्यामेंद्र सर को दिली मुबारकबाद। उनहें भी जो हिंदुस्तान और अमर उजाला में इंटरव्यू दे आए हैं।