यशवंत सिंह-
टीवी वाले पत्रकार दिल खुश कर देते हैं जी. ये साफ साफ बताते रहते हैं, ये अक्सर बताते रहते हैं, कि इनका कोई मानसिक स्तर नहीं होता. इनकी कोई भाषा नहीं होती. इनकी कोई सोच नहीं होते. ये साले बस रोबोट होते हैं. इनमें जैसी चाभी भर दो वैसी बातें करने लगते हैं. सत्ता को खुश करना, सत्ता को तेल लगाना टीवी वाले मालिकों का पहला धर्म है इसलिए टीवी वाला ज्यादातर पत्रकार इस धर्म में रचा बसा पुरोहित होता है और सत्ता की जै जै में पसीने बहा देता है…
टीवी वाले पत्रकारों की बकलोली, उजड्डई, नंगई, चिल्ल-पों, लंठई, अज्ञानता, मूर्खता, हिंसा के बहुत सारे दृश्य देखे होंगे आपने लेकिन एक नया टीवी पत्रकार तहलका मचा रहा है. उसने टीवी स्क्रीन पर ‘झांट’ शब्द बोल दिया. आप कह सकते है कि उसने बोल दिया तो आपने यहां लिख क्यों दिया, फिर दोनों में क्या अंतर… हां, आपका सवाल ठीक है… उत्तर देते हैं…
इंडिया न्यूज चैनल या किसी भी न्यूज चैनल को लाइसेंस सूचना प्रसारण मंत्रालय देता है… वह बहुत सारी शर्तें लगाता है जिसे कुबूल करने के बाद न्यूज प्रसारण का अधिकार चैनलों को मिलता है… इन चैनलों की रीच पूरे देश में होती है… लोग परिवार के साथ न्यूज देखते हैं… इंडिया न्यूज चैनल सरकारों से विज्ञापन लेता है, मीडिया संस्थान होने के नाते कई किस्म की सुविधाएं और सब्सिडी पाता है… इसलिए उस पर सभ्यता, संस्कार और शालीनता की पूरी जिम्मेदारी है… जब वहां के लोग ‘झांट’ शब्द आन एयर बोल सकते हैं तो भड़ास पर इसे लिखने में झांट क्या शरम!
भड़ास न सरकारी विज्ञापन लेता है और न सरकार से कोई अनुदान पाता है… हम इंटरनेट पर केवल हैं… उस महासमुद्र में जहां पोर्न भी है और रामायाण भी है… ये नेट यूजर पर डिपेंड करता है कि वे क्या ग्रहण करे… हम कोई मीडिया संस्थान नहीं है… हम कोई प्रेस कार्ड जारी नहीं करते… हम मीडिया इंडस्ट्री की हरकतों की दो चार खबरें छाप देने वाले एक अछूत किस्म के पोर्टल भर हैं बस… इसलिए जिसका मन भड़ास पर ये सब पढ़ कर हर्ट हो रहा हो तो वो आगे से भड़ास पढ़ना बंद कर दे… जिनकी समझदानी सही हो, वे यहां से जाकर सीधे ट्वीट करें, इंडिया न्यूज चैनल के मालिकों कार्तिक शर्माओं… संपादकों राणा यशवंतों को टैग करें कि अबे ये सब क्या दिखा बुलवा रहे हो अपने पगलेट पत्रकार से… ये कौन सी पत्रकारिता करवा रहे हो भाई…
समस्या इन न्यूज चैनलों, इनके मालिकों और इनके संपादकों में है…. इनके यहां पत्रकार बेचारे तो रोबोट होते हैं जो निर्देश मिलने पर झांट भी बोल देंगे और आन एयर किसी को थप्पड़ भी ठोंक देंगे… इस तरह के कुकृत्यों से इनको फायदा ये मिलता है कि इनके चैनल और इनके संबंधित शो की चर्चा सबके जुबान पर आ जाती है, भले ही नकारात्मक हो.. तो इस तरह से ये निगेटिव ब्रांडिंग के जरिए पहचान हासिल करने में सफल हो जाते हैं… बाजार में ब्रांडिंग का ये फार्मूला खूब दौड़ता है…
तो ये सब पूरा हाल माहौल देखकर लगा कि अब एक एवार्ड शुरू कर देना चाहिए भड़ास को, सोभड़ी वाला एवार्ड … या महाटांझू जर्नलिस्ट आफ द इयर टाइप… ये दोनों एवार्ड एक साथ प्रदीप बंदरिया को दे दिया जाए… माफ कीजिएगा भंडरिया को.. मतलब प्रदीप भंडारी को… ये पगलेट पत्रकार कभी रिपब्लिक भारत में था… वहां का सुपर पगलेट अर्नब गोस्वामी ने देखा कि ये भंडरिया तो उससे बड़ा पगलेट साबित होकर सारी टीआरपी ले जाएगा तो उसे निकाल दिया… फिर क्या तो… इंडिया न्यूज ने लपक लिया हीरे को… सो अब ये हीरा इंडिया न्यूज पर चमक रहा है…. और चमकते चमकते विस्फोट भी कर दे रहा है… ऐसे विस्फोट आगे भी देखने को मिलते रहेंगे…
ये भंडरिया भड़ास सोभड़ीवाला एवार्ड पाने के लिए बिलकुल परफेक्ट पत्रकार है… देखें इसके कारनामे का वीडियो…. क्लिक करें— Sobhdiwala patrakar pradip bhandari jhantu video
महा ‘टांझू’ पत्रकार है भई ये तो. प्राइवेट हेयर को पब्लिकली लिंच कर रहा. भड़ास ऐसे पत्रकार को ‘सोभड़ीवाला’ एवार्ड देगा. इंडिया न्यूज का संपादक-मालिक किधर है? ये सीन देख ‘टांझ’ खुजलाने में बिजी है क्या? बस नौकरी मत खाना इसकी, ऐसे हीरे सोभड़ीवाले खोजे न मिलेंगे. #sobhdiwala_patrakar