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स्नैपडील ने 600 कर्मियों को निकाला, लड़कियों ने आफिस में कब्जा जमाया, मीडिया ने साधी चुप्पी

दिल्ली के सरित विहार से खबर है कि वहां स्नैपडील कंपनी के आफिस से छह सौ कर्मियों की छंटनी कर दी गई है. इन लोगों को अचानक कह दिया गया कि अब आपकी कोई जरूरत नहीं है. इससे खफा सैकड़ों कर्मियों ने आफिस के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. वहीं सैकड़ों लड़कियों ने आफिस के अंदर की कब्जा जमा रखा है. निकाले गए कर्मियों में आधे से ज्यादा लड़कियां हैं जो आफिस से बाहर नहीं निकल रही हैं.

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दिल्ली के सरित विहार से खबर है कि वहां स्नैपडील कंपनी के आफिस से छह सौ कर्मियों की छंटनी कर दी गई है. इन लोगों को अचानक कह दिया गया कि अब आपकी कोई जरूरत नहीं है. इससे खफा सैकड़ों कर्मियों ने आफिस के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है. वहीं सैकड़ों लड़कियों ने आफिस के अंदर की कब्जा जमा रखा है. निकाले गए कर्मियों में आधे से ज्यादा लड़कियां हैं जो आफिस से बाहर नहीं निकल रही हैं.

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इन लोगों का कहना है कि कंपनी को निकालने से पहले अनुबंध की शर्तों के हिसाब से नोटिस देना चाहिए था ताकि हर कोई अपनी वैकल्पिक व्यवस्था कर लेता. साथ ही तीन महीने की सेलरी देने का प्रावधान है जिसका कंपनी ने पालन नहीं किया. यहां तो हिटलरशाही वाला फरमान सुना दिया गया कि अब जाइए, कोई जरूरत नहीं है. स्नैपडील का आफिस ए 28 मथुरा कोआपरेटिव इंडस्ट्रियल एस्टेट, नियर सरिता विहार मेट्रो स्टेशन है. यहां सैमसंग की बिल्डिंग के बराबर वाली बिल्डिंग स्नैपडील की है. कंपनी से जुड़े कर्मियों का कहना है कि कंपनी ने पहले तो बेहद मुश्किल टास्क दिया सभी को ताकि कोई टास्क पूरा न कर पाए और इसी बहाने निकाल दिया जाए. लेकिन जब वह भी पूरा कर दिया गया तो अब बिना किसी चेतावनी के अचानक नौकरी से निकाल दिया गया.

आरोप है कि इलाकाई पुलिस कंपनी के अधिकारियों से मिली हुई है. आफिस में जो लड़कियां रुकी हुई हैं, उन्हें परेशान करने के लिए बिजली पानी की सप्लाई काट दी गई है. काफी सारे लोग बाहर कंपनी के गेट पर धरने पर बैठे हुए हैं. पुलिस इस इंतजार में है कि कब हल्ला गुल्ला हो और लाठीचार्ज करके वह आंदोलनकारियों को भगाए. कंपनी से जुड़े कर्मियों को आशंका है कि आफिस के भीतर बैठीं लड़कियों के साथ कोई हादसा हो सकता है क्योंकि वहां न तो पानी है न खाना है न बिजली है. बाहर से किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है. ऐसे में अगर कुछ होता है तो उसकी सारी जिम्मेदारी कंपनी के आला अधिकारियों और पुलिस की होगी.

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मीडिया वाले चैनल वाले अखबार वाले इस पूरे कांड पर चुप्पी साधे हैं. कहीं कोई खबर नहीं और न ही कोई मीडिया टीम मौके पर मौजूद है. इतने बड़े पैमाने पर छंटनी और आंदोलन की खबर मीडिया वाले जान बूझ कर नहीं दिखा रहे हैं क्योंकि कंपनी ने विज्ञापन आदि घोषित-अघोषित तरीकों से उनका मुंह बंद कर रखा है. पीड़ित कर्मियों ने भड़ास के माध्यम से मीडिया वालों से अपील की कि वे पीड़ितों के पक्ष में खड़ें हों और पूरे हालात के विजुवल फैक्ट लेकर सच्ची बात पब्लिक तक पहुंचाएं जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सके.

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0 Comments

  1. sanjib

    February 25, 2016 at 8:38 pm

    Arrey Bhai, abhi jo Sarkaar (Govt) hai, wah “Baniyon” ki hai. NaMo aur unka Kunba bhi Baniyon ka hi to Hit Saadhega…! Yahin par Uss “Bhrasht Congress” ki yaad aati hai. Kum-se-kum yah party bhrashtachar aur desh lootney me jitna bhi Mshgul ho, Workers ka kuchh to bhala dekhti hi thi.. Pataa nahi Modi ji ki Tandra kab bhang hogi… 2 saal beet gaye hain, ab 3 saal aur bachey hain.
    Media malikon ko bhi Supreme Court se koi Darr nahin, kyonki Modi ji ki God me jo baithe hain.

  2. Ritu

    February 26, 2016 at 6:28 pm

    Kunal behal shame on you.

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