सिद्धिनाथ के इस्तीफे से ज़ी न्यूज़ में काम करने वाले बहुत राहत की सांस ले रहे हैं। मीडियाकर्मियों को बहुत परेशान करता था ये शख्स। इस्तीफनामा पढ़कर इन सिद्धिनाथ विश्वकर्मा की शख्सियत का अंदाजा लगा सकते हैं। इनने नैतिकता सरोकार आदर्श की बजाय चापलूसी की नदी बहा दी है। पढ़ें-
मेरे पितातुल्य जवाहर सर इस संस्थान में एक संजीवनी बनकर आए जो बस इतना भर पूछ देते थे ‘हां भाई ठीक हो ना’ । उनके जैसे बड़े और महान व्यक्ति से इतना सम्मान मिलना मेरे लिए गर्व की बात है और मेरे 20 वर्षों की सबसे बड़ी पूंजी है। आज अगर मेरे पिता होते तो मेरी इस उपलब्धि पर गर्व करते । जवाहर सर को मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि सर आपके इस अटूट और अटल भरोसे के लिए मैं अपनी आखिरी सांस तक आपका ऋणी रहूंगा । आपने मुझे कई बार रोका, कई बार मना किया कि ‘नहीं तुम्हें इस्तीफा नहीं देना है’। लेकिन अब मैं उनसे बड़ी ही विनम्रता के साथ क्षमा चाहता हूं, अब यहां रहना मेरे लिए असहनीय है। क्योंकि ये मेरे साथ काम करने वाली हर महिला, हर पुरुष और मेरे आत्मसम्मान की बात है। मेरी टीम ने कई बार मुझसे कहा कि आपको यहां नहीं रहना चाहिए, आपका इस तरह का अपमान हम नहीं देख सकते । पर मैं उनको हमेशा कहता रहा कि ये संस्थान बहुत बड़ा है और यहां ये सब छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं। पर अब मेरे सब्र का बांध टूट चुका है, क्योंकि मैं ये कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता कि मेरी बच्चियों के साथ कोई अभद्र व्यवहार करे । आगे अपने व्यक्तिगत या व्यावसायिक जीवन में मैं कोई भी काम जवाहर सर की अनुमति के बगैर नहीं करूंगा । और जवाहर सर हमेशा कहते हैं, “सीखते रहो और बढ़ते रहो”। अब मैं अपने जीवन में इसी उद्देश्य की खोज जारी रखना चाहता हूं।
हमारे संस्थापक डॉ सुभाष चंद्रा सर से मुझे एक-दो बार मिलने का सौभाग्य मिला, इस दौरान मैंने उनसे बहुत कुछ सीखने और समझने का प्रयास किया। उन्होंने जो भी कार्य मुझे सौंपा मैंने बड़ी ही जिम्मेदारी के साथ उसका अक्षरश: पालन किया । पर मैं अब उनसे इस बात के लिए क्षमा चाहता हूं कि मैं उनकी डिजिटल क्रांति का हिस्सा नहीं बन पाऊंगा ।
इस पूरी यात्रा में मैं, मेरे गुरुतुल्य सुधीर चौधरी सर का अपने रोम-रोम से धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने मुझे इस लायक बनाया कि मैं 20 वर्षों बाद ही सही अपनी मां, मातृभूमि और महादेव के बारे में सोचने के लायक बना । मैं अपने गुरु और बॉस सुधीर चौधरी से इस बात के लिए क्षमा मांगना चाहता हूं कि वो मुझे अपना अर्जुन बनाना चाहते थे और मैं बुधिया साबित हुआ ।
करीब 20 वर्षों के कठिन परिश्रम और मेहनत के बाद पहली बार पिछले 10 दिनों में मुझे आत्ममंथन करने का समय और अवसर मिला है और अब मैंने यही तय किया है कि आने वाले समय में मेरा जीवन सिर्फ और सिर्फ मां, मातृभूमि और महादेव को समर्पित रहेगा ।
हमेशा के लिए आपका,
सिद्धिनाथ
kamal sharma
December 5, 2020 at 6:12 pm
देश का पूरा बटर ही खत्म कर दिया इसने इस इस्तीफे के साथ
क्राइम्स वॉरियर
December 5, 2020 at 8:42 pm
900 चूहे खाकर बिल्ली चली हज को…..आज नहीं तो कल ….तुम जैसों के साथ ऐसा ही होता है….अब ज्ञान का भाषण पेल रहा है…..तूने सहारा से लेकर अब तक की 20 साल की यात्रा में किया क्या है सिवाय जत्थेदारी के….अब घड़ियाली आंँसू बहा रहा है कि, सुधीर चौधरी को निकाल कर जी का मालिक तुझे बना देंगे जवाहर और सुभाष…..
जलील
कुंदन कृष्ण
December 5, 2020 at 9:27 pm
बड़ी ही सुकून भरी खबर एक मुद्दत के बाद सुनने को मिली है। यह सिद्धिनाथ एक नम्बर का दारूबाज के साथ ही…..है। वैसे मीडिया हाउस के कुछ कमीनों की फ़ौज का यह महज़ अर्दली मात्र है लेकिन, एक नम्बर का फ़िल्म शोले वाला वह नाई है जो तमाम सम्पादक टाइप जेलरों का छक्का टाइप चापलूस है। कमीना तो इतना है पूछो मत, अगर नॉकरी की बात इससे कर लो तो, इसका मिज़ाज़ किसी मालिक से कम नहीं रहता, बात तो ऐसे करता है जैसे इससे बड़ा कोई जानकर ही नहीं, भाई, यह समझ लो, इसके ग्रुप के वो तमाम लोग इतने घटिया किस्म के हैं जिनके आगे घटियापन भी शर्म से पानी पानी हो जाये। अब भाई साहब, जो भी इसे नई नॉकरी देता है उसके घटियापने का अंदाज़ा आप खुद ही लगा लें। वैसे इंडस्ट्री में चमक चुतये की कमी नहीं है लिहाज़ा इस सिद्धिनाथ कि इच्छा भी सिद्ध हो ही जाएगी। अफसोस इसी बात का होता है कि, काबिल और कामगार को कभी हरामखोरों की फ़ौज ने आगे बढ़ने का मौका ही नहीं दिया। साले इनपुट हेड की कुर्सी पर बैठ मैनेजमेंट को ठगने वाले ठगों को रिपोर्टिंग पर भेज दो, दो तीन पीढ़ी की नानी याद आ जायेगी, और भाषण तो चम्पक ऐसे पिलाते हैं जैसे भारत का मानचित्र उसी के दिमाग की उपज है । जाओ बेटा सिद्धि भोलेनाथ तुम्हारे कुनबे का भी वैसा ही नाश करेंगे जैसे तुमने कितनो का करियर नाश किया है। यह श्राप तुम्हे और तुम्हारे जैसों को सड़कछाप की मौत मरेगा।
जय भोलेनाथ
बाबा विश्वनाथ
December 7, 2020 at 9:18 pm
मीडियाकर्मी को हमेशा पेशेवर होना चाहिए
और पत्रकार को आदर्शवादी
बतौर मीडियाकर्मी सिद्धिनाथ ने संस्थागत नैतिकता और आदर्श का निर्वाह किया है
उन मीडियाकर्मियों की तरह नहीं जो वेतन के लिए अप्वाइंटमेंट लेटर लेते वक्त हर जगह दस्तखत करते हैं फिर श्रमजीवी पत्रकार के अधिकार गिनाते हैं
और जब छोडने का मन करता है तो पत्रकारिता के सिद्धांत के शब्द इस्तीफे में यूं सजाते हैं मानो गणेश शंकर विद्यार्थी के बाद उनका ही संघर्ष महान है
sudhir
December 7, 2020 at 9:37 pm
100logo ki naukari khane ke baad yahi hoga logo ki baddua lagegi hi logo ke pet me lat mari isne.
Medha
March 14, 2021 at 6:21 pm
I have known and worked with Siddhinath for several years. His commitment and loyalty towards the organisation and his profession his matchless. Unlike most of us, this guy doesn’t treat work as just 9 to 5 grind. He dreams and breathes ideas. He is an asset for any organisation and his resignation comes as a surprise.
Vivek
June 20, 2021 at 2:26 am
Boss do you know the reality know this person I am the one who knows both of them personally and know the reason behind this resignation. Ask with your self
1. Why and how this resignation got hear.
2. This shows greatness of a person even after leaving the company he have not mentioned the name of person because of whom he is leaving.
3. See the title how writer came to know that मीडियाकर्मियों को बहुत परेशान करता था ये शख्स। i cant get any clue from this resignation as well as if he is writing the same “I guess he is trying to manipulate” the reality. Or Anyone have disclosed the things to give bad name.
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